दर ओ दीवार चमकने लगे हैं
कोई खनक टांग दी है किसी ने-
क्या सही क्या गलत ये सब से परे हूँ मैं
वहाँ वहाँ चली हूँ मैं जहाँ दिल के नि... read more
यूं ही दफ़'अतन मेरा मुस्कुरा देना ..
इश्क तेरे चेहरे पर ज़ाहिर सा हो रहा था ।-
इतिहास गवाह है ,
प्रेम से उसे वंचित रखा गया
जो मात्र और मात्र
प्रेम की मात्रा से बना हुआ था।
अस्तित्व के गणित में
कोई गलती नहीं होती,
फिर भी... खैर... जाने दो।
ये ‘जाने देना’ भी,
शायद प्रेम का ही कोई
गहरा अध्याय होता है।
जहाँ पाना ज़रूरी नहीं होता,
बस होना — काफी होता है।
Bee♥️ing-
क्या भूलूं क्या याद करूं ..
बहुत प्यारा सुंदर
विषय है ये मेरे लिए।
लेकिन ..
जब कुछ भूली ही नहीं
तो याद किसे करूं ..
Over to caption ♥️
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उसको कुर्बत है तो फासलों में सिमटा क्यों है
दरमियां ये ..... लफ़्ज़ों का वाक़ि'आ क्यों है-
वक्त बेवक्त दुआएं दस्तक देती है दिल पर
खुदा बस नियत देखता है, नाम नहीं। ♥️-
हम रिंद का मिजाज़-ओ-हाल न पूछ, ए ज़ाहिद,
जहाँ खुदा न हो — वहाँ भी हम खुदा देख लेते हैं।-
ख़ामोशी ओढ़ ली उस ने जब से,
लफ़्ज़ लफ़्ज़ ढूंढता फिरे उसे।
वो जो कभी मेरी तर्ज़ का सूरज था,
अब अँधेरों में ही जलता फिरे मुझ से।-
रेत पर छपी कुछ कहानियाँ
फूल बन कर बस जाती हैं दिल में ..
उन के लिए मोहब्बत भरी
एक नज़र ही काफी है
कुछ एहसास
शब्दों के मोहताज
नही होते।
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