Suकाnt सुmन Jha●   (Suk.)
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Joined 15 June 2020


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Joined 15 June 2020

अभी भी प्यार है तुमसे,
पर अब उम्मीद छूट सा चुका है।
जैसे इक उम्र बाद जीने की चाह
खतम होने लगती है।

तुम वो यामिनी थी जिसके बाद
सुबह होने की कोई उम्मीद बचा नहीं था।
फिर भी मैं लड़खड़ाया, गिरा
पर फिर से खड़ा हुआ।

सचमुच कभी- कभी प्यार
लोगों को दिव्यांग बना देता है।
©️सुकान्त झा

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27 DEC 2023 AT 21:09

मैं उस हर शख्स से नफरत करता हूँ।
जिसने बुढापे में अपने माँ - बाप को ठुकराया।

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23 DEC 2023 AT 18:08

हमदोनों इक ही जिल्द में रहेंगे पर
हमारे बीच कई पन्नों का फासला होगा।💐

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23 DEC 2023 AT 18:04

Bye bye 2023❤.

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6 SEP 2023 AT 0:01

मैंने अक्सर जिन्दगी में सिर्फ खुदगर्ज इंसान ही देखा था।

पर सचमुच वो बस मेरा भ्रम था क्योंकि इस मतलबी दुनिया में आप इक सच्चा रहनुमा हो।।

©️सुकान्त

रहनुमा : हमसफ़र
खुदगर्ज:- selfish

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25 JUN 2023 AT 11:22

देख तेरी चाह में कितनी बदल गया हूँ।
तू कहती थी दूर जाने को, और मैं अब दूर जा भी चूका हूँ।
©️सुकान्त झा

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26 FEB 2023 AT 12:24

गर मैं तुमसे दूर हो जाऊं
तो तुम रोना नहीं ।
तुम मेरी पसंदीदा हर वह काम करना
जिसके सपने कभी हम साथ में बुना करते थे।।
©️सुकान्त झा

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25 FEB 2023 AT 12:00


मैं उस दिन भी आया था
फूल लेकर जब तुम किसी गैर के संग रोज डे
मना रही थी।
मेरे लिए  तुम्हारा प्यार
तुम्हें हमेशा खुश देखने से है।

हाँ पर कभी कभी वो वादे
चुभती है जेहन मे।
जो अक्सर तुम हर खत में
किया करती थी।।

हा पर तेरे दूर जाने के बाद
अब कभी कभी भूखा भी सो जाता हूँ।
क्योंकि अब कोई नहीं पूछता
तेरे जैसा हालचाल ।।

मेरा इंतज़ार कभी
खत्म नहीं होगा।
तुम बेझिझक आना
पूरी जिन्दगी लेकर।।

©️सुकान्त झा

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14 DEC 2022 AT 10:00

जिस महफिल ने ठुकराया हमको
क्यू हम उसे याद करे।
आगे लम्हे बुला रहे मिलकर साथ चले।।🖤

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12 DEC 2022 AT 13:18

मैं बारिश की दुआ कैसे मांगू
मेरी बस्ती में कच्चे घर बहुत हैं।

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