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Save soil🌏🏞
Medicos.
👇नीचे देखो नीचे🙈🙈🙈👇
"लोग चुराने लगे हैं मेरी शायरि... read more
जो चीजें हमारे हाथ में नहीं है
उसको जाने देना भी इक कला ही है।।
©️सुकान्त झा 🖊-
मां की तरह कोई और ख्याल रखे
ये तो बस एक ख्याल ही हो सकता हैं 💔💔
©️सुकान्त झा 🖊-
पिता बस नाम नहीं
इक एहसास है।
पिता है तो आस है।
पिता है तो सारे खिलौने पास है।
पिता है तो माँ के चेहरे पर ढांढस है।
पिता है तो सारी दुनिया जीतने की आश है।
पिता ही तो परिवार की
सारी इच्छाओं का पंख है।।
है न???
©️सुकान्त झा 🖊-
इक अरसा लग गया मकां को घर बनाने में
कोई अब भी शक करता है मेरे सब्र पर।
©️सुकान्त झा 🖊-
इक ख्याल आता है
किसी अहले सुबह उठूँ
चल दूँ बेवजह किसी असीमित दिशा की ओर
(न पूरब न पश्चिम न उत्तर न दक्षिण)
बस तुम्हारे ओर।।
/सुकान्त
🫀🤌🫀-
जब जब तुमसे दूर हुआ
खुद को पहले से ज्यादा
पास पाया ।
तुम्हारी नजदीकियां और दूरियाँ
मेरे प्रेम को साबित नहीं कर सकता।।
/सुकान्त झा
🫀🤌🫀-
सुकान्त!
तुम कहते थे न कि
क्या हम कभी फिर से मिल पाएँगे?
हाँ मिलेंगे पर इक राहगीर बनकर
जहाँ न कोई एहसास होगा
और न कोई भौतिक छुअन।
इक दूसरे को देख मन ही मन
रो देंगे।
गर हो सका तो इक
दूसरे के नजरों को देख लेंगे।
पर शायद तुम भाँप नहीं पाओगे।
धसे हुए आँखों की दुख को।
खैर अब जाने भी दो ।
हमारा गंतव्य बहुत
अलग सा हो गया अब।।
©️सुकान्त झा 🖊-
सुकान्त तुम्हें इक सच्चाई बताऊँ?
लोग जिसके निकट आने के लिए
अनगिनत प्रयास करते हैं।
वो इंसान आपके छोटी सी
गलती को मुद्दा बनाकर
रिश्ते तोड़ देंगे
और आप खुद को गुनहगार
समझ जिन्दगी भर पछताओगे।।
©️ सुकान्त झा 🖊-
मुझे अब उसके
लौटने का इंतजार नहीं रहता।
पर हाँ मैं उससे प्रतिदिन
बात करता हूँ कल्पनाओं में
कविताओं में , शायरियों में।
कितनी दुखद है न कि
चंद बरसों के जीवन में भी
कोई किसी का पूरा नहीं हो सकता।
कोई आधा तो कोई
अधूरा ही रह जाता प्रेम में।।
©️सुकान्त झा 🖊-