इश्क की रिमझिम बारिश में
प्यार की मुंगोडे और पकोड़ी,
कभी बेवफ़ाई की खाकर देखो
अश्कों की चटनी, भावों की कचोड़ी
भाव = भावनाएं-
आज घर मे पकोडे बन रहे हैं तो लगा कि
सर्दी वास्तव में पड़ती भी है नहीं तो
हम केवल मौसम ही मानते थे
जैसे बसंत कब आता है और कब जाता है
पता ही नहीं रहता 😅😅😅-
पहली बारिश आई,
भीगो मेरे भाई l
दूसरी बारिश ये लो ,
छप छप छप छप खेलो l
तीसरी बारिश का रंग ,
चाय पकौड़े के संग l
चौथी बारिश बड़ी कमाल,
किच पिच किच पिच.......
-
चलो कुछ रोजगार की बात करते हैं
पकोड़े बेच आय का सृजन करते हैं..।
😂🙈-
ये पकौड़े भी निभा हैं, दोनों तरफ से वफ़ा
ना चाय वाले खफा, ना दारू वाले खफा.!!-
कि कुछ तो ख़्याल किया कर " रवि ",
दरअसल तुम उसके शहर का!
सुना है उसे बारिशों में भिंगना
अकेला अच्छा नहीं लगता।-
चाय बनाना सीखा है पकौड़ा भी बनाऊंगा ,
खुद भी खाऊंगा और सबको खिलाऊंगा ,
क्योंकि मोदी जी ने पकौड़े वाला नया रोजगार लाया है ,
बड़े बड़े सपने दिखा सबको बाबा जी का ठूलु थमाया है ।।
-
बारिश में नहाने का
असली मज़ा तो तब था
जब एक बार नहाने के बाद भी
माँ की मदद करने के बहाने
दूसरी बार बारिश में भीग लिया करते थे!!!-