Kumar Ravi Ranj   (Kumar Ravi Ranjan)
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Joined 19 June 2018


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Joined 19 June 2018
7 FEB AT 0:11

जब हम खुद ही नही सुन पाते हैं खुद की तो!

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7 FEB AT 0:06

न जाने किसने छुआ है उसको,
न जाने किसने छेड़ा है उसको,
शांत शहर में अचानक से कैसे उठी है हवाएं
और मेरे बंद पड़े कमरे में खुले खिड़कियों के सहारे
उसके खुले बालों की मेहंदी वाली महक आकर मुझको आज रिझाती है,पास बुलाती है, मेजों पर बिठाती है,
धूल भरे कागज़ पर बारे में उसके लिखने को
बार बार न जाने क्यों फिर कहती है
बरसों के बाद अचानक से ,
प्रिय याद तुम्हारी आ जाती है ,
सूखे आंखो को नम कर ,
ख़ामोश लबों को आबाद किया करती है,
टंगी दीवारों पर तस्वीर तुम्हारी,
ना जाने क्यों! कैसे ! एक पल में ,उभरकर आ जाती है,
पागल प्रेमी दीवाना दिल की बीमारी कर जाती है।

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15 DEC 2021 AT 21:48

कि युं अचानक से दिदार हुआ तुम्हारा
और फिर दिल मेरा खाली हो गया

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7 DEC 2021 AT 17:28

महज़ तुम्हारा स्पर्श पाते ही
महक उठती है मेरे हाथों की उगलियां
थिरकने लगते हैं मुलायम पाव
हवाओं में उडने लगते हैं अक्सर मेरे बाल
और उचे हो जाते हैं मेरे भाल
सिधे कर लेता हूँ उस वक्त मैं अपने गर्दन,
और फिर बहक जाते हैं धीरे धीरे से मेरे मन,
चहक उठती है दिल की जमीन
और सुखने लगते हैं खामोश होठ
तुम्हारे बस महज़ स्पर्श से ही
हो जाता है चौड़े मेरे सिने
सुनने को मधुर धुन तुम्हारे....

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6 DEC 2021 AT 19:05

मात खा जातें हैं रवि यहाँ अक्सर
इश्क़ में पहली दफा शहर महबूब के आने वाले
गुजरते गली से उनके सवंरते देख हुस्न के साथ हवाओं में उडते खुले जुल्फों कि आड़ में छिपते चांद को ढलते सुरज की रौशनी में खनकती चुडियों के साथ लौटते पछियों के साथ देखकर नजरें चुरा लेने की मंद मंद मुस्कान से सरमा जाने की अदाओं के आगे......

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25 NOV 2021 AT 16:05

धुप उतरती है हर शाम पेड़ों से जमीं पर जैसे अक्सर
तुम भी उतरी हो धीरे धीरे से ठिक वैसे ही दिलों में मेरे भी..

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23 NOV 2021 AT 19:16

बातें बहुत मनाते हो तुम,
हमको बहुत रिझाते हो तुम,
फकत चाहते हैं इश्क़ में फना होना हम भी तुम्हारें बाहों में भरकर जीते हुए,
बात बात पर तुम रूठ जाती हो मनाते मनाते हम टुट जाते हैं.....

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18 NOV 2021 AT 18:26

तुम्हारी गैर मौजुदगी हमारे जीवन में मतलब
बिना पानी के समन्दर का किनारा
सडकों के चौराहों पर आटो का न होना,
मुहल्ले के गली में ना ठेलों का लगना,
छत पर के गमलों में गुलाब का न खिलना
आंगन में तीतली का नज़र ना आना,
चाय में अदरक का स्वाद ना होना,
ठंड में जैसे ना धुप का दिखना,
तपती धुप में छांव का ना मिलना,
बरसते बादल में ना बिजली का कडकना,
तुम्हारी गैर मौजुदगी जीवन में मतलब
जिंदा जिस्म में मुरदा का होना...

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18 NOV 2021 AT 11:44

दुनिया कहाँ समझती है जल्दी
जब आप कुछ अच्छा और बेहतर भविष्य के लिए
कुछ नया और सख्त कदम उठाने की सोच रखें तो..

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18 NOV 2021 AT 8:30

बेकार हीं ना जाए
ऐ जवानी हमारी तुम्हारी
बिना इश्क़ के ना जले कोई बाती,
गुजरे हैं अभी तो बस रातें आधी,
हमारी तुम्हारी तुम्हारी हमारी,
टुट जाए ना कसमें वो इरादे,
खाए थे कभी जो संग में वादे,

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