तु गरज तो सही मुझपर
बरस पल भर में जाऊंगा,
मध्यम आंच में इश्क़ की
पक पल भर में जाऊंगा,,
बैचेन बहुत है दिल की
बात कर लूं तुझसे कभी,
हैरान हूं परेशान हूं की
रुक जाऊं कुछ पल सही,
अब न बहुत कमज़ोर है
आंखों का बांध ये मेरी,,
एक लब्ज़ भी कह दे तु
बिखर पल भर में जाऊंगा,,-
मोहब्बत की हवा के झोंके से बुझ ... read more
बैठा हूं खाली
जाने क्यों मुस्कुरा रहा हूं,
कहना तो बहुत कुछ है पर
क्यों होठ सिले जा रहा हूं,
शब्द से ज्यादा अश्क है
जो मोहताज है गिरने को,
छुपा कर इन्हें मै जैसे
गम पिए जा रहा हूं,,
शायद मगरुर हूं मैं
शायद मगुरूर हूं मैं,
करके खाता भी मैं
तुझे याद किए जा रहा हूं..-
बात ये तन्हाई में समझ आई है
अंधेरों में जीवन की परछाई है,
बूंद बूंद से प्रयासों की जलरेखा
धरा पर जाने कहां समाई है,
कभी शुष्क कभी शीत सी
जाने कौन सी ऋतु ये आई है,
हुआ अनुभव की अब शिखर है
शून्य ने अपनी गाथा फिर गई है,
ना रुके, ना टूटे, ना थके कभी
फिर मंजिल से आंखे मिलाई है,
ये जुनून है,नशा है या युद्ध कोई
ख़्वाब है मंजिल,नींद भी खोई,,
बैचेन, बेसब्र, हताश हुए कई दफा
डगर मंजिल की कभी छुटी नहीं,
जाने किस मिट्टी से तिलक किया
" प्रेरणा" जीत की कभी खोई नहीं,-
बारिश और भोपाल की सड़के
ख़्वाब, नींद में जैसे महके**,
भीनी सी खुशबू और ये धुंध
घुमड़कर बदल है जैसे चमके
एक छाता और एक झोंका
चल भीग ले बन अनजान,,,
एक प्याला वो चाय का
एक निवाला वो हाथ का,
एक हाथ से बंधा एक हाथ
एक वो कंगन चूड़ी की दुकान,
कुछ भूली बिसरी सी यादें
कुछ मिठी सी वो मुस्कान..
बारिश और भोपाल की सड़के..-
वो ना उसके नाम जैसी है
बहुत सुंदर, मानो तितली,,
उसकी आंखे झरोखे सी है
जैसे दिल को देखती है,,
वो बहती रहती है,शीतल से
जल के झरने की तरह,,
उसकी बातें, उसके तरीके
उसकी आदतें,उसका काम,,
उसके आस पास रहने से
उमंग, उत्साह साथ होते है,,
शिकन भी ना मासूम सी
दिखती है चेहरे पर उसके,,
हर कोई कायल है उसका
जाम से साकी की तरह,,
वो मीठे मिठे ख्वाब सी है
व्हाइट चॉकलेट की तरह...-
तुम ना मुझे कभी याद करना
ख्वाबों में ही सही बात करना,
उमड़ते बादलों से जस्बात है
विरह सी लगती ये बरसात है,
तुम भीगना, फैला अपनी बाहें
तुम रखना,भीगती अपनी आंखे,
मैं फिर भी मुस्कुराहट लाऊंगा
एक पल में, एक धड़कन में,
तुम ना मुझे कभी याद करना...-
कुछ अनछुआ सा था
कुछ अनकहा सा था,
माना वो मेरा था नहीं
दिल, यूं ही थमा नहीं,
आज मायूसी साथ है
खाली खुद का हाथ है,
आज ना देखा फिर से
पीछे बस के उड़ाते धूल,
बेशरम मेरे ये खयाल
रूठे कही बेहिसाब है ,,,-
देखो ना ये रोशनी
जैसे हम ओर तुम हो
किसी झील के बीच ,,
एक कश्ती पर सवार
पूर्णिमा का वो चांद,,
होले से उठती लहर
बाहों का हो पहर,,
एक दूजे के सहारे
एक दूजे की आंखों में,
आसमान के सितारे
चेहरे पर तिल से तुम्हारे,
सुकून की वो घड़ी
देखो ना ये रोशनी.....-
मैं तुम और पंचमढ़ी
धूप में जैसे बरखा
इंद्रधनुष का चरखा,
रेशम सी किरण
हर गांठ पर मनन,
बूंद बूंद से ख़्याल
आंखों में सागर चार,
तितली और जुगनू
लैला संग मजनू ,
प्रेम रंग है निखरा
मिठी सी बरखा,
मैं तुम और पंचमढ़ी..-
मन नहीं तो वहम सही
बातें है जो कम नहीं,,
झूठा है पर ये झूठा नहीं
ख्वाब जैसे सच्चा नहीं,,
एक दिन तो आयेगा
हाथ थाम ले जाएगा,,
किया जो है तुमने
"वादा" है तो वादा सही..-