Deepak Upadhyay   (Deepak_UD)
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Joined 6 May 2019


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19 SEP AT 22:30

देकर उसे हवाला नींद का
गायब खुद की आंखों से हैं,
कैसे ये समझाऊंगा उसको
हाल ना उसकी बातों से हैं,
मासूम है कोमल बहुत वो
टूटेगा दिल, की मैं जग हूं,
वो भांप लेती है रफ्तार
मेरी बढ़ती धड़कनों की ,
उसे कैसे यकीं दिलाऊं
बदला कुछ भी नहीं,,
यकीनन उसे लगता है
कि मैं बंध गया हूं उससे,
पर मैं तो जुगनू हूं जो
रोज हवा से बतियाता है..

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17 SEP AT 22:12

बहुत अजीब दौर है ये उलझनों का
शायद शब्दों से गुत्थी को बता सकूं,
कुछ तो मन को है ताड़ रही
कुछ तो सर को ही फाड़ रही,
कुछ ये समझ की देन हैं
कुछ ज़ुबान की ये देन है,
कुछ अपने आस पास के लोगों की
तो कुछ जलन, ईर्ष्या, उन्नति की,
कुछ हमारे ख्वाबों की है
तो कुछ हमारे ख्यालों की,,,
कुछ ये प्रेम के धागों की,,,,,,,
तो कुछ ये खून के रिश्तों की ,
कुछ ये मोह की है तो,,,,,,,,
कुछ ये माया की है ,,,,,,,
हम भी जूझते रहते है
इन उलझनों में कहीं,
ये सोचते कि दाल हमारी गल गई
भले दाल हमारी जल जाती है.....

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16 SEP AT 21:12

उसकी बेचैनी , मेरी व्यस्तता,,
खाली लिफ़ाफ़ा, हंसता चेहरा,,
मेरी मजबूरी, उसका इंतजार,
आफ़त जैसे , कोई मुलाकात,,
उसकी मुस्कान, मेरी पहचान,
उसका अंदाज, मैं हूं बेबाक,,
भाव उसके अंदर, मै बवंडर,
उसकी आंखे,, दवा हजार,,
मेरी बातें,, मन का उपचार,,
कुछ सुलझी , कुछ उलझी,
खुद गिरी,, खुद संभाली,,
ऐसी नटखट, वो चुलबुली,,
दाल और भाती, वैसे साथी,
एक आंच पर, पके सखा सी..

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15 SEP AT 22:08

देखा , अनुभव किया है..........
मायूसी अक्सर हौसले तोड़ती है

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13 SEP AT 22:03

आज ना फिर एक उम्मीद जागी
सुई और धागे की गांठ एक लागी,
मुलाक़ात की एक राह फिर जागी
भरी दुपहरी बरसात की झाड़ी लगी,
ख्याल ना इंद्रधनुष के जैसे हो गए
रंग बिरंग गुब्बारे हवा में खो गए,,,
खैर मायूसी में घर तो जाना ही था
ये मुलाकात बस एक बहाना ही था,
वैसे ना उम्मीदें, ख़्याल सब मीठे होते
खैर मीठा तो वो मक्खन बड़ा भी था,

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13 SEP AT 8:27

छोड़, बांध सर पर कफ़न
हेलमेट तुम लगाओ मित्र,,
जीवन बहुत अनमोल है
बैठे पीछे जो उसे पहनाओं,,
उपयोग हो सीट बेल्ट का
उपयोग ना हो संचार साधनों का,,
तुम सिर्फ केवल चालक नहीं
सबके जीवन के रक्षक भी हो,
ना चलो कभी उल्टी दिशा पथ पर
ना किसी के जीवन भक्षक कहलाओ,
वाहन हो निर्धारित गति में ही
हर मोड़ पर संकेत देते जाओ,,
दुर्घटना से देर भली तो आम है
देख रही रास्ता कोई नन्ही जान है,
नवाचार चलो तुम अपनाओ
पथ प्रदर्शक तुम बन जाओ
मध्य प्रदेश को सड़क दुर्घटना में
अंतिम स्थान पर तुम लाओ......

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13 SEP AT 1:06

हसरतें अचानक यूं बढ़ जाएगी
मुलाक़ात भी किस्सा बन जाएगी,
तुम आए और साएं से चल दिए
आंखे ये किसका पता लगाएगी,,
ये बेबाकी, ये मासूमियत, ये अदा
संग ये बारिश क्या रंग लाएगी...

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11 SEP AT 22:58

ना जाने किस भ्रम में जीता रहता है इंसान
मैं वही जो मिलने मिट्टी में जाता है शमशाम

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10 SEP AT 21:38

सवाल कुछ मन में जागे है
कुछ अधूरे कुछ दूर भागे है,
जिन्दगी क्या जिम्मेदारी है
अस्तित्व की खोज जारी है,
क्या मैं ही चिंता का विषय
या चिंता मेरे विषय में है,,
मन भटकता कोसों दूर तक
उसे बहलाना की कहानी है,,
क्या मेरा कोई जोर नहीं
क्या मेरा अपना वक्त नहीं,,
मैं उन्मुक्त हो उड़ जाऊं
दायरे में ही क्या निभानी है,,
सवाल कुछ मन में जागे है
कुछ अधूरे कुछ दूर भागे है,

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9 SEP AT 20:43

दर्द ये सीने में नहीं
दिल में है.........
इंतजार आंखों में नहीं
ख़्याल ख्वाबों के है,,,
बीता वक्त मायूसी में
खुशी उसके आने में है,
माना मैं पागल सही
पागलपन इश्क़ में है,,
देखती रास्ता बाहें भी
देरी तो बस मुझमें है,,
नम आंखे, सूखे होंठ,
रूखी त्वचा,उलझे बाल,
ये काम का बोझ
ऊपर से तू सरफरोश,
तु कोई मल्टीविटामिन
कमी विटामिन की मुझमें है..

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