Deepak Upadhyay   (Deepak_UD)
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Joined 6 May 2019


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10 HOURS AGO

Thanks for Being the Part of my Bad Diaries

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YESTERDAY AT 22:15

चलो ना साथ कहीं
वक्त हम बिताते हैं,
तुम भोर सतरंगी
मैं कलरव पक्षियों का,
चलो ना इस भोर को
सुकून बनाते है,
वक्त हम बिताते है,
तुम बहती हुई नदी
मैं बीच ठहरा शीला,
चलो ना टकरा मुझसे
प्रेम का वेग बढ़ाते हैं
वक्त हम बिताते है,
मैं गढ़ कोई आमेर
तुम मंदिर मीरा का
चलो प्रेम को हम
अमर बनाते है,
वक्त हम बिताते है..

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1 AUG AT 21:48

उसे लगता है मै बंटा हुआ हूं
पर मैं तो सबसे कटा हुआ हूं,
जाने कितनी भावनाएं गुजरी
जाने कितने बवाल मचते रहे,
मैं अभी वही अडिग खड़ा हूं
जहां में जड़ की तरह रहा हूं,
खुद में बिखरा, खुद सिमटा
खुद को पाषाण खंड बना,,
वक्त की धूप में जो बहकर
दूर हुई नदियां और झरने,
करते वो आज शिकवा है
बना दूरी किस ऋतु की तरह,
फिर भी मैं एक प्रेम जड़ से
बंधा हूं पूर्ण समर्पण से,,
जैसे कल ही लिया जन्म
इस अबोध प्रेम ने पुनः..

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31 JUL AT 23:58

मन तो बहुत करता है मेरा
कहीं हाथ पकड़कर चले
इन वादियों में खोकर कभी,
एकान्त जो बस प्रेम से भरा
जो बस हम दोनों से बना हो,
एक धुंध जो हमारी तरफ है
जो इशारा है गुम हो जाने का,
ये हवा, बहता पानी, ये शांति
ये प्रेम का स्पर्श रूह को होता,
हाथों में बांध हाथ फोटो लेना
पानी में डाल पैर वक्त बिताना,
ये वैसा ही कुछ है कि जैसे
थिएटर में कोई मूवी देखते हो,,
मन तो बहुत करता है मेरा......

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30 JUL AT 19:33

उसकी ना, ना करना
आदत में शुमार है,
फिर भी कहीं ना कहीं
मन के किसी कोने से,
आवाज वो भी देती है
मान वो भी लेती है,,,
उसके होठों की मिठास
शहद सी लगती है,
मैं भी ना मक्खी की
तरह रम जाता हूं,,,
खैर अभी तक ना
मिठास काबिज है
शहद जैसे होठों की..

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29 JUL AT 23:55

कुछ नई सी है
कुछ सुलझी है,
है दिलकश बड़ी
नजाकत भी है,
बिखेरती अदाएं
मन भटकता भी है,
कुछ कसक है
कुछ तलब है,
ख्याल उलझे है
जुल्फों में तुम्हारी,
आंखे परेशान है
दिल हैरान है
डूबने को
आंखों में तुम्हारी..

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28 JUL AT 22:40

जो दिख जाए तेरी सुरत तो क्या बात हो
ये रात,बारिश और उफ्फ क्या जस्बात हो..

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28 JUL AT 22:38

जो दिख जाए तेरी सुरत तो क्या बात हो
ये रात,बारिश और उफ्फ क्या जस्बात हो..

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28 JUL AT 22:37

जो दिख जाए तेरी सुरत तो क्या बात हो
ये रात,बारिश और उफ्फ क्या जस्बात हो..

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27 JUL AT 23:14

जो होती तु ग़ज़ल
तो मै गा लेता......
जो होती तु नींद
तो ख्वाब सजा लेता ..
जो होती तु किरण
आस मिलन की लगा लेता,
जो होती तु मयकशी
जाम होठों से लगा लेता,
जो होती तु इत्र
अंग से तुझे लगा लेता,

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