इश्क भी लिखता हूँ, राजनीति भी लिखता हूँ ,
दिल की बातें और सियासत की नीति भी लिखता हूँ ।।-
मौजूदगी की चाहत तो सबको है ,
पर न होने का एहसास किसी को नहीं ।।
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जीवन गुजर रहा है सुकून की तलाश में ,
जब से आ गए हैं गाँव से शहर के मकान में ।।-
वक़्त बहुत है बात करने के लिए,
मगर अब वो साथ नहीं है बात करने के लिए।।
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महीनें के कुछ दिन ही हमारी मुलाकात होती है,
रोज़ मिलने के दौर में बस फ़ोन पर बात होती है,
बहुत इच्छा होती है तुम्हें सामने से देखते रहने की,
कैसे बताऊँ, तुम्हें देखे बिना मेरी क्या हालात होती है।।
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गिनती के कुछ दिन ही हमारी मुलाकात होती है,
रोज़ मिलने के दौर में बस फ़ोन पर बात होती है,
बहुत इच्छा होती है तुम्हें सामने से देखते रहने की,
कैसे बताऊँ, तुम्हें देखे बिना मेरी क्या हालत होती है।।
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हाथों में हाथ थामे, हम दोनों चल पड़े साथ ,
यूं ही बिताएंगे, जीवन के हर अच्छे-बुरे हालात ।।-
मैं, सफर और मंज़िल, तीनों ही तन्हा हैं ,
इसलिए जीना, जीवन का हर एक लम्हा है ।।
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हार को गले लगा, जिसने खुशी से रास्ता बनाया ,
वही है असली विजेता, जो दर्द में भी मुस्कुराया ।।-
माँ करती है जितिया, पत्नी करती है तीज ,
इनके आशीर्वाद, प्यार से सुरक्षित है ये नाचीज ।।-