खुशानासिब है वो
जिसके सर पर
माँ का हाथ है-
ये लकीरो का खेल तब तक है जनाब ,,,,,
जब तक शरीर मे जान है,,,,,
मरने के बाद तो जाना सबको शमशान है,,,,,,
वहाँ जल जाती है सब नसीबो की लकीर,,,,,
वहाँ क्या अमीर क्या फकीर।-
मैं सवाल को जवाब कहूं
और जवाब को सवाल
तो इसमें कोई ऐतराज नहीं......
मैं तो आज भी वही हूं
मुझमें कोई राज नहीं......
ख़ामोशीयो को समझो मेरे
उसकी कोई आवाज नहीं......
मेरे दिल में उतरना चाहते हो
पहचानो मेरे अल्फाजों को सही......
जो निखरा हैं मेरे अल्फाजों से
आज भी हैं मेरे दिल में वहीं......
धड़कन को समझना चाहते हो मेरे
पर हर किसी के समझ आ जाऊं
ऐसा मेरे नसीब का राज नहीं......-
न जाने वो कोन तेरा हबीब होगा
तेरे हांथों में जिसका नसीब होगा
कोई तुम्हे चाहे ये कोई बड़ी बात नही
लेकिन तुम जिसको चाहो वो खुश नसीब होगा-
परिवार से अलग होकर...
जिंदगी में हम चाहे जितना भी किसी को खुश कर ले,
आखिर में हमें सिर्फ पछतावा और आँसू ही नशीब होते हैं।-
शाम धीरे धीरे ढल ती जाती है
रंगमंच के पर्दे गिरते जाते है
न जाने कितने हजार रंग
इक रंग में घुलते जाते है
देख सितारों का दम
जल के उजाले जगाते है
पूर्णिमा वाले चाँद में
महबूब के ख़्याल बुने जाते है
निशा की जुस्तजू देख
उल्लू नशीब वाले कहलाते है
हर रोज़ की तरह
ये ख़्याल मुझसे मिलने आते है-
दोस्त - :
हम चाहें..
किसी के सामने..
कितना भी मिन्नतें कर ले..
जो हमारी किस्मत में नहीं है..
वो रोने से भी नहीं मिलता है....!!-