इश्क़ में कुछ ऐसा काम कर दूं...
दो दिल एक जान है,
ये बात सरेआम कर दूं...
चुटकी भर सिंदूर से,
मैं तुझे अपने नाम कर लूं...-
तुम्हारे माथे की लाल बिंदी मुझे कत्थई कोविड-19 की रेड जोन नजर आती है,,
मेरे शरीर की एक-एक कोशिकाएं तुम्हारे वायरस में लिपट जाना चाहती है..!!-
आयी हूँ मैं ब्याह तेरे घर, बस पैसों से ना तोल मुझे
बिटिया के सम प्यार उड़ेलो ना कटु वाणी बोल मुझे
उस घर की लक्ष्मी थी मैं,बन यहाँ की लक्ष्मी आयी हूँ
बढ़ा सकूँ कर्मों से मान, रखो ह्रदय का पट खोल मुझे
छोड़ जन्म के मात-पिता को, धर्म से नाता जोड़ी हूँ
कर के माफ मेरी नादानी को,देना स्नेह अनमोल मुझे
भूल के बातें पीहर की मैं, तेरे प्यार में ही रंग जाऊँगी
सीधे सरल शब्दों में बताना,आती नहीं बातें गोल मुझे
अनभिज्ञ हूँ रीति-रिवाजों से, प्रेम से सब सिखला देना
कर दूँगी न्योछावर जीवन ना बना निंदन का ढोल मुझे
चुटकी भर सिंदूर मिला और मिली नई जिम्मेदारियां
नई-नवेली दुल्हन हूँ अभी,सीखने दो बहु का रोल मुझे।-
अपनी गली से मुझे गुज़रता देख रास्ता ही बदल दिया,
वो जो कहते थे दुल्हन बना कर तुम्हें इस गली में ले आएँगे हम।-
लाल जोड़े में सज कर दुल्हन मैं बनकर
चली अब मैं अपने पिया के संग
हाथों में उनके नाम की मेहंदी रचाकर
जलते बुझते कुछ एहसासों को लेकर
चली अब मैं अपने पिया के संग ।१।
दिल में है उनके नाम की उम्मीदों से
भरे कुछ जज़्बात
और आंखों में ख्वाहिशों की सेज सजाकर
चली अब मैं अपने पिया के संग ।।२।।
बाबुल का आंगन छोड़कर उनके घर की
शोभा कहलाऊंगी
लाल जोड़े में सजकर
चली अब मैं अपने पिया के संग ।।।३।।।
अपने माथे पे उनके नाम की लाल सिंदूर
जब सजाऊंगी
गले में उनके नाम का मंगलसूत्र पहनकर
दुल्हन होने का अपना हर फर्ज़ निभाऊंगी
चली अब मैं अपने पिया के संग ।।।।५।।।।-
बोल बोल तेरी क्या है माया ?
हमको तो तेरे रूप ने भरमाया
कविता👇
केप्शन ..-
मेरे झुमके संग तेरा दिल भी झूल रहा है
लेकिन अच्छा है इसी बहाने मेरे गर्दन को चूम रहा है
मेरे नाक की नथनी जो मेरे नखरे उठा रही है
लेकिन इसी तरीके से तेरे ख्वाहिशें जता रही है
मेरे मंगल सूत्र जो गले लग सोभा दे रही है
लेकिन अच्छा है मुझे तेरा हमसफर बता रही है
मेरे चूड़ियां जो मेरे हाथों में खनक रहे है
लेकिन अच्छा है तेरे जीबन को खनका रहे है
मेरी मेहंदी जो हथेली को महका रही है
लेकिन तेरे जीबन को रंगों से सजा रही है
मेरे सिंदूर जो मुझे और भी मोहक बना रही है
लेकिन अच्छा है मुझे तेरा बता रही है-
दुल्हन
बनकर तुम्हारी दुल्हन आज मैं, खुद से इतरा रही हूँ,
किया है आज मैंने सोलह श्रृंगार, पर खुद से मैं शरमा रही हूँ.....
(Read In Caption)
Dedicated to My Lovely friend and my Inspiration dear Anupama Semwal-
जबरदस्ती बंधन में ना बांधों, बिटिया की ख़ुशी भी देखो।
उसको भी मालुम है दूसरी जगह आशियाना अपना बसाना है।।
पहले उसको उस लायक बनना है तो बनने दो ना।
एक बार ही दुल्हन बनना है, उसकी भी मर्ज़ी से रश्म निभाओ ना।
जयमाला पहनाए हस्ते - हस्ते उसकी भी होंठो की ख़ुशी ध्यान में रख लो ना।।
क्या फ़ायदा सब हॅंस रहे हो और वो अकेले घूॅंघट के पीछे रोए।।
जी लेने दो उसको भी, एक मुस्कान दे दो उसको भी।।-
एक रस्म शादी की ऐसी भी निभाई जाय
न इज्जत दाँव पे हो न पगड़ी उछाली जाय
दुल्हन से चिपका 'दहेज' शब्द ही मिटा दी जाय
और थोड़ा स्वाभिमान दूल्हे में भी जगा दी जाय-