गुड़िया बोली आज फिर, मेरे प्यारे डैड ।
नहीं चाहिए नोटबुक, ला दो आई पैड ।।
ला दो आई पैड, बहुत भारी है बस्ता ।
अब मत देखो दाम, मिले महँगा या सस्ता ।।
मेरी नन्हीं जान, दिला देता यह डिबिया ।
मगर तुम्हारी उम्र, अभी छोटी है गुड़िया ।।-
नज्म में मेरे "जादू" हो , सबके दिल की "... read more
चिन्नी चिड़िया ने किया, चुनमुन को ई मेल ।
चलो घूमने मॉल में, लगा हुआ है सेल ।।
लगा हुआ है सेल, नहीं होगी बर्बादी ।
लेंगे महँगा ब्रांड, लगेगी क़ीमत आधी ।।
टॉफ़ी चोको चिप्स, खिलौने लेगी मिन्नी ।
लेकर डेबिट कार्ड, चहकती चल दी चिन्नी ।।-
गगन छोड़ सूरज चला, दूर क्षितिज के पार ।
चुपके से संध्या चली, करने को अभिसार ।।-
दर्द के नग़मे यहाँ भी गुनगुनाने के लिए
आ गए हम रौनक-ए-महफ़िल बढ़ाने के लिए
मेरे हमदम हमसफ़र अब आ भी जाओ बाम पर
आ गए हैं चाँद-तारे झिलमिलाने के लिए
कोई भी तदबीर या चाराग़री बतलाइए
जह्न-ओ-दिल से दाग ज़ख़्मों का मिटाने के लिए
कौन समझेगा हमारे ज़ब्त की अज़मत यहाँ
खाए कितने ज़ख़्म रिश्तों को निभाने के लिए
गर मुहबत से मुहब्बत हो गई है आपको
हर घड़ी तैयार रहना ज़ख़्म खाने के लिए
इक नज़र बस देख लेने से मुरस्सा हो गयीं
शुक्रिया दिल से तेरा ग़ज़लें सजाने के लिए
ज़ीस्त की जद्दोजहद से रोज लड़ती है 'विभा'
रोटियाँ दो वक्त की घर रोज लाने के लिए-
नज़र मिलाकर मुझे लुभाए
बिन बोले सब कुछ कह जाए
कहे कहो मत ए जी, ओ जी 🤗
ऐ सखि ! साजन ? नहीं, इमोजी !!
बात-बात में करे इशारा
कहे इशारे में वह सारा
बेहद बुरी फंसी मैं लो जी 😝
ऐ सखि ! साजन ? नहीं इमोजी !!
कभी हँसाए कभी रुलाए
कभी हवा में प्यार उड़ाए
पुनः सताने आया लो जी 🤩
ऐ सखि ! साजन ? नहीं इमोजी !!
तरह तरह से मुँह बनाए
बात इशारों में बतलाए
कहे भाव तुम खुद समझो जी 🤐
ऐ सखि ! साजन ? नहीं इमोजी !!
वो चाहे तो मुझे रिझाए
वरना मुझको आँख दिखाए
उसकी तो मत बात करो जी 😏
ऐ सखि ! साजन ? नहीं इमोजी !!
_Vibha-
लिखा धरा ने आज फिर, प्रिय बादल को पत्र ।
खुशियों की वर्षा करे, यत्र-तत्र-सर्वत्र ।।-
अपनी हर नादानी छोड़ो
ऐ बादल मनमानी छोड़ो
जमकर बरसो आज धरा पर
अब तो आनाकानी छोड़ो
आग लगाई है सूरज ने
कर के पानी-पानी छोड़ो
ताक रहे हम तेरा रस्ता
बातें अब बेमानी छोड़ो
पोर-पोर नम हो यह मौसम
ऐसी आज निशानी छोड़ो
उमड़-घुमड़ कर आओ बादल
शरारतें शैतानी छोड़ो-
काले-काले बादल आओ
झूम-झूम कर जल बरसाओ
प्यासी धरती प्यासी गैया
प्यासी मेरी सोन चिरैया
ज़र्द हुए पेड़ों के पत्ते
दादुर मेढ़क ताकें रस्ते
आकर उनकी प्यास बुझाओ
काले-काले बादल आओ
गेंहूँ जौ की बाली तरसे
कोयलिया भी काली तरसे
आँख जमाए बैठा पीपल
जाने कब तक बादल बरसे
और नहीं उनको तरसाओ
काले-काले बादल आओ-
सुधरें बुरे हालात तो हम चैन से सोएँ
आए खुशी की रात तो हम चैन से सोएँ
दुख की न हो इफ़रात तो हम चैन से सोएँ
सुख की मिले सौग़ात तो हम चैन से सोएँ
जारी है इन आँखों से जो दिन-रात मुसलसल
रुक जाए ये बरसात तो हम चैन से सोएँ
करने लगे हैं वार अब अपने ही सगे लोग
रिश्तों में हो असबात तो हम चैन से सोएँ
मिल-जुल के रहें हम 'विभा' अम्न-ओ-अमाँ के साथ
चोटिल न हों जज़्बात तो हम चैन से सोएँ-
दर्द-ए-दिल को साज़ बनाने बैठे हैं
कल से बेहतर आज बनाने बैठे हैं
ढाल के गीतों में ग़ज़लों में नज़्मों में
भावों को अल्फ़ाज़ बनाने बैठे हैं
नाप सके नभ का हर कोना इसीलिए
सपनों को शहबाज़ बनाने बैठे हैं
नफ़रत करने वालों को भी प्यार मिले
ऐसा नया रिवाज़ बनाने बैठे हैं
कोई रहबर मिला नहीं जब सच्चा तो
दिल को चारासाज़ बनाने बैठे हैं
जहाँ छुपा लें तुम्हें जहां की नज़रों में
दिल में एक दराज़ बनाने बैठे हैं
आज तनिक संतुलित है मन अपना तो
सारे बिगड़े काज बनाने बैठे हैं-