ईद के चांद की तरह
इश्क़ होता नहीं तुमसे दिलोजान की तरह-
कभी ना कभी वो मेरे बारे में सोचेगी जरुर!
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कि हासिल होने की उम्मीद न थी
फिर भी मोहब्बत करता था।
कितना सच्चा आशिक था वो
मुझे पे दिलो-जान से मरता था।-
मैं चाहता जिसे था दिलो जान से ज़्यादा
पा कर उसे बाहों में जैसे होश खो गया
महबूब ने पुर-इश्क़ नज़र से मुझे देखा
दुनिया का न रहा मैं,फ़रिश्ता ही हो गया !!-
जिस्म-ओ-जान से जिंदा हूँ,मगर दिल-ओ-दिमाग से इंतकालिया।सरकशी-ए-जिस्म आग़ोश में आया जब से, हुआ मुसीबत-ए-दिवालिया ।
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दिलो जान से हम एक हुए थे
फिर तमाशे भी अनेक हुए थे
हम तुम पर दिल फेंक हुए थे
प्यार के बहुत से रिटेक हुए थे-
चाहत
चाहा तो था मैंने भी
मिसाल हो मेरे प्यार की भी
संगमरमर के ताजमहल जैसी
मुमताज़ बन कर प्यार किया मैंने
मगर प्यार किया जिसे ना बन सका वो
शाहजहान
Read caption-
तुम्हारी गिरफ्त मे हैं दिल-ओ-जा हमारी,
इसके बदले चाहिए सारी तवज्जो तुम्हारी...🫀🤌
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" दिलोजान "
आप को प्यार किया ,
दिलोजान से करते रहेंगें ।
आप हमको मिलो ,
ना मिलो कोई बात नही ।।
हम तो आप पर ,
ऐसे ही मरते रहेंगें ।
आप के इश्क़ में अपनी ,
जिंदगी फ़ना करते रहेंगें ।।
स्वरचित - Shweta Garg-
गर तुमको मोहब्बत है उनसे दिलोजान
तो हम भी कसम से मरते तुम पर मेहरबान-