QUOTES ON #दादीमाँ

#दादीमाँ quotes

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23 APR 2022 AT 7:09

दादी माँ
कृपया अनुशीर्षक पढ़े.....

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3 MAY 2022 AT 8:06

माँ ममता का सागर है तो प्रेम का अथाह भण्डार है दादी माँ
डांट प्यार का अनूठा संगम है दादी माँ
गुस्से से लाल जब वो तेज़ आवाज़ में चिल्लाती है
उसके रोब से स्वयं धरा भी कंपकंपाती है
अब जो पड़ी हो बिस्तर पर तो अच्छा नहीं लगता
उठो फिर से लाड लडाओ न दादी माँ
तुम आकर सिर पर हाथ रख दो
ठीक है सब कह फिर से डांट लगाओ न दादी माँ
अब वापिस घर आ जाओ न दादी माँ......🙁

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#मैं, दादी और कुत्ता

दादी की हर बात मानने का जुनून था,
फुर्तीला बहुत ही वो बचपन का खून था।

बची-खुची रेत पड़ी थी, कुछ हमारे घर में,
एक झुंड था कुत्तों का उसी की शरण में।

देख उड़ती रेत मुझको दादी ने हुँकार दिया,
ले दादी का डंडा मैंने कुत्तों को ललकार दिया।

भागते देख कुत्तों को मैं वीर बन गया,
वो छोटा डंडा दादी का शहतीर बन गया।

फेंक के डंडा मैंने फिर कुत्तों पर प्रहार किया,
देख निहत्था मुझको अब कुत्तों ने पलटवार किया।

वो काटने से पहले बहुत जोर गुर्राया था,
बंद थीं मेरी आँखें, पर लोगों ने बचाया था।

घुटने से ले के तलुवे तक बहुत खून बहा था,
पूछने पर माँ से बोला दादी ने ही कहा था।

ममता-वश माँ ने उनको भला-बुरा सब कह दिया,
बिना गलती के दादी ने चुपचाप सब सह लिया।

माँ के डर से सारी गलती दादी पर मैं थोप दिया,
झूठ बोल पापों का छुरा अपने दिल में घोंप दिया।

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18 DEC 2021 AT 17:28

कल जो बड़े शौक़ से सुनते थे कहानियां बच्चे।
अब मिलते है तो कई कहानियां बनाते है।

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आज भी...
संदूक जब उसकी खोलता हूंँ, तो खुशबुओं से महक जाता हूंँ
वो भी आशीष सारा मुझ पर उड़ेल कर, मेरे हृदय को पावन कर जाती है!
मेरी दादी..❣️

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वो बचपन में सुनते थे हम
अपनी दादी माँ से परीकथा
जिसमें होती थी परियां बहुत खूबसूरत
वो बताती थी कि परियां चाहें जो कर सकती थी
छड़ी घुमाकर किसी को भी कुछ भी बना सकती है
सिंड्रेला की कहानी परियों से जरूर मिलती थी
दादीमाँ सुनाते सुनाते कहानी नजाने क्या बुनती थी
शब्दों को जोड़कर हमें भावुक कर देतीं थी
हमें ऐसे कहानी सुनाती थी ,हमें उत्सुक कर देती थी
हम पूछते थे दादी माँ फिर क्या हुआ ,परी ने फिर क्या किया ?
जब ज्यादा खुश होती थी तो खिलखिलाकर कहती थी
तुझे परी जैसी बहु लाकर दूंगी
और मैं डर जाता था सहम जाता था
कहीं परी छड़ी घुमाकर मुझे कुछ और न बना दें
कहानी जो दादी माँ सुनाती थी
वो हमें सच्ची लगती थी
उनकी हर बात हमें अच्छी लगती थी
उनसे हमारा दिल का नाता जुड़ा था
उनकी गोद में ही जाना था ,परी का रूप
उनका स्वरूप ,उनका देश ,उनका वेश
वो कितनी खूबसूरत थी ,वो क्या कर सकती थी
सबकुछ मेरी दादी माँ मुझे प्यार से सुनाती थी
अपना सारा दुलार कहानियों पर लुटाती थी ।

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25 MAY 2020 AT 8:44

◆ईद आज की ईद◆
आज ईद के अवसर पर प्रेमचंद द्वारा रचित ईदगाह कहानी का पात्र हामिद याद आ रहा। मानो ये कितनी बड़ी जरूरत है आजकल के पीढ़ी के बच्चों के लिए।
हर घर में हामिद जैसे बच्चें और अमीना जैसी दादी मां तो है पर इतना बच्चों के पास वक्त नही क्योंकि वो इस नए जमाने के नए रंग में घुल चुके है आधुनिकता के साथ साथ रिश्तों की कद्र भी भुल गए हैं।
आज फिर उन्हें ये सिखाये की उन्हें कैसे आधुनिक वस्तुओं के प्रयोग के साथ साथ घर के लोगो से कैसे घुले मिले और उनसे भी दो वक्त बैठकर बात करें।
हामिद जैसे प्रेम और स्नेह की हर घर की अमीना दादी माँ को जरूरत है।

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27 JUL 2021 AT 13:14

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28 MAY 2020 AT 5:52

चाय की लत विरासत में मिली है‌ दादी माँ से😌
भला कैसे छूट सकती कभी ये😍❤

शुभMorning☕☕

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भरी दुपहरी में चलती बड़ी तेज हवाएंँ थी
सरपट-सरपट कानों को वीरानगीं बड़ा सताती थी
विरानगी को पूर्ण करती रोज नई कहानी थी
दादी-पोते की जमी हुई महफ़िल बड़ी सुहानी थी

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