सफ़रनामा   (Mazubaan_shayer)
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Joined 15 March 2020


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Joined 15 March 2020

खोए हो किसी तलाश में तुम,
लगता है कहीं कुछ छूटा है।

हैरान मत हो वक्त के हालात से,
ये दिल जो तुम्हारा टूटा है।

पा लिया है उसने तुमसे बेहतर,
और तुम्हे लगता है वो रूठा है।

उसने दिल नहीं,दिमाग़ लगाकर,
तुम्हारे सच्चे प्रेम को लूटा है।

तुम्हारा इश्क़ तो सच्चा लगता है,
मगर उसका प्यार भी झूठा है।

"मेराज अंसारी"

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1 DEC 2024 AT 17:53

When she says- we can't meet,

Me- बनकर अल्फ़ाज़ शायरी के किताबों में मिलोगी,
गर हो दुनिया का डर तो मेरे ख्वाबों में मिलोगी,
आएगी हवा जब भी तुम्हारी गली से होकर,
छू लोगी मुझे और मेरे सांसों से मिलोगी।

"मेराज अंसारी"

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4 NOV 2024 AT 11:39

ये सदा आई दिल के गलियारे से,
तेरी याद इत्र सी,कि खुशबू जाती नहीं
"मेराज अंसारी"

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3 NOV 2024 AT 14:14

जब भी कभी मैं इस जहां से परेशान होता हूँ,
दुआ के लिए सबसे पहले हाथ उठाती बहन है।

मेरी आंख में कभी आंसू जो देखा,
खुद भी गम में डूब जाती बहन है।

मुझे याद अपने कॉलेज का वो दौर,
चुपके से रुपए जेब में डाल जाती बहन है।

कभी मां तो कभी बाप बन जाती,
अपने इस रिश्ते को हर रूप निभाती बहन है,

कभी जो देखा मुझे लड़ते हुए किसी से,
इक अटूट ढाल सी बन जाती बहन है।

कभी जो तंगदस्ती सताए, तो बुला लेना,
खुदा की रहमत बनकर आती बहन है,

उठता चलने को और फिर गिर जाता "मेराज"
जिसने चलना सिखाया वो मेरी बहन है

मेराज

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29 OCT 2024 AT 12:17

कई सवालों का काफ़िला मेरे साथ है,
हां ये ज़िन्दगी अजूबों के साथ है।

एक सवाल उठता है, दफ्तर जाते वक़्त,
घर के अलावा भी कई बोझ साथ है।

लोग मिलते हैं, फिर छोड़ चले जाते है,
उन्हें क्या पता उनकी कई यादें साथ है।

वो अपने के सितम और तपती धूप के कर्म,
दिल के घाव के साथ और भी घाव साथ है।

तमन्ना ये है कि भर लूं उसे बाहों में "मेराज"
फ़क़त वो नहीं बस उसकी मुलाकाते साथ है।

मेराज अंसारी

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1 OCT 2024 AT 17:48

छोड़ गए हजारों मिलने का वादा करके,
तुम भी जा रहे हो, 2-4 बातें ज़्यादा करके,

इक बात बताऊं तुम्हे, तुम्हारे जाने से पहले?
दिल फिर टूटेगा आधे में आधे का आधा करके।

जा रहे हो छोड़कर,तो रोकूंगा नही तुमको मगर,
ये दिल तड़पेगा,तुमसे मिलने का इरादा करके।

"मेराज अंसारी"

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20 SEP 2024 AT 21:52

आना तो पूरी ज़िंदगी साथ लेकर आना,
अब मेरे दिल में किरायेदार नही बस्ते।

हक़, मोहब्बत, वफा के रंग में आना,
इश्क़ के शहर में अदाकार नही बस्ते।

और इश्क़ है तुमको, थोड़ा सब्र रखो,
यूं महफिल में तलबगार नही बस्ते।

हर झूठे अक्स पर सच का परदा है,
यहाँ किसी मन में सच्चे यार नही बस्ते।

ज़ुल्म,झूठ,सच, सब दबा देते है "मेराज"
अब हर घर में सच्चे अखबार नही बस्ते।

"मेराज अंसारी"

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19 SEP 2024 AT 14:53

मिले थे जब हम पहली दफा, वो सारी बातें याद हैं,
क्या क्या कही थी धड़कन ने, सारी जज्बाते याद है।

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17 SEP 2024 AT 14:54

अभी जो रूठे है ख़्वाब उन्हें मनाने में लगा हूं।
खुद को किसी नजरों में आज़माने में लगा हूं।

पूरे होंगे ख़्वाब, ओर पास होंगे हम उनके भी,
बस यही बात दिल को समझाने में लगा हूं।

दिखती हैं उन्हें मेरी रूठी रूठी सी बातें,
जबकि उन्हें खुद के अंदर समाने में लगा हूं।

ख्वाहिशें पूरी करूंगा चुन चुन कर उनकी,
फकत अभी मैं दिन रात कमाने में लगा हूं।

मिलन होगा मेरा कभी न कभी तो उनसे,
इसी आस में हर रात सजाने में लगा हूं।

और नही भाता कोई भी मेरे उस दिल को,
एक नूर को आंखों में बसाने में लगा हूं।

"मेराज अंसारी"


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20 AUG 2024 AT 12:31

लोग पूछते है, क्या है वो, तुम्हे प्यार,
कैसा ना मिला।
ढूंढते रहते हो उसे, क्या तुम्हे प्यार,
ऐसा ना मिला।
अब क्या बताऊं ज़माने को उसकी,
अदा के बारें में।
लोग तो ढेरों मिले इस जहां में,मगर उस,
जैसा न मिला

'मेराज अंसारी'

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