मेरी कल्लो 😍😍
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📌. Executive Engineer @ NTPC
📌. NAVODAYAN😍
📌. From: ल... read more
आँखें ही जब सूखी हों
तो अश्रु कहाँ बह पाएगा,
जब मापोगे पैमाने पर,
तो प्रेम कहाँ रह पाएगा।
जन्म लिये जो फूलों पर
जिनके बिस्तर थे मखमल के
जिसने न सहा हो कांटों को
वह जुल्म कहाँ सह पाएगा।
कर्म सभी के काले हैं
लिपटे सफेद परिधानों में
जिसने देखी हो मात कई
एक शाम वही शह पाएगा।
जो रूठ गए और चले गए
जिनका जाना अनिवार्य रहा
उनसे पूछो क्यों जाते हो
वह कारण क्या कह पाएगा।
मिट्टी ही गुणवान रहे तो
मटके- दीये बन पाते,
अगर भुरभुरी हुई मृदा
कुम्हार कहाँ गह पाएगा।
हर लक्ष्य को हासिल वही किये
जिनमें विनम्रता भरी रही
जिससे न ढहा निज दंभ कभी
तो संकट क्या ढह पाएगा।-
नींद पके तो जग जाना
नित्यकर्मों से निवृत्त होकर
फिर से फोन में लग जाना।
🤣🤣-
घनी घाटियों में भटकने चला था,
लताओं सी लिपटी चली आयी तू भी।
तुम्हें क्या पता राह कितनी है दुर्गम,
कि संग में मटकते चली आयी तू भी।
खैर अब साथ हैं तो रहेंगे सदा ही,
तू नखरे करे तो मना लेंगे हम भी।
कभी डर सताए अंधेरे घने का,
तुझे बाँह में यूँ समा लेंगे हम भी।
मैं कभी कोई तुझसे न राज छुपाऊँ,
बहुत प्रेम है कि मैं क्या क्या बताऊँ।
चलो काव्य को छोड़ते हैं यहीं पर,
रही बात दिल की चलो मैं सुनाऊँ।
(अनुशीर्षक में.... ❤️)-
वर्षा बीतने के बाद घास पर पड़ी बारिश की बूँदों से
अपवर्तित सूर्य की किरणों से जैसे
इंद्रधनुषी छटा सा निर्माण होता है।
वैसे ही प्रेम की बारिश में भीग कर मीठी याद रूपी
बूँदों से परिपक्वता की किरणें अपवर्तित होकर
एक इंद्रधनुषी जीवन का निर्माण करती हैं।-
गुलाब के गुलों सी
खिली हुई
सुगंधित
मनमोहक
मनमोहिनी सी
काफी हो तुम
मेरे लिये।
जरूरत नहीं
उस गुलाब की
जिसे भँवरे ने खिलाया है।
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तेरे
नसिका को घेरे
एक अर्धचंद्राकार
नथिया की आभा से
चौंधियाई
मेरी आँखों के सामने
छाये अंधेरे में
एक काया की
झलक देखी मैंने,
वो तुम थीं।
( आगे अनुशीर्षक में ....)
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बह्र: (2212 2212 2212)
तुम बिन यहाँ कोई नज़र आता नहीं।
तेरे बिना कोई मुझे भाता नहीं।।
तुझसे शुरू तुझपे खतम ये जिंदगी,
ये दिल मेरा धुन अन्यथा गाता नहीं।
जब बाँह में अपने समाती हो मुझे,
तेरे सिवा ये मन सुकूँ पाता नहीं।
तन्हाइयों में बैठकर चाहा तुझे,
तन्हाइयों से अब मेरा नाता नहीं।
तुमसे मिले तो जिंदगी समझा जरा,
इसके सिवा है और क्या आता नहीं।-