हिमांशु यादव   (हिमांशु✍🏻)
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Joined 17 November 2017


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Joined 17 November 2017

‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️‼️

कोई एक सारगर्भित विषय का सुझाव दें।
मुझे कुछ लिखना है।
लेकिन क्या लिखना है ये समझ नहीं पा रहा।

🙏🏻🙏🏻

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एक ग़ज़ल आपके लिए❤️





बह्र: 122 122 122 12

रहा 'चाँद' मैं तू रही चाँदनी,
नहीं कोई नभ में सितारा रहा।

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ख़ौफ़ज़दा है दुनिया कब युद्ध छिड़ जाये,
क्यों कब कौन किससे यूँ ही भिड़ जाये।

कहीं चुनावी वादों का बिगुल तो नहीं बजा ?

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फैल गया है
काजल नयनों का
सूरज से पहले।

राह सूनी है
कोई निकल गया
कौन आएगा ?

बादल फ़टे
या नयनों के नीर
सैलाब आया।

हिलते पत्ते
या धड़के हृदय
दोनों नाजुक।

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Arunike❤️

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जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ मित्र
🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂🎂


हँसमुख😬

थोड़ी पागल😇
थोड़ी शैतान🥴

चुलबुली🤪
खलबली🤯

पढ़ाकू📚
लड़ाकू😝

ईश्वर अतिशीघ्र आपको सफलताओं से नवाजे।
Wish you a very happy and Healthy B'day
🎂🎂

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ये दुनिया ही अलग होती, अगर सीधे लड़े होते,
तुम्हारी हार निश्चित थी, अगर यूँ ही अड़े होते।

पले हैं वीर गोदी में, ये नारी शक्तिरूपा है,
अगर सम्मान भूले तो, वही काली स्वरूपा है।

अनेकों वीर गाथाएँ, पली हैं गर्भ में इसके,
कहानी जीत की मैंने, सुनी संदर्भ में इसके।

कहाँ तक टिक सकोगे तुम, बिगुल जब वार का होगा,
यूँ ही आँखें दिखाना जब, समय संहार का होगा।

नहीं डरती, नहीं झुकती, ये अबला है नहीं नारी,
गढ़ा संसार हो जिसने, सुनो! ये है वही नारी।

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मेरी कल्लो 😍😍

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आँखें ही जब सूखी हों
तो अश्रु कहाँ बह पाएगा,
जब मापोगे पैमाने पर,
तो प्रेम कहाँ रह पाएगा।

जन्म लिये जो फूलों पर
जिनके बिस्तर थे मखमल के
जिसने न सहा हो कांटों को
वह जुल्म कहाँ सह पाएगा।

कर्म सभी के काले हैं
लिपटे सफेद परिधानों में
जिसने देखी हो मात कई
एक शाम वही शह पाएगा।

जो रूठ गए और चले गए
जिनका जाना अनिवार्य रहा
उनसे पूछो क्यों जाते हो
वह कारण क्या कह पाएगा।

मिट्टी ही गुणवान रहे तो
मटके- दीये बन पाते,
अगर भुरभुरी हुई मृदा
कुम्हार कहाँ गह पाएगा।

हर लक्ष्य को हासिल वही किये
जिनमें विनम्रता भरी रही
जिससे न ढहा निज दंभ कभी
तो संकट क्या ढह पाएगा।

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नींद पके तो जग जाना

नित्यकर्मों से निवृत्त होकर
फिर से फोन में लग जाना।

🤣🤣

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