मनुष्य हो तुम।
इस दुनिया की रचना तुम्हारे लिए हुई है।
जो तुम चाहो तो धरती आस्मा झुक जाएंगे तुम्हारे आगे।
बदल देंगी नदियां अपना रास्ता, तूफान भी थम से जाएंगे।
और जो ठान ली तुमने तो ये चांद भी आसमां से उतर धरती पे आएगा।
यूं ना भूल जाओ अपने इस पराक्रम को इन छोटी बातो में।
याद रखो ये शब्द मेरे - मनुष्य हो तुम।-
संभाल लिया मन में
चल रहे तूफान को
मगर कैसे संभालु
इन आंखो की बरसात को ?-
तब तक मैं अपना हर फ़र्ज़ निभाउंगी।।
मैं अपना धर्म निभाउंगी
ना आने दूँगी तुम्हारी ज़िन्दगी में
मुसीबत कभी ।।
ना आने दूँगी गम का तूफान कभी
तुम्हारी खुशी के लिए हर
गम खुशी से सह जाउंगी।
मगर तुम्हारा साथ निभाउंगी
जब तक ये ज़िन्दगी चलती है
जब तक साँसे चलती हैं
-
मंज़िल की ओर बढ़ते हुए ये कदम,
ना जाने क्यों अब पीछे भाग रहे हैं।
पहले तूफानों के शोर से डरे नहीं,
अब बहती हवा के मौन से कांप रहे हैं।-
हद से ज्यादा तकलीफ में
भी कोई साथ ना दे ।
अपने गम को बताकर भी
जब कोई राहत ना दे ।
बेखौफ़ वो शख्स खामोश
रहे कुछ पल मगर , डर है
वही तूफ़ान बनकर एक
दिन इतिहास रच ना दे !!-
_पैगाम_
तूफान की शिरकत है
या मौत का पैगाम....
मै इतना खामोश
पहले कभी न था...-
चल सकेगी तो चलेगी सांसे ये मेरी
हवाओं पे पहरा लगने लगा है कही
ये तूफानों ने कितने घरौंदे ले उड़े
बच सके जो बचे बाकी उजाड़ते चले
ये घड़ियां आई हैं कठिनाइयों भरी
लड़ सके जो लड़े बाकी हारते रहे
कह सकूँगी तो कहूंगी बाते ये मेरी
मेरी आह ना बन जाये ये खबर कही
-
पहले आंधियां आई , फिर तूफान और अब बरसात " सुशी "
खुदा को पता चल गया आज, फिर हुई हमारी मोहब्बत की बात !-
सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है
उधर ही ले चलो कश्ती जहां तूफान आया है-