जब तक एक भी तिफ़्ल के सर पर
घर की जिम्मेदारी है
तब तक इस देश मे विकास की बातें
महज़ औपचारिक है
तिफ़्ल: बच्चा-
गिरकर भी संभलेंगे, गर होसला हो बुलंद
उम्रभर के लिये काफि हैं, मिले ये लम्हे चंद
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तिफ़्ल है वो, तभी सवाल बहुत हैं,
कल उसके पास जिम्मेदारियाँ बहुत होगीं ।-
गर तिफ़्लियत भी नहीं रही तेरे ज़ेहन में;
ज़हीन हो कर भी तू जाहिल है...-
गर छूना चाहते हो परवाज़, तो तिफ़्ल बनकर देखों
की मंजिलें वही छू पाता है , जो गिरकर संभल पाए...।-
हाय ये आसमां
जाने कितनों को लुभाता है
जाने कितने करते इसकी ख्वाहिश है
पर तिफ़्ल हुआ करते है
जो करते इसकी ख्वाहिश है
रखने वाले चाहत इसकी
खुद आसमां को झुकाया करते हैं
पर चुकानी होती है कीमत इसकी भी
यूं ही कहां मिल पाता है मजा-ए-जिंदगी
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औरों के टुकड़ों पर पलनेवाले
आग उगल रहें हैं खुद जलनेवाले
उम्र उनकी नहीं है हथियार उठाने की
तिफ़्ल है अभी वो, घुटनों पर चलनेवाले-
वो तिफ़्ल की तरह घुटनो पर चलते रहे
हम तो सूरज थे, जलते रहे
वक़्त के आगे सब की तरह हम भी हारे
कभी उगते रहे कभी ढलते रहे-