Vinay Verma   (Vinay)
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Joined 21 October 2018


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Joined 21 October 2018
12 FEB 2022 AT 11:48

हमारा ना होकर भी, हमारा है.!
तुम्हें ग़ुमां है, वो शख़्स तुम्हारा है.!!
हमारी उदासी का सबब पूछते हो.!
हमको इक लड़की के ग़म ने मारा है.!!

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16 DEC 2021 AT 23:51

हूँ परेशाँ, फिर भी ख़ुद को ठीक कहता हूँ.!
कैसे बयाँ करूँ, तुम्हारे बिना कैसे रहता हूँ.!!
ना जाने लोग कैसे, मेरी उदासी भाँप लेते हैं.!
जबकि हर वक़्त सबके सामने हँसता रहता हूँ.!!

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1 DEC 2021 AT 22:21

इक शख़्स को जीतने ख़ातिर हर कोई हारा है.!
बेबसी पर उसकी कहते हैं, कितना बेचारा है.!!
तमाम ग़मों में उसे, अपना ग़म भारी लगता था.!
बाद में पता चला, हर कोई इश्क़ का मारा है.!!

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18 NOV 2021 AT 18:16

मैं उसको दिन रात गुनगुनाऊँगा, इक साज़ बनाकर रखूँगा.!
मैं उसको हर बात बतलाऊँगा, पर लोगों से राज़ बनाकर रखूँगा.!!

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14 OCT 2021 AT 17:28

लिखने को आज कोई भी ख़्याल नहीं है, फिर भी Tweet कर रहा हूँ.!
तुम्हारी यादों के साथ-साथ, आख़िरी तस्वीर को भी delete कर रहा हूँ.!!

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18 SEP 2021 AT 5:13

लोगों की जुबाँ पर इक सवाल आ जाता है.!
हाथों में मेरे जब-जब तेरा रूमाल आ जाता है.!!

मेरे चेहरे की रंगत, उस वक्त बदल जाती है.!
महफ़िल में जब तेरे नाम का ख़्याल आ जाता है.!!

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4 SEP 2021 AT 19:59

वो कैसा अज़ीब सवाल कर रहे हैं.!
खो देने के बाद मलाल कर रहे हैं.!!

कभी ख़ुश थे अपने ही फ़ैसले पर.!
अब क्यूँ लोगों से बवाल कर रहे हैं.!!

जब लोगों के तंज परेशान करने लगे.!
तो बेवफ़ाई का ख़्याल कर रहे हैं.!!

हँसी से जिसकी ग़ुल खिल जाता था.!
मुरझाने पर खूब कमाल कर रहे हैं.!!

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2 SEP 2021 AT 16:43

कल ये कहकर गई थी, कि आज आओगी.!
ना जाने दोबारा कब, वही साज़ सुनाओगी.!!

आते-आते, इतनी भी देर ना कर देना कि मैं.!
सिद्धार्थ सा सो जाऊँ, तुम शहनाज़ सी रह जाओगी.!!

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2 SEP 2021 AT 0:54

सब अपने हैं, पर कोई अग्यार भी नहीं.!
मुझे दोस्त कहते हैं, पर कोई यार भी नहीं.!!

मैं अपने ज़ख्मों को, यूँ भी छिपा लेता हूँ.!
दिल सबके पास है, पर कोई दिलदार भी नहीं.!!

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1 SEP 2021 AT 13:01

मानसिक पीड़ा जानना है, मोहब्बत करके देखो.!
विरह का बीड़ा जानना है, तो रगबत करके देखो.!!

यहाँ दिल से खेलने वालों से, कभी नहीं हारोगे.!
इक बार अपने दिमाग़ की कसरत करके देखो.!!

लोगों से झूठ बोलते-बोलते, खुद से भी बोलोगे.!
यार बेवफ़ा को अपनाने की हसरत करके देखो.!!

बाज़ार-ए-इश्क़ में ख़ुद को, अपाहिज समझते हो.!
दौड़ना सीख जाओगे, बेवफ़ा से नफ़रत करके देखो.!!

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