हम उगते हुए सूरज को प्रणाम करते हैं,
पर दिन भर कि थकान तो डूबता सूरज
ले जाता है.!!!!
:--स्तुति-
सूरज के ढलने का इंतेजार कर रहा था कोई।
शायद चाँद से लंबी गुफ़्तगू करनी थी उसको।
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एक भीगी हुई शाम
हाथों में छलकता जाम
सामने डूबता सूरज
और तेरी यादों का पैगाम-
डूबता सूरज
कहता है अवाम से, सुनिए ज़रा ध्यान से,
उदय होते ही दी सबने हमें सलामी,
अब तो कोई देखता नहीं है हमारी तरफ।
तुम सब अपनी दुनिया में मशगूल हो,
तुम्हें महसूस भी नहीं होती हमारी तड़फ।।
उदय हुआ था मैं सिर्फ़ तुम्हारे लिए,
चलता रहा, जलता रहा हूँ तुम्हारे लिए ।
ऊर्जा और प्रकाश से नवाज़ता रहा,
क्या ज़रा सा भी वक्त नहीं है हमारे लिए?
बहुत थक गया हूँ मैं चलते चलते,
एक चाहत है बाक़ी मेरी, ढलते ढलते।
मेरे लोगों, मुड़के देखो हमारी तरफ,
आज कैसे बुझ रहा हूँ मैं जलते जलते।।
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सूर्य की स्थिति देख कर कोई मानसिकता क्यों बनाते हो
वो डूब रहा है कि उग रहा इस विचार में क्यूँ उलझे जाते हो
सुबह और शाम सूर्य की स्थितियों का ही तो परिणाम है
तो उसके आचरण को क्यूँ क़िस्मत का जामा पहनाते हो
खिलखिलाती भोर हो या ढलती शाम , दोनों ही जरूरी है
फ़िर क़िस्मत को उगते या डूबते सूर्य से क्यों जोड़े जाते हो
~ जया सिंह ~
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डूबते सूरज को देखा जब जब, दिल में इक सवाल आया ।
अंत भी हो सकता है दिलकश, दिल में यही ख़याल आया ।।-
| इशारा ना करो । हम जा रहे |
| इशारा ना करो । हम जा रहे ~
~ दो कप चाय की तलब है । बस हाज़िर है |-
चढते सूरज को तो हर कोई सलाम करता हैं
पर डूबते सूरज को कोई नही देखता हैं
सारे दिन उसकी तारीफ और बुराई हर इंसान करता हैं
पर उसके जाते ही उसे कोई याद नही करता
दिखते हैं दोनो एक ही जैसे
पर ऊगते सूरज का हर कोई स्वागत करता हैं
और डूबते सूरज को कोई गुडबाए भी नही करता हैं...||
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डूबता सूरज
मेरी तन्हाई पर
उलाहने भरते गया !!
गहरी नीली शामें
अक्सर सखी सी
आकर मिलीं...
पसंदीदा होकर भी
अस्वीकृति पाना
दिन-रात से लड़ना
अपने वजूद के लिए
लड़ते-लड़ते बीत जाना
कितना कुछ
एक समान था
हम दोनों ही में...-
नई ऊर्जा से से ओत प्रोत करने
प्राणी जगत को चलायमान करने
आऊँगा कल दोबारा, लेकर एक नया सवेरा
निराशा को आशा में बदलने
पुष्प दल को मुस्कुराहट बाँटने
आऊँगा कल दोबारा, लेकर एक नया सवेरा
ठहरी थमी प्रकृति को जगाने
थके हारे लोगों को सुख की ऊष्मा देने
आऊँगा कल दोबारा, लेकर एक नया सवेरा
विश्रामरत पथिक को, पथ दिखाने
तुम्हारे थकते मन का मनोबल बढ़ाने
आऊँगा कल दोबारा, लेकर एक नया सवेरा
डूबते हुए ये संकल्प लिए हैं मैंने
फिर आने के लिए जाना होगा, रीत ये निभाने
आऊँगा कल दोबारा, लेकर एक नया सवेरा
—skt©
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