जाते हुए तुम पर मेरी हल्की सी पकड़
ये अहसास कराती है कि बस एक तुम ही हो
तेरा एक तनिक सा स्पर्श सुकूं देता है
नहीं चाहिए भीड़, बेहतर यही है वो गुम ही हो
तेरे साथ होने की ख़ुशबू चाहिए बस
ज़िन्दगी में और तमाम सुख भले कम ही हो
~ जया सिंह ~
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अच्छा पढ़ने वाले.... और अच्छा लिखते रहने के लि... read more
आजकल लोग मिलते कहाँ है
दुनियादारी की बगिया में
अपनत्व के फूल खिलते कहाँ है
स्वार्थ,चालाकी हर ओर है
सामने कुछ और पीछे कुछ और है
हम जिसमें पारदर्शिता संग
बड़े हुए वो ही इक सच्चा जहां है
हम खास हुए तो क्या हुए
बाकियों पर तो दोगलापन जवां है
~ जया सिंह ~-
खुद में कहीं जो "राम" जिंदा रहेंगे
उसूल क़िस्मत के कारिंदा रहेंगे
परिस्थितियां भले ही विचलित करें
दृढ़ भाव हौसलों में बाशिंदा रहेंगे
~ जया सिंह ~
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यूँ ही उलझाए रखना
थोड़ा सम्बंध बनाये रखना
सुलझ के अलहदा होने से
बेहतर गूंथा हुआ जुड़ाव है
दोनों का अस्तित्व उसमें
बेवज़ह फँसायें रखना
उंगलियों का उलझाव से
स्पर्श अर्जित है उसका
सुख कमाए रखना...!
~ जया सिंह ~
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"जो गुजर गई वो याद बनकर शामिल है"
"जो जी रहे हैं, उन पलों के हम काबिल हैं"
"जो भविष्य में मिले वही असल हांसिल है"
भूत, वर्तमान व भविष्य के तमाम क्षणों में
खुद को व्यक्त करता समय ही ज़िन्दगी है।
जिसे हम सब जीकर खुशनुमा बना देते हैं।
~ जया सिंह ~
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प्रेम किसी भी युग में पीड़ा से पृथक नहीं होता है
सत्य के ऊपर रखा झूठ कभी सार्थक नहीं होता है
झूठी जिद का जिल्द अस्तित्व पर नहीं चढ़ाने दो
पारदर्शी स्पष्टता का प्रमाण अथक नहीं होता है
कसमें शर्मिन्दा होकर आँसूओं में बदल रही हैं
मन का मुस्कुराना अब अधरों तक नहीं होता है
लफ़्ज़ों के हेरफेर के धंधे में कई अमीर हो गए
हम जैसा बेजुबान संबंद्धों का निवेदक नहीं होता है
प्रेम सदैव छला गया भावनाओं को हथियार बना
ये जानते हुए भी समझने वाला सबक नहीं होता है
~ जया सिंह ~
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नहीं है ऐसी कोई भी शख्सियत, जो ठगी तो नहीं है
लाख सम्भलकर चल लो मनपसंद राहें चुनकर
फ़िर भी टटोलना पड़ता है कि चोट लगी तो नहीं है
जिंदगी हर बार नए इम्तेहां सामने रखती है
जिजीविषा से पूछना पड़ता है कि तू थकी तो नहीं है
हिम्मत और हौसले से आगे बढ़ तो रहे है
बस दुनिया और अपनी किस्मत का यकीं तो नहीं है
~ जया सिंह ~
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खुशियों से सराबोर हर पल हो
उम्मीदों से भरपूर हर कल हो
आसमां तेरा ब्रमांड से ऊंचा हो
उड़ने का हर प्रयास सफल हो
तू हमारी रोशनी है यूँ ही चमक
जो राहें तू चुने, वो मखमल हो
जन्मदिन की शुभकामनाएं
🎂 प्यारी ईशान्या🎂
~ जया सिंह ~
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गर ध्यान से सुन सको तो सुनो
झींगुरों की गुनगुनाहट में
हवाओं की सरसराहट में
मख़मली सन्नाटे का स्पर्श चुनो
उसकी आवाज़ में कितनी
खनक है और अदायगी है
उसकी तरह बिन बोले शब्द बुनो
जाते हुए वो सुबह से बोली
मैं चली अब तुम संभालना
उजियारे वास्ते बादलों की रुई धुनो
~ जया सिंह ~
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देखा है सोचा है एक ख्वाब जिसके पूरा होने की चाह है
उस चाह की जो मंजिल है उस तक पहुंचने की तू राह है
इतनी खूबसूरत कल्पना जो जीने की वजह बन गयी है
उम्मीदें जो मचलें जा रही हैं उनका तेरी ओर ही बहाव है
हमनें सोचा ना था कभी कि तू इतना अहम हो जायेगा
कोई जिंदगी यूँ बन जाता है..ये आकर्षण का स्वभाव है
अब तो बस इसी ख़ुमार में जीना चाहते हैं...हम हमेशा
तुझे संजोके करीब रखने से ही हमारे प्रेम को लगाव है।
~ जया सिंह~
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