Rinki singh ✍   ('रिंकी सिंह'✍।)
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Birthday - July 03 🎂
Joined 16 April 2017


Birthday - July 03 🎂
Joined 16 April 2017
4 JUL AT 16:25

वो वजह पूछ बैठे मुझसे मेरे मुस्कुराने की।
हुनर आँखों को पढ़ने का वो जानते नहीं।

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3 JUL AT 13:14

यूं ही नहीं आज निखरे हैं हम
शायद पता नहीं तुमको,
पहले टूटकर बहुत बिखरे हैं हम।

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3 JUL AT 10:49

रंज मुझे तुझसे बिछड़ने का रहेगा ताउम्र मगर,
तुझको भी मुझे खोने का कुछ तो मलाल रहे।
-Rinki Singh ✍️






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3 JUL AT 8:53

आखिर! क्या मांगू मैं तुझसे तेरे दरबार में माधव!
मेरी गरज क्या है, खबर तुझको भी तो होनी चाहिए।

-Rinki Singh✍️






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2 JUL AT 20:35

कितना कुछ अनकहा रह जाता है दिल के अंदर,
जब पहली मुलाकात ही आखिरी होती है।
-Rinki Singh✍️

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22 FEB AT 11:29

नाराजगियां इतनी भी न किया करो कि,
कोई रूठकर चला जाए उम्र भर के लिए।

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30 DEC 2024 AT 22:35


हम कर लेते विश्वास तुम्हारी हर बात पे लेकिन, इतने भी तुम सच्चे नहीं थे।

मिलने को तो मिल सकते थे हम, पर इरादे आपके भी कुछ अच्छे नहीं थे।




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25 DEC 2024 AT 20:57

तुम वो ग़ज़ल हो मेरी जिसको बिन लय ही गुनगुना लेता हूँ मैं।
गर मायूस भी होता हूँ कभी, तुम्हें पढ़कर मुस्कुरा लेता हूँ मैं।

तेरे खामोश लफ़्ज़ों से भी बेइंतहा मोहब्बत है मुझे।
न ढोलक, न तबला कोई, बिन साज ही गा लेता हूँ मैं।

जब जाना मेरे दिल के भावों को तुम समझोगे नहीं।
तब तुम पर लिखी ग़ज़ल को भी छुपा लेता हूँ मैं।

-Rinki singh✍️



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29 OCT 2024 AT 21:28

उजड़ा-उजड़ा है चमन, बिछड़ गया इस बाग का माली।
तुम बिन होली भी बेरंग रही, हम कैसे मनाएं दीवाली।

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24 OCT 2024 AT 17:27

कुछ लोग इत्तेफ़ाक़ से मिल जाते हैं कभी-कभी
बिछड़ना तो नहीं चाहते, बिछड़ जाते हैं कभी-कभी

कोशिशें किया करता हूँ मैं अक्सर मुस्कुराने की
पर महफ़िल में अश्क़ निकल जाते हैं कभी-कभी।

-रिंकी सिंह✍️





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