वो वजह पूछ बैठे मुझसे मेरे मुस्कुराने की।
हुनर आँखों को पढ़ने का वो जानते नहीं।-
यूं ही नहीं आज निखरे हैं हम
शायद पता नहीं तुमको,
पहले टूटकर बहुत बिखरे हैं हम।
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रंज मुझे तुझसे बिछड़ने का रहेगा ताउम्र मगर,
तुझको भी मुझे खोने का कुछ तो मलाल रहे।
-Rinki Singh ✍️
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आखिर! क्या मांगू मैं तुझसे तेरे दरबार में माधव!
मेरी गरज क्या है, खबर तुझको भी तो होनी चाहिए।
-Rinki Singh✍️
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कितना कुछ अनकहा रह जाता है दिल के अंदर,
जब पहली मुलाकात ही आखिरी होती है।
-Rinki Singh✍️
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हम कर लेते विश्वास तुम्हारी हर बात पे लेकिन, इतने भी तुम सच्चे नहीं थे।
मिलने को तो मिल सकते थे हम, पर इरादे आपके भी कुछ अच्छे नहीं थे।
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तुम वो ग़ज़ल हो मेरी जिसको बिन लय ही गुनगुना लेता हूँ मैं।
गर मायूस भी होता हूँ कभी, तुम्हें पढ़कर मुस्कुरा लेता हूँ मैं।
तेरे खामोश लफ़्ज़ों से भी बेइंतहा मोहब्बत है मुझे।
न ढोलक, न तबला कोई, बिन साज ही गा लेता हूँ मैं।
जब जाना मेरे दिल के भावों को तुम समझोगे नहीं।
तब तुम पर लिखी ग़ज़ल को भी छुपा लेता हूँ मैं।
-Rinki singh✍️
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उजड़ा-उजड़ा है चमन, बिछड़ गया इस बाग का माली।
तुम बिन होली भी बेरंग रही, हम कैसे मनाएं दीवाली।-
कुछ लोग इत्तेफ़ाक़ से मिल जाते हैं कभी-कभी
बिछड़ना तो नहीं चाहते, बिछड़ जाते हैं कभी-कभी
कोशिशें किया करता हूँ मैं अक्सर मुस्कुराने की
पर महफ़िल में अश्क़ निकल जाते हैं कभी-कभी।
-रिंकी सिंह✍️
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