कब तक छुपाओगे अपने गुनाहो को परदे के पीछे
कहा ताउम्र किसी का कुसूर छिपता है
ये वक़्त है साहब..
सब के लिए बदलता है
और
सब का हिसाब रखता है ll-
ज़िन्दगी भर 'साथ' देने का वादा कर,
कोई 'जुल्मी' सुख, चैन लूट के ले जाए।
दर्द क्यों हो! जब दिल से अब अपना रहा ना हो।
और हम हैं कि उसी की गलती ढ़क कर,
आशिकी में आँसू छुपा के कहीं चुप रहें।
आँसू क्यों पिये! जब आँखों में अब रहा ना हो।-
एहसान अपनों के भी याद है मुझे
और दर्द भी अपनों से मिले याद है मुझे
गलत नहीं है हम तब भी अपनों से
मिली सजा याद है अब मुझे
चाहते हैं अपने ही अब,सहे हम दर्द गम के
ज़रा खुद आकर तो देखिए ज़ुल्म एक जालिम के
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हर काम धीमा कर दिया..
घर बैठे पड़ने को मजबुर कर दिया..
बेरोजगारों का रोजगार छीन लिया..
ये साल 2020 तूने खुदको इस तरह यादगार कर लिया..-
कि सलाह ना दीजिए अब
किसी गैरों को.....
की जमाना ये जालिम
बदल गया था......
तुम चले हो समझाने जिन्हें
कमबख्त ये जमाना......
जुलमी तुम्हें ही
मान बैठा था.....
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मैं तो प्रेम में हूं
मुझे सूखे लगते हैं अपने होंठ
अधुरी सी लगती है अपनी काया
सूनी लगती बाहें
मुझे सब कुछ अटपटा सा अजीब
सा लगता है तेरे बिन
के ना जाने तूने ये क्या किया
मेरा रोम रोम बस तेरे नाम की
माला जपता
के
अब बस तू चाहिए हर पल हर वक्त
के इस अधूरेपन को पूरा करने अब मुझे तेरी जरूरत है-
भाग कर मुझसे तुम ,
कहां जाओगे ,
किसी ना किसी की ,
पनाहों में जाओगे ,
ढूंढ ही लोगे फिर तुम ,
तुम्हें कोई चाहने वाला ,
मगर याद रखना ,
तुम मेरे निस्वार्थ प्रेम के आगे ,
किसी का कितना भी प्रेम पा ,
लो मेरे प्रेम को भुला कर ,
कभी चैन ना पाओगे ।।
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नींदे उड़ाकर ये जो "ख्बाबों" की बात करते हो
हाय रे! जुल्मी तुम तो बड़ा कमाल करते हो....-
ए जुल्मी जुल्म कर,
हर सफाई हम दे देंगे,
होगा हिसाब जब दोनों का,
तेरे हर जुल्म को स्नेह कह देंगे,
पूंछा जो प्यार का जाएगा,
तो तेरा नाम लेंगे,
पूंछा जो प्यार का जाएगा,
तो तेरा नाम लेंगे,
तेरी हर भूल को,
हम अपना मान लेंगे,
सजा जो मुकर्रर होगी,
मुझे मंजूर होगी,
कम से कम इसी बहाने,
अपने लिए तुझमें अफसोस तो देख लेंगे।-
जमाना जुल्मी है यार
लब्जों में ही अपने जज्बात
लिखे है हम थोड़े पागल है
ना चाहते हुए भी तुमसे
प्यार करते है।
@Ganesh_चौहान"-