Kitchen नहीं ये मेरा मन है
ये फैली–फैली रहती है जब
मैं उलझी–उलझी रहती हु
ये ही दुनिया है मेरी
दिन का सबसे ज्यादा टाइम
मैं इसको देती हु
काम फैला रसोई में
मैं चली अभी बाद में मिलती हूं
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प्रेम में पड़े हुए अधूरे ही होते है
मिली नहीं हु मगर मैने कृष्ण को महस... read more
How I want my करवाचौथ day
Only राधा नाम संकीर्तन
राधा राधा राधा राधा राधा
हो राधा नाम मुख पर
मैं हरि के लिए व्रत रखूं
देख चंद्र की छटा
मैं जल ग्रहण करूं
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इक श्रंगार का सामान लाएगा
" सजाएगा
" चूम कर मेरे हाथों को गालों से हटाकर ठोडी पर रख उंगली ऊपर करेगा
" सदा सुहागन होने का आशीर्वाद देगा
खुश रहो खुश रहो खुश रहो-
अधूरा है श्रंगार बिन तेरे पिया जी
क्या परसो का त्यौहार
आओ तुम थोड़ा सजा तो दो
कर दो न थोड़ा मुझे तैयार-
आधा solve करने को दिया था गणित का सवाल,
आधा किसी और ने कर दिया था,
तुम गुत्थी में ही उलझ गए
इससे अच्छा शुरू से शुरू कर देते
मैं पास हो जाती
तुम भी-
जी करता मैं छोड़ दूं जीना
जहां बस तेरे झूठ सहू
सहन करु मैं ज़हन की अस्वीकृती
दिल दिमाग का मन मुटाव सा
फ़रेब सा लगता सब झूठ–पना दिखावा सा
सच लगते हो आप सिर्फ कृष्ण
संसार में जीना है ढोंग करती मैं लगती
क्योंकि प्यार तुमसे है बस होना है बैराग सा-
तुम्हे नहीं कोई खिड़की , दरवाज़े की रोक
न कोई घरवाले की टोक
तुम्हे नहीं डर कोई कितने भी तालों का
खड़े हुए सैनिक
सोती बुआ या ताऊ का
तुम्हे नहीं है प्रेम मोसे कह दो न कान्हा
मुझे क्यों तुम सताते हो
क्यों होती बरसात मुझे मिलना है तुमसे
क्यों तुम मुझे यूं तरसाते हो
🥹— % &— % &-
काश ! काश सीखने के लिए ऐसा हो पाता कि हम जिन लोग पर विश्वास करते हैं,
कुछ time के लिए उन्हें अपनी situation में जीने के लिए देते,
और हम देख पाते कि वो इस situation में क्या कर रहे हैं,
फिर हम सीखते,
फिर हम भी वही करते,
और हर दिन एक अच्छे इंसान बन पाते l
इससे विश्वास और प्रगाढ़ होता l
हमें कुछ नया सीखने को मिलता l
मगर ऐसा नहीं होता न ........-