छुपाया हुआ प्रेम गालों पर लाली बनके प्रकट हो जाएगा
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क्या पता आपको आप मिल जाए !
मेरे मन में बसे मेरे प्रिय कृष्ण द्वारा रची प... read more
न जाने कैसा जादू कर दिया
पीयू जी तुमने,
मेरे नयनों में काजल नहीं
तुम सजते हो,
तेरे प्रेम में ऐसी रंग गई मैं पिया,
लाल रंग की बिंदी
तुम्हारी नाम की लगाकर फिरू मैं
मेरी अंखियों में यूं बसते हो
तुम मेरे सर्वत्र, सर्वस्व हो
बस एक तुम ही हो जो
मुझे बंद आंखों से दिखते हो-
के क्या कमियां निकालूं तुझमें , मुझमें तो 100 हैं भरी
दिख जाती है तुझमें बस आसानी से , प्रभु ने आंखे बाहर को ही दी
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अब क्यों मुझे शिकायत है हर बात से
ये दीवार , दीवार पर लगा एक–एक निशान नजर आता है, पिछले कई सालों से पपड़ी निकल रि थी दीवार पर एक जगह , अब नयन जाते है उस ओर और उसे देख टीस निकलती है
क्या है ये ,
ये जो चिढ़–चिढ़ापन है इसका कारण तुम हो सिर्फ तुम राघव
न तुम दूर होते न मैं ऐसी होती-
ये क्या है ? कैसे एहसास है ये जो मुझे मैं तेरी हु बस ये बतलाते हैं l ये क्या है ? जो बादलों से बरसता है सावन में, कहीं ये मेरी विरह की वेदना तो नहीं जो तुझसे दूर होकर मेरी आंखों से निकल कर सीधा बादलों तक जाती है, फिर दूर तुझपे बरसती है, कहलवाती है के कोई है जो रोता है रातों को, दिन को तुझे याद कर–कर के l ये क्या है? जो अभी–अभी मेरे–तेरे बीच हुआ ? क्या ये प्रेम था ? या कुछ और ही था, ये वो था जो तेरे–मेरे बीच कभी नहीं हो सका l
ये क्या था?-
पेन झटका के क्यों गुस्सा निकाल रहे हो
उठाओ न सिर अपना
मेरे सामने चुप हो कर ,
क्यू मुंह छुपा रहे हो?-
एक दिन रोटी हुई मुझसे नाराज कहती पसंद तुमको मोमोज हैं तो क्यों मुझको तुम खाती हो
पेट में रोज भरती तुम्हारा , मेहनत मेरे से करवाती हो
सुना कर 100 बातें , रोटी गुस्से में मुंह फेर ली
तबसे पेट भरना बंद कर दी मैं कई दिन भूखी सो गई
शार्मों- शर्मी मैं गई मोमोज खाने सोचा इससे पेट भर जाएगा, मन में रह गई ये बात रोटी को पता लगा तो और ज्यादा मुंह बन जाएगा
अब कोई न पेट भरता मेरा , मैं कभी रोटी कभी मोमोज बनाती , सोच कर दोनों का भला
मैं भूखी ही सो जाती
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