(मैं )– (फोन लगाया है उनको)
Trin trin
(वो)– हेलो ( ऑफिस में,काम के बीच)
(मैं)– मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहती हु l
बहुत दिन से मन में रखी हु , दिन से नहीं महीनों से |
सोच रही थी कहूं न कहूं |
(वो) – क्या कर रही थी ?
( मैं) – सुबह से तुम्हारे बारे में ही सोच रही हूं |
लगता है दिन भर कुछ काम–वाम नहीं है मुझे इसलिए तुमको याद कर रही हूं
[अब बात पलट गई......]
( वो) –मीटिंग में हु बाद में बात करता हु |
(मैं) – (मन ही मन खुद से ही लड़ते हुए) मेरे साथ ही क्यों हुआ ये ओफ्फो!
ये क्या कहना था क्या हो गया ! 😢
–––––– फोन साइड में रखकर busy होने का नाटक करने जाने लगी अब मैं ––––––– कॉल कबका कट गया, फिर भी फोन को निहारती हुई मैं |
–ख्याति
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भावनाओं से भरी को बस
लिखने का सहारा...
जग में कुछ ना भावे
मुझे मेर... read more
नवम्बर के बाद से आज सीरीज फिर से continue कर रही हु इससे पहले कि कहानी से सर्च कर लेना
अब आगे ........
मैं - (खुद से बातें)
कितने दिन महीने हो गए , न कोई मैसेज भेजा न कोई जवाब दिया उसे, ऐसा होता है क्या प्यार ख्याति? क्या तुम उससे प्यार नहीं करती हो?
करती हु शायद , बस कहती नहीं हूँ।
आज शाम को भेजती हु उसे जवाब, बहुत दिन से मैसेज आ रहे हैं।
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–ख्याति
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आत्मिक प्रेम is of no use when you are in physical body
But the pain it gives suffered by physical body?
Why?
Is it all interrelated?
Why I am suffering ?
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तुझे ऐसा बसाया अपने दिल मैं
तू निकल सके तो निकल बता
मेरे राघव तुझ बिन कुछ भी नहीं अब
जनम लू तो मिल जाना
मोक्ष देकर मुझे स्वीकारना
मगर मेरे राम मेरे प्रभु
मुझे अपने से दूर मत करना
Happy Birthday Raghav-
Dear yq baba,
I don't want to like sad yq Posts.
With like button add unlike and Sad buttons if possible.
Thank You-
सासु मां बहु से –
अरे इतनी सांस कैसे ले ली तुमने ? मेरे बेटे के लिए छोड़ दो थोड़ी l-
Sleep deprive ?
For food no time?
No time for yq ?
No screen time
= Success awaited for sure
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I think I should become selfish too to fulfil my dream
But my dream is not yet decided .
Till now I am living for others and they are becoming selfish-
गोपाल तेरे को जरा भी लज्जा न आवे ,
कोई की कोई तू चुरा के ले जावे
नयन देखे किसी और के
हंसी कहीं और को जावे
बातें मारे कोई ओर संग
रास तू अष्ट सखियों संग रचावे
क्यों गोपाल तोहे तनिक भी शरम ना आवे
गोपाल – जे सब सखियां मोको देखत हैं
माखन मोरे कारज रखती हैं
इनको सुख खातिर
तुम्हीं बताओ मोहे लज्जा काहे आवे
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