Khyaati   (ख्याति)
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Joined 16 September 2022


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16 AUG AT 10:20

छुपाया हुआ प्रेम गालों पर लाली बनके प्रकट हो जाएगा

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12 AUG AT 11:30

न जाने कैसा जादू कर दिया
पीयू जी तुमने,
मेरे नयनों में काजल नहीं
तुम सजते हो,
तेरे प्रेम में ऐसी रंग गई मैं पिया,
लाल रंग की बिंदी
तुम्हारी नाम की लगाकर फिरू मैं
मेरी अंखियों में यूं बसते हो
तुम मेरे सर्वत्र, सर्वस्व हो
बस एक तुम ही हो जो
मुझे बंद आंखों से दिखते हो

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10 AUG AT 15:27

the supreme truth
and the materialistic World

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10 AUG AT 12:10

The daily analysis can simply make me a better person for sure 😊

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10 AUG AT 11:50

के क्या कमियां निकालूं तुझमें , मुझमें तो 100 हैं भरी
दिख जाती है तुझमें बस आसानी से , प्रभु ने आंखे बाहर को ही दी

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7 AUG AT 11:31

अब क्यों मुझे शिकायत है हर बात से
ये दीवार , दीवार पर लगा एक–एक निशान नजर आता है, पिछले कई सालों से पपड़ी निकल रि थी दीवार पर एक जगह , अब नयन जाते है उस ओर और उसे देख टीस निकलती है
क्या है ये ,
ये जो चिढ़–चिढ़ापन है इसका कारण तुम हो सिर्फ तुम राघव
न तुम दूर होते न मैं ऐसी होती

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7 AUG AT 8:53

ये क्या है ? कैसे एहसास है ये जो मुझे मैं तेरी हु बस ये बतलाते हैं l ये क्या है ? जो बादलों से बरसता है सावन में, कहीं ये मेरी विरह की वेदना तो नहीं जो तुझसे दूर होकर मेरी आंखों से निकल कर सीधा बादलों तक जाती है, फिर दूर तुझपे बरसती है, कहलवाती है के कोई है जो रोता है रातों को, दिन को तुझे याद कर–कर के l ये क्या है? जो अभी–अभी मेरे–तेरे बीच हुआ ? क्या ये प्रेम था ? या कुछ और ही था, ये वो था जो तेरे–मेरे बीच कभी नहीं हो सका l
ये क्या था?

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6 AUG AT 13:18

पेन झटका के क्यों गुस्सा निकाल रहे हो
उठाओ न सिर अपना
मेरे सामने चुप हो कर ,
क्यू मुंह छुपा रहे हो?

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6 AUG AT 11:34

एक दिन रोटी हुई मुझसे नाराज कहती पसंद तुमको मोमोज हैं तो क्यों मुझको तुम खाती हो
पेट में रोज भरती तुम्हारा , मेहनत मेरे से करवाती हो
सुना कर 100 बातें , रोटी गुस्से में मुंह फेर ली
तबसे पेट भरना बंद कर दी मैं कई दिन भूखी सो गई
शार्मों- शर्मी मैं गई मोमोज खाने सोचा इससे पेट भर जाएगा, मन में रह गई ये बात रोटी को पता लगा तो और ज्यादा मुंह बन जाएगा
अब कोई न पेट भरता मेरा , मैं कभी रोटी कभी मोमोज बनाती , सोच कर दोनों का भला
मैं भूखी ही सो जाती

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