रात का खूबसूरत अफसाना लिख ले,
आओ लफ्जों में हम शर्माना लिख लें,
तेरी पलके जो दिल को चुराती हैं,
निगाहें तेरी जो शोर मचाती हैं,
घनी जुल्फों के साए में चमकता चांद सा चेहरा,
बेबाक सा दिल लगाने को हर सांस पर पहरा,
उस रात का हर खूबसूरत अफसाना लिख लें,
आओ लफ्जों में हम शर्माना लिख लें।।।
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जरा नफ़रत की आग में पानी डालो,
कहीं ऐसा न हो की दामन जला लो,
हो तुम अगर इतनी ही बेरहम,
तो आकर हमारे आंसुओ पर भी राख डालो,
अकेलेपन से खौफ खाता हूं ,
कहां हो ऐ मेरे ख्वाबों – खयालों,
बहुत मायुस बैठा हूं तुमसे ऐ जिंदगी,
या तो रिहा कर दो या गले से लगा लो।-
मुझसे प्यार करते हो, मुझसे ही जख्म खाते हो,
जमीर है तुम्हारा या मर गया है ?
जो यूं बार बार लौट आते हो।
काश होता बेशर्म तो ये बात न होती,
न जख्म खाता न जख्म देने की तुम्हारी औकात होती,
मोहोब्बत को तार तार तो मतलबी लोग करते हैं,
तुम्हारे जैसे ही सब होते तो मोहोब्बत ही न होती।-
सपनों की उड़ान है
आसमां के पार जाना है
बहती धारा के परे
यह नाव पर लगाना है
छितिज से निकली धूप तो अंधकार मिटती है
जीवन के प्रकाश को तो हमें लाना है
खुद को जीतने के तरीके कई हैं
ख्वाहिश तो बस अब एक ही है
आसमां के पार जाना है-
तेरे जख्मों पर मरहम की जगह,
अपना छुआ लिख दूं,
तुम साथ निभाने का वादा करो,
तुम्हारे नाम में अपनी हर दुआ लिख दूं।-
तुम्हारे चाहत की हर चीज मिले तुमको,
खुशियों का भंडार, सभी का प्यार मिले तुमको,
सम्मान मिले तुमको, एक सान मिले तुमको,
इस विशाल दुनिया में, एक नाम मिले तुमको,
हर दिन एक अलग रोमांच हो जिंदगी में,
आज के दिन ये वरदान मिले तुमको।
Many many happy returns of the day
bro HAPPY BIRTHDAY.
🥳🥳🎊🎊🎂🎂-
इश्क न हुआ मुकम्मल न होगा कभी,
प्यार ना दिखा किसी को न दिखेगा कभी,
बस तेरी दोस्ती से आवाद हूं वरना,
न देखता किसी को न दिखता कभी।
Happy friendship day 🎊-
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा,
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा।
जीने का दिल करता है पुरानी जिन्दगी,
मगर वो एहसास वो जज्बात कहां से लाएगा।
मेरी मुस्कुराहट में अब वो बात कहां,
फिर तूं अल्फाज़ कहां से लाएगा।
जज्बात तो बदलते हैं तुम्हारे भी बदलेंगे,
मैं नहीं अब कोई तो साहिल पे उतर ही जाएगा।-
आरज़ू थी कि वो हमारे होते,
भला सूरज भी कभी चांद से मिल पाया है क्या।-
चार दिन की ज़िन्दगी दो पल की जवानी है,
हसरतें तमाम हैं फिर जिम्मेदारियां भी निभानी हैं।
दर्द में डूबकर खुशियों की तलाश है,
यही तो है ज़िन्दगी बाकी सब 'मिराज' है।
ख्वाहिशों के बोझ तले तूने जब भी कुछ पाया है,
उसे खोने का डर भी साथ ही तो आया है।
और बात फकत सुकून की है,
फिर कैद क्या रिहाई क्या,
मोहब्बत क्या रुसवाई क्या,
और मिलना क्या जुदाई क्या,
इसलिए थोड़ा सा वक्त निकाल कर जी लो इसे,
कहीं ऐसा न हो कि मन ख्वाहिशों में ही उलझा रह जाए,
और हम ज़िन्दगी को नहीं,जिन्दगी हमें जीकर चली जाए।-