यह सवेरा और बेहतर होता ,
यदि मैं तुम्हारे साथ जागता !-
चाहता तो हूँ कि अब जागता ही रहूँ,
तुम्हारे ही ख़यालो में मैं रात भर
पर ख़्वाबों में ही सही,
कुछ पल तुम्हारे साथ भी तो बिताना चाहता हूँ
- साकेत गर्ग 'सागा'-
इन आँखों का नींदों से अब ना वास्ता कोई
सोता है जिस्म,मेरे अन्दर जागता कोई ।।-
तुम्हारी यादों के पीछे, इस कदर भागता हूं.,
ज्यादा नहीं बस, तीसरे पहर तक जागता हूं..-
आजकल दिन मे सपनो के पिछे भागता हू
और
रातो को उसके बारे मे सोचकर जागता हू-
212 212 212 212
रातभर ख़्वाब इक जागता रह गया
देखता आपका रास्ता रह गया ।— % &-
जीता है और भागता है,
के अभी शेर मरा नहीं जागता है।
झुंड में रहना वो पसंद नहीं करता,
वो छिपकर भी नही गोली दागता है।
ऊसूल उसके खुद के ही बनाए हैं,
उसकी निगाहें चारों दिशाएं हैं।
उसका अक्स लेकिन लापता हे,
उससे हुआ हर किसी का कहीं पे राब्ता है।
जीता है और भागता है,
के अभी शेर मरा नहीं जागता है।-
वो रात भी क्या खूब हसीन होती,
जो तुम ख़्वाबों में नहीं, मेरी बाहों में सोती।-
तुझ से ना रहा मेरा अब राब्ता कोई।
मेरी साँसों में अब नहीं भागता कोई।
अंजाम-ऐ-इश्क बड़ा ही खूबसूरत मिला,
इन तनहा रातों में अब है जागता कोई।-