लगा दी गई गज़लों पे, जमाने भर की पाबंदियां.,
सो चंद अश’आरों ने, जहन में ही खुदकुशी कर ली..-
जिस्म 'डाक विभाग' में कार्यरत है.,
और रूह को 'शायर' होने का ख़्व... read more
इस उम्मीद में कट रही है, किराए के मक़ाँ में ज़िंदगी.,
इक रोज मेरा भी एक बड़ा सा घर होगा, अपने गाँव में..-
“प्रेम और बुद्धत्व”
बुद्धत्व की प्रथम सीढ़ी प्रेम है.,
और प्रेम की अंतिम सीढ़ी बुद्धत्व..-
सैकड़ों ख्वाहिशों को, दिल में दबा रक्खा है.,
मगर मुस्कुराहट तले, हर गम छुपा रक्खा है..
एक चेहरे को पढ़ने में, लग जाती है सदियां.,
और लोगों ने , चेहरे पर चेहरा चढ़ा रक्खा है..
जहन पे जोर देने से, याद आता है अब नाम.,
एक शख़्स को मैंने, इस तरह भुला रक्खा है..
बस इतवार को हो पाती है, खुद से मुलाकात.,
अपने लिए मैंने, इतना-सा वक्त बचा रक्खा है..
किसी रोज, इन्हीं के पैरों में तुम्हारा सर होगा.,
यही जिन्हें तुमने , अपने सर पे बिठा रक्खा है..
कल तलक ये, एक ही थाली में खाया करते थे.,
जिनको तूने, मज़हब के नाम पर, लड़ा रक्खा है..
किसी रोज ये खबर मिलेगी, हम फना हो गए.,
फिल्हाल जिस्म ने, रूह का वजन उठा रक्खा है..
तुम्हें बताया तो था, समझते क्यों नहीं आखिर?
हरेक बात में उसका ज़िक्र , क्या लगा रक्खा है?
बरगद बड़े सलीके से खड़े रहे, अंधियों के बीच.,
और चन्द गमलों ने, आसमां सर पे उठा रक्खा है..-
बताओ अपने वजूद को, कितने हिस्सों में बिखेरूं आखिर ?
किसी को गूंगा, किसी को बहरा, किसी को अंधा पसंद हूं मैं..-
कोई है जो मुझे, मुझसे जुदा कर सके.,
बदन से रूह का वजन, उठाया नहीं जा रहा..-
यूं नहीं है कि, वो शख़्स काबिल नहीं लगा.,
मसअला ये था, उसके साथ दिल नहीं लगा..
उससे बिछड़ जाने का, अफसोस नहीं हुआ.,
वो रौनके सफ़र था , कभी मंजिल नहीं लगा..
ना जाने कौनसा गम , उसे खाए जा रहा था.,
कह रहा था खुश है, पर खुशदिल नहीं लगा..
उसकी रगों में लहू नहीं , वादा-फरामोशी है.,
वो शख़्स अपने वादे पे, मुस्तकिल नहीं लगा..
दौलत हर ऐब, छुपा लिया करती है साहिब.,
वो जाहिल भी , किसी को जाहिल नहीं लगा..
गैरों से अगर, गिला करता भी तो क्या करता?
जब मेरा अपना, मेरे गम में शामिल नहीं लगा..
जिस दिन से , तुमने मेरा हाथ थामा है, ‘बिट्टू’.,
उसके बाद, कोई भी रास्ता मुश्किल नहीं लगा..-
मुझमें, मैं अब मुकम्मल नहीं बचा साहिब.,
जिम्मेदारियां खा गई, जगह–जगह से मुझे..-
ज़ख्मी पांवों से किया है, सफ़र का आगाज़.,
मंज़िल भले ही देर से मिले, पर मिलेगी जरूर..-