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जनसंख्या वृद्धि का ग्राफ बढ़ता जा रहा
और इंसान अकेलेपन में धस्ता जा रहा
दरिंदगी रुक नही रही बेटियों पर यहा,
अभियान बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ चलता जा रहा
गज़ब की राजनीति , गज़ब के नेता है
पिछले वादे अधूरे, नए करता जा रहा
माँ-बाप के तीन बेटे एक से बढ़कर एक
बुढ़ापा फिर भी लाचारी में कटता जा रहा
सब बैठे तो थे साथ में कुछ वक्त बिताने को
पर हाथ में सबके मोबाइल चलता जा रहा
कुछ तो निवारण होगा इस समस्या का "मुनीश"
डूब कर खुद में ही इंसान जो मरता जा रहा-
दिल तुटने पर गर जान हि निकल जाती।
इस दुनिया में जनसंख्या कि समस्या न रह पाती।-
हमारे देश की जनसंख्या इतनी थी
हमारे देश की जनसंख्या अब इतनी बची
सोच रही हूँ
ये प्रश्न गणित का है
या मानवता का-
चेहरों के जंगलों में जाओ कुछ फूल तुम खिलाओ
अपने ही चेहरों के जैसे कुछ चेहरे नए उगाओ
एक के दो और दो के चार हैं सदा से होते आये
जाओ तुम भी चेहरों की जनसंख्या को कुछ बढ़ाओ
( विवाहित नवयुगलों को बिन मांगी सलाह)
😅😅😊😊☺️☺️😀😀😍😍😂😂
अंजलि राज
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नजरिया
बाजार में आजकल बहुत भीड़ रहती है ।।
1 census - Population बढ़ रही है तो भीड़ तो बढ़नी ही है ।।
2 Economist - बाजार की स्थिति मजबूत हो रही है अच्छी बात है ।।
3 Politician - ये तो हमारे कार्यकाल का नतीजा है , जनता की क्रय क्षमता में इजाफा हुआ है देश की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है ।।-
बढ़ रही है राक्षसों की
जनसंख्या दुनिया में,
हाँ..! लगते सब इंसान जैसे हैं.!-
भारत फिर से स्वर्णिम होगा...
जनसंख्या है उफान ले रही,
हम शिखर को हैं छूने वाले;
संसाधन तो सीमित हो रहे,
जीवन-स्तर का क्या होगा?
.......
(पूरी कविता अनु शीर्षक में पढ़ें)-
जनसंख्या विस्फ़ोट पर मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "कानूनी कुमार" का एक अंश:-
बेकारी का यह हाल कि भरपेट किसी को रोटियाँ नहीं मिलतीं, बच्चों को दूध स्वप्न में भी नहीं मिलता और ये अन्धे हैं कि बच्चे-पर-बच्चे पैदा करते जाते हैं। 'सन्तान-निग्रह-बिल' की जितनी जरूरत है। इस देश को, उतनी और किसी कानून की नहीं। असेंबली खुलते ही यह बिल पेश करूँगा। प्रलय हो जायगा, यह जानता हूँ, पर और उपाय ही क्या है ? दो बच्चों से ज्यादा जिसके हों, उसे कम-से-कम पाँच वर्ष की कैद, उसमें पाँच महीने से कम काल-कोठरी न हो। जिसकी आमदनी सौ रुपये से कम हो, उसे संतानोत्पत्ति का अधिकार ही न हो। मन में (बिल के बाद की अवस्था का आनन्द लेकर) कितना सुखमय जीवन हो जायेगा। हाँ, एक दफा यह भी रहे कि एक संतान के बाद कम-से-कम सात वर्ष तक दूसरी सन्तान न आने पावे। तब इस देश में सुख और सन्तोष का साम्राज्य होगा, तब स्त्रियों और बच्चों के मुँह पर खून की सुर्खी नजर आयेगी, तब मजबूत हाथ-पाँव और मजबूत दिल और जिगर के पुरुष उत्पन्न होंगे।'-