RANDHIR SAHGAL   (मन्नत)
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Joined 17 June 2018


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Joined 17 June 2018
4 MAR 2023 AT 10:58

जब जब सत्ताधारी हिंदी को अहिंदियों पर थोपेगा
क्या पश्चिम में क्या दक्षिण में हिंदी भाषी रोएगा।

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12 NOV 2022 AT 9:32

शोक और मोह

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1 JUL 2022 AT 9:13

समय वो सारथी है जो मनुष्य को
परिस्थिति समेत बहा ले जाता है।

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6 JUN 2022 AT 10:22

बचपन में सुना था दुनिया गोल है
जवानी में समझा दुनिया मतलबी है

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14 MAY 2022 AT 22:22

वो जो कट गई रात तुम्हारी बाहों में
मत पूछो की अब दिन कैसे गुजरता है।

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12 FEB 2022 AT 23:53

इसी दुनिया में हम हैं इसी दुनिया में तुम हो
तुम्हारी खुशियों में हम हैं हमारी खुशियों में तुम हो

बरसते बादल में हम हैं उगते सूरज में तुम हो
धरा पर गिरते ओस में हम हैं गगन से गिरते वर्षा में तुम हो

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5 FEB 2022 AT 19:36

पहली बार मिलने की खुशी हम दोनों प्रत्यक्ष रूप से प्रदर्शित नहीं कर पा रहे थे। मगर उस दिन उसकी आँखों मे एक अलग ही चमक थी। कुछ क्षण वो मौन रहकर अपने दिल की बात कहती है "प्रेम के चुम्बन का स्पर्श कितना निराला होता है न" सहसा ही मेरे आंखों से प्रेम छलक पड़ा मानो कोई बाँध टूट गयी हो जल के वेग से।

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5 FEB 2022 AT 10:36

तुझसे दूर लेकिन तेरे पास खड़े हैं
ए सनम हम तेरे उम्मीद से परे हैं

इन छोटी छोटी आँखों में
देखो न सपने कितने बड़े हैं।

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22 JAN 2022 AT 11:48

मेरे साथ ये मंजर यूं हो
आंखे खोलूं तो सामने तू हो

तेरे गेसुओं में मेरी उंगलियां उलझी हो
मेरे बदन से तेरा बदन लिपटा हो

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28 DEC 2021 AT 20:09

तुम्हारे शहर में कारखानों के धुंध लगते होंगे
हमारे गाँव में प्रकृति के कोहरे लगते हैं।

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