Purnendu Kant   (पूर्णेन्दु)
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Joined 19 January 2019


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Joined 19 January 2019
27 JUL AT 23:22

मैं तुझे समर्पित करूँ तो क्या,
तू जान रहा मेरी हस्ती क्या,
सर्वस्व समर्पित है तुझपर,
पर ये तो बता तेरे दिल में है क्या?

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27 JUL AT 19:57

दिल ग़र जो आ जाए किसी पे,
हो उसे भी तुझसे प्यार,
मत सोचो कि पहल हो किसकी, कर दो ख़ुद इज़हार।

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28 JUN AT 16:05

क्यों बोझ लिए फिरते हो,
मन में पश्चाताप की ग्रंथि,
यूँ ही बँधी रखते हो?

उठो और संवाद करो,
कह डालो जो कहना हो;
हुई गलती तो माफ़ी मांगो,
क्यों इससे डरते हो?

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22 JUN AT 22:41

मुझको, फिर भी मैं कह रही हूँ,
तन्हाइयों से मैं तो दिन-रात लड़ रही हूँ;
दिल में तुम्ही बसे हो, रहूँ भीड़ में अकेली,
आओगे तुम कभी तो, फिर मैं भी ख़ुश हो लूँगी!

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20 JUN AT 12:36

मत जाओ पहनावे पे,
नहीं दिखता असली रूप;
सोने की होती परख,
देख अंदर क्या है स्वरूप!

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10 JUN AT 21:54

जग के इस जंजाल में,
जीवन मेरा हुआ खुर्द-बुर्द;
अब तो मैंने हार मान ली,
किया मैंने ख़ुद को तेरे सुपुर्द!

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7 JUN AT 23:52

नई-नई अमीरी है,
भूलो न तुम भी हो जातक;
करो ज़्यादा नहीं नाटक,
समय की मार है घातक!

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29 MAY AT 22:17

दिल की धड़कन भी तेज़ चलती है;
फ़िज़ा में ज्यूँ बहार हो छाई,
चिलचिलाती धूप भी चाँदनी लगती है!

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19 MAY AT 12:42

आज दिखावे की दुनिया में, दिखता जो, सच में है नहीं,
भले फेसबुक पर प्यार लुटाते, आपस में बनती है नहीं।
डीपी का तो खेल निराला, हर कोई धर्मेंदर-मधुबाला;
अगर कभी वो सामने आए, पहचान सके उसे कोई नहीं!

झूठ का जलवा सिर चढ़ बोले, सच बरबस लेता हिचकोले,
जाल-फरेब और धोखेबाजी, जिसने सीख ली, वही मजे ले।
आख़िर झूठ जब ज़ाहिर होता, भले ही बंदा इज़्ज़त खोता,
लेकिन उसकी परवाह किसे है, वो विषयांतर-पारंगत होता!

अंदर से हो मैल भरा दिल, पहन शराफ़त का एक चोला,
देते धोखा दुनिया भर को, उनका कभी ज़मीर न डोला!
मिहनत से तो वो घबराते, बैठ के ख़्याली-पुलाव पकाते,
सफ़ल लोगों की देख के दौलत, चाहें सबको ही हथियाते!

रहना होगा इन सबसे बचकर, आँखें मूँद विश्वास नहीं कर,
नहीं किसी पर करो भरोसा, तहक़ीक़ात बिन किए ठहरकर;
सबका असली चेहरा देखो, ऊपर की परतें ख़ुद खोलो,
ठोक-बजाकर जाँच-परखकर, राजे-हक़ीक़त रूबरू हो लो!

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8 MAY AT 20:44

रब की हो दुआ कुछ ऐसा हो,
तुम मेरी हमगम बन जाओ;
मैं तेरे प्यार में डूबा रहूँ,
सिरहाना तेरी गोद बने!

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