सतरंगी रंग से रंगी वो इस बार की होली,
रग रग में रंग कर वो इस बार मेरी हो ली।
भीगी चुनर भीनी महकी, भीगी इस होली,
भाव भंगिमा के भंवर में वो मुझ में खो ली।
अब भी अबीर अशेष है कि आने को होली,
अनुरक्ति आसक्ति से वो मेरे अंक में आ ली।
छुप छुप छलकाती रंग बन छनछन सी होली,
छज्जे की ओट से मुझ पे छुईमुई सी छा ली।
प्रिया प्रियतमा बन खेली पिचकारी से होली,
पिया पथ पर रख के पग, वो मुझको पा ली।
बाहुपाश में हो कर बोली बहक जा इस होली,
बरसती प्रेम बारिश में वो बीज प्रेम का बो ली।
हृदय हर के वो हर्षित, हद तोड़ी दी इस होली,
हुई हया से वो हरी, कह दी मै तुम्हारी हो ली। _राज सोनी-
छुईमुई की तरह है नाराजगी तुमसे
जरा सी मोहब्बत से छू क्या लो,
तुझमें में सिमट जाता हूं !!-
मैं छुईमुई सी रहूँ, ये ना पसंद तुमको,
तुम्हें मुझे शेरनी बुलाना अच्छा लगता है।-
वो इक बयार था हौले से आकर छेड़ गया,
मैं छुईमुई सी खुद में सिमट के रह गई !-
जब मैं हांथ बढ़ाई वो मुरझा गई थी
थोड़ी सी खुश हुई मैं उसको छू कर
वो फिर से मुरझा गई थी
उसके पास बैठी मैं
उससे बातें करना चाह रही थी
पर वो तो मुझसे नाराज़ होकर
मुरझा गई थी
उसका डर था या दर्द
मैं समझ न पाई थी
उसके एहसाह को मैं
महसूस करने में लगी थी
पर वो फिर मुरझाई थी
मैं उसे देखती रही
उसके खिलने के आस में
मैं उसे ही निहारती रही
पर वो फिर भी मुरझाई रही
वो फिर भी मुरझाई रही
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मो'र पंख सा इठलाता मैं, छुई-मुई सी लजाती तेरी चाहत
ना'म क्या दे इस रिश्ते को, सच्चे दिलों की हैं बस इबादत-
मोर पंख सा प्रेम तेरा
छुईमुई सी चाहत मेरी
मामला नज़ाकत का सारा
कैसे हो ये कहानी पूरी...!
दोनों के भाव सच्चे
चक्कर खाते एक धुरी
हालातों की मज़बूरी
जो हममें इतनी दूरी...!-
हाँ मैं छुईमुई
लेकिन तुम्हारे प्रेम में ।
मैं चट्टान
तुम्हारे परिवार का आधार ।।-
सब लाते है फूल गुलाब का ,
अपनी महबूबा के लिये ,
वह मेरे लिये छुईमुई के फूलो का ,
गुल्दस्ता ले कर आ गयें
जब कहा उन्होने कि तुम ,
बिल्कुल इन फूलों की तरह हों ,
तो हम हया से,
उनकी बाहों में समा गयें ।
💚🤗😍💚-
आजकल तुम कहां बतियाते हो हमसे
नजरे मिलाई के नजरे चुराते हो हमसे
यूं बसेरा कर लिया हमारे मनमंदिर में
प्रेमजाल में फसा के पीछा छुड़ाते हो हमसे-