है वो कोई ख्वाब सा
जिसे हम हर रोज़ अपने आँखों में बसाते हैं
के निंदों में समेट कर अपने रातों में सजाते हैं
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हम ना चाहकर भी उसके यादों में डूबे रहते हैं
के वो हमसे कभी दूर न होता है ।
के ऐसा क्यों होता है
उसके समक्ष ना होने के बाद भी
उसके यादों का पहरा होता है ।
हवाओं का रुख बदलता है
मेरे हाथ में उसका खत होता है
खुशबू उसकी हर ओर
ना जानें हमें किस ओर ले जाता है ।
के ऐसा क्यों होता है
उसके समक्ष ना होने के बाद भी
उसके यादों का पहरा होता है ।
खो देते हैं हम ख़ुद को
जब उसके होने का अहसास होता है
हमारे दिल कि धडकनों में
एक अलग सा आस होता है ।
के ऐसा क्यों होता है
उसके समक्ष ना होने के बाद भी
उसके यादों का पहरा होता है ।
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मेरे सामने उनका होना ही काफ़ी है
क्योंकि उनके सामने फूल की कोई कीमत नहीं-
सब कुछ उसका है
मुझमें मेरा कुछ भी नहीं
ना ख़्वाब ना ख्वाहिशें ना याद ना आदतें
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यूँ न हमको देखा करें के दिल भर आता है
तुमसे दूर होने का जब ख़्वाब सताता है-
आना जाना दर्द के रास्ते उन रास्तों से दिल लगाना आ गया
जब से मिले हैं उनसे मुस्कुराकर दर्द छुपाना आ गया ।
और क्या कहें कहने से क्या होगा हार कर हम उनसे
यादों के सहारे ख़ुद को जला दिया
जब से मिले हैं उनसे मुस्कुराकर दर्द छुपाना आ गया।
आँखों की चाहत को आँखों में ही दफ़ना दिया
जब से मिले हैं उनसे मुस्कुराकर दर्द छुपाना आ गया।-
जब दिल कहे तुम मुझे याद करना
जब रातें कहे तुम मुझे याद करना
मैं तुम्हारे ख्वाबों में आऊंगी
तुम मुझे याद करना
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मुझे फुल नहीं तुम्हारा वक़्त चाहिए तुम्हार साथ और तुम चाहिए
मेरे हर इक लम्हों में तुम्हारा याद और ख़्वाब चाहिए
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हम ख़ुद को भुलाए बैठे हैं उन्हें याद करते करते ।
और वो पूछते हैं मेरी याद आती है।-
मेरी आँखों से तुम्हारी आँखों तक का
सफ़र ही कुछ ऐसा है
के डूब जानें का जी करता है के डूब ही गए हैं
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