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गर्दीश में इक तेरी कमी रह गई
आसमान छूट गया जमीं रह गई
अल्फाज फूल जैसे खिले हैं मगर
लिखी हुई दास्ताँ में नमी रह गई
मंजिल रौशनी में तब्दील हो गई
पर राहों में मिरी तीरगी रह गई
कश्ती मिली किनारे भी थे पास
दिल में कहीं इक बेकली रह गई
पलके उठ़ी उड़े ख्वाबों के परिंदे
'पूनम' उसी मोड़ पर थमी रह गई-
न जाने किसके ख्यालों में गुम हो
और कोई नही वो शख्स तुम हो
हरेभरे शाख खिले गुल रंगीन हो
होंटों पे मीठे बोसों से तबस्सुम हो
मुहोब्बत की दास्ताँ गज़लों में हो
मैं सुनाऊं उनको ऐसी तरन्नुम हो
तिरे नक़्श -ए- कदम पे चल दूं मैं
ऐसा बादशाह तू ओ तेरा हुकूम हो
तुझसे मिले है जिस कँफे में 'पूनम'
वो ठिकाना दुनिया को न मालुम हो-
आँखों से ख्वाबों की रिहाई नहीं होती
मिलन के बाद फिर जुदाई नही होती
ख्यालों की महफिल यूं सजाएं बैठे की
मिरे जीस्त में शब ए तन्हाई नहीं होती
यारा तूने दिया नही मौका रूठने का
तभी शिकायतों की सुनवाई नही होती
कमबख्त इश्क के रोग हजार लग गये
कई दर्द मिले जिसकी दवाई नही होती
सुनाऊँ क्या मेरी दास्तां जुबां है खामोश
चाहत अधूरी सही पर पराई नहीं होती
एहसास बिखेर के चल जाते है 'पूनम'
समेटने के लिए भीतर गहराई नहीं होती
...पौर्णिमा
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सुबह से निकले वो आते आते हो गई शाम
बस पहुंचे ही थे के याद आ गया उन्हे काम
मैंने तो कर दी थी आँर्डर कोल्ड काँफी की
जनाब बोले पिला दो आँखों से नशिले जाम
चाँद तारे तोड़ने की बाते कर के थकते नही
मैने बोला पहले सारी इस्टेट कर दो मेरे नाम
चौबीस घंटे बारा बजे रहते है चेहरे पे उनके
कौन समझाए मुस्कुराने के लगते नहीं दाम
लब सिले सिले रहते है ना पूनम के सामने
और दिल में छुपा के रखते है हसरतें तमाम
जब देखूं भंवरे की तरह आगे पीछे डोलते है
तब लगता है तुम बन गए हो पूनम के गुलाम
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तुझे ना पाने का गम रहेगा उम्र भर
कुछ ज्यादा कुछ कम रहेगा उम्र भर
सौ किस्से सुनाऊंगी तिरे दुनियां को
साया बन के तू हरदम रहेगा उम्र भर
अब ना कोई दवा ना दुआ रंग लाएगी
घावों को सहला मरहम रहेगा उम्र भर
यारा गर्दीश में पूनम उलझ के रह गई
सितारों का पेच-ओ-ख़म रहेगा उम्र भर
आसमाँ हसीन होगा चाँद तारों से मगर
बज्म में तिरा ही मौसम रहेगा उम्र भर
रहेगी नदारद किसी भी आसमाँ में पूनम
यकीं कर सिर्फ तू सनम रहेगा उम्र भर-