जब आओगे ना मिलने सावन की तरह
ठहर भी जाना लबों पर चुम्बन की तरह
घटा से करजवा बूंदों की पायल सजेगी
ओढूंगी घूंघट लाज का दुल्हन की तरह
सिमट जाएगी ये पूनम भीगी पलकों तले
तुम रखना उसे अपनी धड़कन की तरह
सब पुकारने लगे है अब मुझे गौरी कहके
नज़र आना तुम शिव की दर्शन की तरह
तेरी मीठी बातों में घुला पुष्प का मकरंद
तिरे ख्यालों से रूह महके चंदन की तरह
लब थरथराए जब तू छुए बन के बयार
दिल की धड़कने खनके कंगन की तरह
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कभी मिलेंगे तो कोई अफ़साना तो होगा
जो भी निहारेगा मुझे वो दीवाना तो होगा
सुना है मोहब्बत में हारना हसीन होता हैं
इस जुस्तजू में सनम को जीताना तो होगा
कब तलक ऑनलाइन चैट में उलझे रहेंगे
किसी दिन हमें यारा रूबरू आना तो होगा
बहुत पढ़ ली शेरो शायरी युवरकोट पर
नग्मा छेड़कर पूनम को बहलाना तो होगा
रिश्ता निभाना है तो दिल बड़ा बनाना होगा
खूबी ओ खामियों को भी अपनाना तो होगा
रूठ़ने की आदत बडी संगदिल होती हैं ना
रूहानी कविताएं लिखकर मनाना तो होगा-
मौसम की तरह अब बदलने लगे है लोग
शंतरज बिछा के चाल चलने लगे है लोग
नया दौर नया शोर दिखे मुनाफा चहुओर
जो चलन आया उसीमें ढलने लगे हैं लोग
मेहनत की सीढ़ियों से पाँव में आते छाले
देखकर इक झुनझुना बहलने लगे है लोग
ख्वाबों ख्यालों की बातों में बैचते हैं वजूद
इस कदर यहाँ फरेब से छलने लगे है लोग
तमाम तामील भी कहां दे पाई है रोजगार
तभी शहर से गाँव में टहलने लगे है लोग
कोई नही उठाता जिम्मेदारी का बोझ पुनम
किसीकी कामयाबी देख जलने लगे है लोग-
इंतजार यूं किए के धूप में काले पड़ गए
खामोश यूं रहे की मुँह में छाले पड़ गए
तेरे एक ख्याल से रात की नींद उड़ गई
फिर हुआ यूं के रात में उजाले पड गए
तेरे होने से ही रौनक थी उस इक गली में
तू जो रूखसत हुआ शहर में ताले पड गए-
सुनो, मिरी जुल्फों के साये में मिलेंगे तुम्हे सवेरे
जो आओगे तो कभी न छोड़ पाएंगे बाहोंं के घेरे
अपनी शरारती नजरों से कर देना सोलह सिंगार
रखना होले से अधर माथे पर और हो जाना मेरे-
एक पल में सब भुला दूँ क्या
लिखा हुआ नाम मिटा दूँ क्या
अंतस में इक घुटन हो रही है
दर्द अल्फाजों को बता दूँ क्या
राहें उधर भटक रही शहर में
सुकून भरे गांव का पता दूँ क्या
कच्ची कली को जो छेडे भंवरे
बागबान से उन्हे पिटवा दूँ क्या
संगमरमर की तरह मिरे ख्याल
गजलों का मुशायरा बना दूँ क्या
कोई तरस रहा दीदार-ए-पूनम
चेहरे से बिखरी लटें हटा दूँ क्या-
आओ मैं तुम्हारी शर्ट पर बटन टाँक देती हूं
बदले में तुम मिरे लबों पे इक बोसा टाँक दो-