🤣🤣😆😆👇👇
मैंने अपने दोस्त के घर call किया ..
Callertune बजा ,,दिल के अरमां आंसुओं में बह गए ....
मैंने सोचा भाई ने ऐसा callertune क्यों लगाया.,
बाद में Number देखा तो मेरे चाचा जी का था,,और उन्होंने कल चाची के साथ हुये झगड़े को दिल पे ले लिया था।🤣🤣😆😆😆
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अपने परिवार में कभी इतना भार न उठाया,
जितना तुमने ससुराल में आके सीखा और सिखाया |
शादी करके आयी थी, कोमल से हाथों से
तुमने हमेशा घर में हाथ बटाया |
सास, चाची, ननद और लोगों के ताने ,
तुम्हे कुछ भी चुभने न पाया |
दिन रात मेहमानों की खातिरदारी में
कितना समय लगाया |
हर एक के हुक्म पर, उन्हें चाय बनाकर पिलाया |
दिन की कड़ी धूप में, है पापड़ तुमने सुखाया |
वहीं शाम की ठंडी छाँव में, पौधों को पानी पिलाया |
हर घंटे की मेहनत ने तुमको कभी ना पीछे हटाया |
दर्द महसूस करके भी तुमने, हमको कभी ना जताया |
सबकुछ अच्छा हो, तुमने शायद प्रण था ऐसा बनाया |
बच्चों की रक्षा के लिए, हर एक कदम उठाया |
रोज़ रात को गरम दूध देकर ही तुमने सुलाया |
नारी के रूप में भगवान ने, है तुमको बनाया |
तुमने अपने ममत्व से, पूरे आँगन को महकाया |
हे भगवन ! तुम्हे शत शत नमन जो ,
ऐसी माँ से हमने जन्म है पाया |
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जो चाची ने सुनी यह बातें तो चुप चाप हो गई..😏
कुछ देर में उनका ringtone सुन चाचा जी पसीने से तरबतर 😰
तो पता है ringtone क्या बजा....
"कैद करूं आबाद करूं या तुझको बरबाद करूं.... "😜😝😂😅-
बीता दौर...
पुरानी कॉपी के पन्नें बहोत उदास हैं इन दिनों
सुना है अब बच्चे काग़ज़ की नाव नहीं बनाते
ख़ाली छत और गलियां भी परेशान सी हैं ज़रा
पतंगे भी कटकर गिरती नहीं हैं आजकल ...
मोहल्ले में कोई खिड़की गिल्ली से नहीं टूटती
बगल वाली चाची भैया की शिकायत भी नही करती
बगीचे के आम खुद ही टूट कर गिर जाते हैं आजकल
माली काका अब डण्डा लेकर किसी को नहीं दौड़ाते
अब गुड़िया की चोटी खींचकर भी कोई नहीं भागता
दीदी की गुल्लक से पैसे चुराकर आइस क्रीम की दुकान पे नहीं भागता कोई
मेज खींचकर आल्मारी की ऊपरी दराज़ में रखे लड्डू भी ख़त्म नहीं होते
दादी अब कहानी नहीं सुनाती दादा के साथ बगीचे में सैर को भी नहीं जाते हम
अब गुब्बारे वाले के पीछे भी नहीं भागते हम
बुड्ढी के बाल वाला भी नहीं आता मोहहल्ले में
अब गांव मेरा बहोत बदला बदला सा लगता है मुझे
वो बीता दौर बहोत याद आता है मुझे....-
तुम्हे फिक्र है सबकी तुम जिम्मेदारी बख़ूबी निभाती हो
सुना है कि चाचा के लिए लाज़वाब खाना पकाती हो
भगवान ये रिश्ता ऎसे ही बनाये रख्खे
खुशियां जीवन मे आपके सजाये रख्खे
गीत गाना खाना बनाना Tiktok तुम चलाती हो
मेरी कविता की तारीफ़ सबसे पहले कर जाती हो
रंग गुलाबी पसंद हैं तुमको जैसे फूल गुलाब
तुम पर तो मैं लिख सकता हूँ एक अनोखी किताब
दूर रहती हो मिलने तुम बहुत कम आती हो
तुम प्यार से मुझे आकाश कहकर बुलाती हो
पल में गुस्सा पल में प्यार भी तुमको आता है
देखिए ये "कुमार" सबकुछ आसानी से लिख जाता है
अच्छी दोस्त भी हो तुम मेरी इसमे न कोई संका है
सुनो न चाची आप ही नाम प्रियंका है।
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वो जो खून का रिश्ता न हो कर भी,
मुझे मां जैसे प्यार करती है वो।
दिन भर की थकी हारी ही सही,
पर बचपन में मेरे लिए रात भर जागती थी वो।
क्या ज़रूरत है उससे मेरी परवाह करने की?
पर फिर भी मुझे मेरी गलती पर समझाती है वो।
हां उसने मुझे जन्म तो नहीं दिया,
पर फिर भी मुझे बेटी मानती है वो।
हां थोड़ी गुस्सेदार है,
पर मेरी दोस्त भी बहोत प्यारी है वो।
मां तो नहीं पर,
मां जैसी छोटी मां है वो।
वो और कोई नहीं
मेरी चाची है वो।-
जायदादें क्या बॅंटी ,दुश्मन हो गया भाई-भाई का।
भूल गया वो प्यार, चाचा-चाची और ताऊ-ताई का।-
" ब्याह गई लड़की यूपीएससी के पीछे नहीं भागती ,
उसका बस्ता छूट जाता हैं समझी ?! "
दोपहर की धूप में मिर्ची सुखाते हुई बहु को देखकर उसकी चाची सा बोली ।
" अब क्या बताई चाची जी यूपीएससी में किताबी ज्ञान ही आता तो दिल्ली में बैठे सारे आज अफसर होते ,
ये मिर्ची भी शिक्षा देती हैं और ये शादी भी ,
यूपीएससी हमारे जीवन की परीक्षा हैं ,
किताबो की नहीं । "
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मेरे दिल में इनका
मां के बराबर में मरहाला है,
अपने बच्चों से ज्यादा इन्होंने
मेरी ज़िद को संभाला है,
नही है आदत मुझे उस अंधेरे की
जिसे खत्म करता इनके
अंदेशा का उजाला है।
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