Leena Dariyal   (लीना 'सत्यम')
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मंजिले मिली फिर भी मुसाफिर थे मुसाफिर हैं😊😊♥️♥️
Joined 18 November 2017


मंजिले मिली फिर भी मुसाफिर थे मुसाफिर हैं😊😊♥️♥️
Joined 18 November 2017
6 HOURS AGO

पहले जब
कुछ भी लिखती थी
कितने ख़्याल उतर आते थे
लफ़्ज़ों के भंडार
ज़ेहन में भर जाते थे।
जब से सीखा थोड़ा-थोड़ा
नाप-तोलना
और रेख़्ता तकतीअ करना
ऊला, सानी,
लफ़्ज़ों को ठिकाने लगाना।
अब अक्सर
इन रदीफ़, काफ़ियों के चक्कर में
लफ्ज़ ज़ेहन से गुम जाते हैं
ख़्याल आना ही भूल गए हैं।
और लिखना
ही छूट गया है।

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17 JUN AT 20:11

हादसे हैं कि ठहरते ही नहीं
हादसों का ये साल लगता है

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14 JUN AT 13:24

उम्मीदों के जुगनू चमकने लगे हैं
उजाले से हरसू झलकने लगे हैं
तेरी याद का एक झोंका जो आया
सभी गुल चमन के महकने लगे हैं

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7 JUN AT 7:52

नित नए सोपान चढ़ते रहो
तराश खुद की खामियों को
हर दिन नए से संवरते रहो

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1 JUN AT 9:05

इश्क़ का इत्र यूं ही महकता रहे
साथ न होके भी साथ चलता रहे

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31 MAY AT 12:06

रिश्ते बदलते हैं
वक्त बदलता है
तुम भी बदल गए

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29 MAY AT 22:40

जो शाखें छांव देती हैं उन्हें तुम काट देते हो
मैं कैसे मान लूं तुम अब चमन में गुल खिलाओगे

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22 MAY AT 10:05

ये तो उनकी नज़र का कमाल है
किसमें क्या उन्हें नज़र आ जाए
ये दिल बड़ा ही बैचेन सा क्यों है
काश उनकी कोई ख़बर आ जाए

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22 MAY AT 8:33

जब राहों में साथ तेरा होगा

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19 MAY AT 22:05

सब पर ही तो आती है ये उम्र है
देखना है किस तरह से आती है

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