हो गए होते जो कुछ, होना था क्या
कुछ नहीं भी गर हुए, क्या हो गया-
Leena Dariyal
(लीना 'सत्यम')
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मंजिले मिली फिर भी मुसाफिर थे मुसाफिर हैं😊😊♥️♥️
Joined 18 November 2017
5 AUG AT 8:17
लड़कियों के दुख अजब होते हैं, सुख उस से अजीब
हँस रही हैं और काजल भीगता है साथ-साथ-
12 JUL AT 8:11
अपने पंखों पर भरोसा करो
और उड़ जाओ
एक नए आसमान की
चाहत में
जरूर मिलेगी
मंजिल तुम्हें
बस उड़ान भरो अपने परों पर-
8 JUL AT 20:20
हर खिड़की का अपना अम्बर होता है
नज़र- नज़र का अपना मंज़र होता है
कितना भी तुम ख़ुद को कह लो पाकीज़ा
इक ना इक दिल, दिल के अंदर होता है-
6 JUL AT 8:54
पहले जब
कुछ भी लिखती थी
कितने ख़्याल उतर आते थे
लफ़्ज़ों के भंडार
ज़ेहन में भर जाते थे।
जब से सीखा थोड़ा-थोड़ा
नाप-तोलना
और रेख़्ता तकतीअ करना
ऊला, सानी,
लफ़्ज़ों को ठिकाने लगाना।
अब अक्सर
इन रदीफ़, काफ़ियों के चक्कर में
लफ्ज़ ज़ेहन से गुम जाते हैं
ख़्याल आना ही भूल गए हैं।
और लिखना
ही छूट गया है।-
14 JUN AT 13:24
उम्मीदों के जुगनू चमकने लगे हैं
उजाले से हरसू झलकने लगे हैं
तेरी याद का एक झोंका जो आया
सभी गुल चमन के महकने लगे हैं-