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है भोर पड़ी, दुर्दशा बड़ी;
कुछ याद नहीं...
भूला लगता है!
वह ग्राम कहीं तो देखे रहे,
इस नयन से मष्तिक में प्यारे..
यादें भीनी-भीनी सी कुछ जैसे
क्या अब भी कहीं..¿
झूला लगता है?!
हमको तो भूला लगता है;
हमको तो भूला लगता है।-
दिल दिमाग की जंग में , हारता सिर्फ़ इंसान है
सोच और भावनाओं की , ये रंजिशें आम हैं ।
चुन पाने की कोशिश और उथलपुथल के हालात
कर देते हैं मन के सुकून को ,बीते दिनों की बात
दिमाग जो महसूस करता है , बार-बार समझाता है
और अमल करने के लिए ,दिल को फुसलाता है
फ़िर भी ढाई सौ ग्राम का दिल, हमेशा भारी पड़ता है
चार सौ ग्राम के दिमाग की , दही करता रहता है।
जया सिंह 🌺
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तपती धरती
दो बीघा खेत।
एक जोड़ी बैल
मिट्टी पानी व रेत।
तरबतर स्वेद
दृढ़ जीर्ण देह।
सूखी रोटी
सार रस एकमेव।
पालन कर्ता
अमूर्त हे ग्राम देव।-
अमावस्या का निशीथ
जब नभ वसुधा पर छाया
तिमिर विभा से
चहुंओर अंधकार हो आया
तब संभाला जुगनूओं ने
बागडोर अपने हाथ
घूम-घूमकर किया प्रकाश
असंख्य साथियों के साथ
झिंगुरों ने तान साधा
सियारों ने गीत बांधा
यामिनी ने नृत्य किया
पावन यह कृत्य किया-
जहाँ ह्रदय में राम बसता है
मेरा ग्राम वहीं बसता है
शहर तू तो हर रात सजता है
आडंबरहीन मेरा ग्राम जचता है-
मेरा गांव जाने कहा खो गया है.....?
गांव शब्द सुनते ही हम अपने मन में एक #तस्वीर सी बना लेते हैं – और भी पढ़े........
लेखक- लव तिवारी-
जो किया था सबसे दुआ सलाम,
आज उसका हिसाब होगा,
रात बीती है बड़ी उमंग से,
दिन भी लाजवाब होगा।।
#पंचायत_चुनाव.
#2_may_2021.-