Lav Tiwari   (लव तिवारी)
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Joined 21 August 2017


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Joined 21 August 2017
15 DEC 2023 AT 20:21

चलो चलें अब अपने गाँव,
चलो चलें अब अपने गाँव

बचपन जहाँ बुलाता है,
वह दौर ही मन को भाता है।
आज मतलबी इस दुनिया से
जी अपना घबराता है।।
याद बहुत आता है मुझको
उस बूढ़े पीपल की छाँव।
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो चलें ------ गाँव।।

यही कहानी सब कहते
क्या-क्या नहीं दर्द सहते।
सड़को औ चौराहो पर
कैसे गंवईं जन है रहते ।।
याद सताती मातृभूमि की
यहाँ कर लिये खूब पड़ाव।
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो------ गाँव।।

जहाँ बाग में मीठे आम
वहाँ की प्यारी होती शाम।
मेरे बाबू जी किसान हैं
खेतों में करते हैं काम।।
दियारे में गउवें चरती हैं
जहाँ नदी में चलती नाव।
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो---------–-गाँव।।

शहर की चकाचौंध खोटी है
अपने घर मे भी रोटी है।
शहरों की औकात ही कितनी
माँ की ममता से छोटी है ।।
मुझे मिलेगा स्वर्ग वहीं पर
जहाँ पड़े मेरी माँ के पाँव।
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो ----------------गाँव।।

अपना गाँव सजायेंगे हम
सुंदर उसे बनायेगे हम।
मेरा हृदय गाँव में बसता
लोगों को बतलायेंगे हम।।
वही हमारी कर्मभूमि है
जहाँ हमारा गाँव-गिरांव।
चलो चलें अब अपने गाँव, चलो -----------------गाँव।।

रचना- लव तिवारी

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15 DEC 2023 AT 20:17

मेरे सामने बैठे हुए प्यार को मैं अपना नहीं सकता।

इस दुनिया झुठी रिवाज़ से मैं टकरा नही सकता।।


अब तो यही रह गया है इस जमाने की फ़ितरत में ।

पास रखी अपनी ही वस्तु को भी कोई पा नहीं सकता।।


जिसको जो चाहे मिल जाए ऐसा ख़ुदा क्यों नहीं करता।

हर प्यार करने वाला अपने दर्द को ठुकरा नहीं सकता।


एक तुम ही तो हो जो मेरे दिल दिमाग जहन में बैठे हो।

क्या कोई अपने दिल की धड़कनों को धड़का नहीं सकता।।


किस्मत मेरी निक्कमी है जो महबूब के प्यार को पा ना सकूं।

मेरा दर्द क्या है यह मैं दुनिया को दिखला नहीं सकता।।


एक दिन वह दौर आएगा जब तुम मेरी और मैं तेरा रहूंगा।

इस बात की गंभीरता को कोई अब झुठला नहीं सकता।।

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15 DEC 2023 AT 19:51

आप की याद हमें अक्सर रुलाती है।
क्या करें आप भी कहा साथ निभाती है।

दिल मे रखकर दूर है इसका किसे ख़बर
ये दर्द मेरा मुझको दिन रात तड़पाती है।

मारा गया हूं तेरा प्यार का कोई दवा नही
एक चेहरा तेरा देख लू तो सुकून की नींद आती है।

जमाने की तरह तुम भी अब मतलबी न बन जाओ तुम भी तो मेरा दर्द समझो जिसे दुनिया सताती है।


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15 DEC 2023 AT 19:45

ये आंखें ये होंठ और सादगी भरा चेहरा इसमें डूब जाने को दिल करता है।

मैं जानता हूं कि तुम मेरी नहीं हो फिर भी तुमको पाने को दिल करता है।।।


यह जमाने के दस्तूर और नियम हमारे लिए नहीं है

ये सब जानकर फिर भी तुमसे दिल लगाने को जी करता है।


तुम मेरी हो कर रहोगी इस बात का यक़ीन मुझे भी है।

फिर भी तुम्हारे याद में दिल को धड़काने का जी करता है।


खुदा तुम्हें हर शोहरत हर ना चीज से नवाजे इस जमाने में

जो तेरे दुश्मन है उनको रास्तों से हटाने को जी करता है।


आदमी में भी बुरा कहां हूं जो बस तुम्हारे बारे में सोचता हूँ।

अब दिल आ ही गया है तुमपर तो साथ मुस्कुराने जी करता है।।

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11 JUL 2022 AT 17:50

एक उम्र गुजर गई तो महसूस हुआ मुझको
इस तरह तो जीने का इरादा नहीं था मुझमें।

जब तुम पास थे तो ख्वाइशें नही थी तुम्हारी
तुम दूर हुए तो फिर क्यों बेचैनी बढ़ गई हमारी।।

❣️❣️❣️

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17 JUN 2022 AT 20:14

हम फौजी है प्यारा देश हमारा फिर क्यों ये गद्दारी है।
हम नेताओं के हाथों की कठपुतली जानती दुनिया सारी है।


हम अडिग है अपने पथ पर करते नया किर्तिमान यहाँ ।
देश विप्पति में जब होता, फिर होता हमारा काम वहाँ।।


आज के इस दौर से चिंतित हम सब भारतवासी है।
सबकुछ क्यो नेताओ के हाथ मे जो करते मनमानी है।।


करते हम संघर्ष दुश्मन से और सीमा पर पहरेदारी है।
तब जाकर देश है सोता, फिर भी नही हमसे वफादारी है।।


जाति धर्म ऊँच नीच से परे हम सब की जेम्मेदारी है।
वोट की राजनीति करके देखो राजनेता हम सब भारी है।।


हम फौजी है प्यारा देश हमारा फिर क्यों ये गद्दारी है।
हम नेताओं के हाथों की कठपुतली जानती दुनिया सारी है।

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15 JUN 2022 AT 14:25

नफ़रत क्या है जो तुम लोगों से करते हो।
मोहब्बत के नाम पर क्यो जमाने से डरते हो।

जब तक हो दुनिया में अमन चैन से रहो।
जरूरत क्या है जो लोगो के जज़्बात से खेलते हो।।

धरा तुम्हारी नही न तुम खुदा हो इस जहाँ के।
ग़रीबी क्या है, इसको क्यो नही समझते हो।।

सारी हसरत मुक्कमल हो ऐसा तो मुमक़िन नही।
जीना सीखे नही और जिंदगी की बात करते हो।।

थोड़ी खुशियां भी काफी है उम्र भर जीने के लिए।
मुझको भी देख लो क्यों गैरो की बात करते हो।।


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11 JUN 2022 AT 0:02

गर्मी हम सबको सताये
फिर भी नही कोई पेड़ लगाए।।

आते जाते पथिक भी सोचे।
कैसे रास्ते को छावदार बनाये।।

कल कारखाने के दूषित वायु से।
कैसे हवा को शुद्ध बनाये।।

एसी, कूलर फ्रीज की दुनियां।
इनके बिना कहाँ रह हम पाये।।

एक व्यक्ति की नही धरा यह।
आओ हम सब साथ निभायें।।

पर्यावरण की बस करें सुरक्षा।
हमसब तन मन धन से लग जाये।।

नही सुधरेंगे फिर मर ही जायेंगे।
प्रचण्ड गर्मी से फिर हमें कौन बचाये।।

रचना- लव तिवारी
ग्राम पोस्ट- युवराजपुर जिला ग़ाज़ीपुर
उत्तर प्रदेश २३२३३२

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10 JUN 2022 AT 17:35

ये किसान तेरी दुनिया कैसी, और कैसे तेरे काम यहाँ।
कहने को तू अन्न दाता भूखा सोता तेरा जहान यहाँ।।

इस धरा पर कठिन परिश्रम तुमसे अच्छा कौन करे।
मौसम के बेरहमी के कारण बर्बादी का मंजर सहे।।

भूखे शरीर से हल चलाकर करता तू महान काम यहाँ
फिर भी कुदरत और साहूकारों ने तुमको किया परेशान यहाँ

देश की धरती सोना उगले उसमें अद्भुत एहसान तेरा।
हर भूखें को भोजन मिलता इससे बड़ा उपकार कहा।।

तेरी अहमियत को जो न समझे उनको कौन बतलाये।
तू है तो ही धरती टिकी है तुझसे ही भगवान यहाँ।।



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10 JUN 2022 AT 17:26

कोई तो है जो दिल को बहुत बार धड़कता है।
उसके आने की खबर से दिल भी सहम सा जाता हैं।।

मैं उसको यह कैसे बताऊ क्या अहमियत है उसकी।
सामने न होते हुए भी क्यो वो मेरे पास ही नजर आता है।।

बड़े सलीके से उसका नाम छुपाया दुनिया की नजरों से।
न चाहते हुए भी यह ख़बर जमाने को पता लग जाता हैं।।

मोहब्बत करने वाले से ये दुनिया जलती क्यो है हरदम।
एक प्रेमी के मिलने से भला दुनिया का क्या बिगड़ जाता है।

मोहब्ब्त के इस दौर में आदत मेरी किसीसे मत पूछिए लव।
उसकी ख्वाईश में जमाना मुझे पागल भी बना जाता हैं।

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