ये जो विकृतियां हैं यहाँ, हमारी ही पैदाइश तो रहती है।
अच्छे-बुरे के दौर में हम क्या हैं, ये च्वाइस तो रहती है।
जमाना आँकनें लगा हैं दौलत से, हर एक किरदार को
इसीलिये रईशी के ढोंग की, यहाँ नुमाईश तो रहती है।
हमारे नसीब में नहीं है वो, हम समझते हैं
फिर भी उसे पाने की, ख़्वाहिश तो रहती है।
चलो नफरत की दीवार, आज गिराते हैं "नवनीत"
दरार हो रिश्ते में, फिर भी गुंजाइश तो रहती है।-
चाहे बातें कितनी बिगड़ी हों, चाहे रिश्ते कितने उलझे हों
चाहे बंधन कितने टूटे हों, चाहे वादें कितने झूठे हों
हम मानें या न मानें
पर, गुंजाइश तो रहती है।
चाहे लाख मिसालें हार की हों, चाहे जीना एक जंजाल सा हो
चाहे जीवन एक बदहाल सा हो, चाहे किस्मत एक कंगाल सा हो
हम मानें या न मानें
पर, गुंजाइश तो रहती है।
चाहे उम्र कटे अंधियारों में, न देखे दीये उजालों के
चाहे दाग लगे हो गहरे से, चाहे आग लगे दोपहरों से
हम मानें या न मानें
पर, गुंजाइश तो रहती है।-
गुंजाइश तो रहती है उनके लौट आने की ।
गर वो यादें करें ताज़ा गुज़रे ज़माने की ।
बादल भी गड़गड़ा कर बरसता नहीं,
कद्र इसलिए भी करता हूं हर बहाने की ।
वृक्ष फैला हुआ है ये छाया ही देगा,
न करो कोशिश मुझे आजमाने की ।
खुशी मिले अगर तो तड़पाओ बेहिसाब,
पर दवा मिलती नहीं किसी को सताने की ।
जां निकले तो निकलती रहे तुम्हे इससे क्या,
कसम है मेरी, जरुरत नहीं पछताने की ।
चांद अंधेरों में चले.. उन्हें परवाह नहीं,
हिदायत सूरज को है रोशनी फैलाने की ।
इसलिए भी मै बुरा लग जाता हूं,
कोई मजबूरी नहीं सच छिपाने की ।
अंधेरों में रहकर भी मैं दमकता हूं फकत,
' आशु ' को है आदत अपना दिल जलाने की ।
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एक मुलाक़ात की गुज़ारिश में,
ज़िंदगी से गिड़गिड़ा रहे हैं..!!
ना उनसे मिल पा रहे हैं,
ना ख़्वाहिशें भुला पा रहे हैं..!!-
Unki Narazgi bhi badi khas thi,
Jab wo durr rehke mere sath thi!
Aakhen naam or ishq muh zubani yaad thi,
Dil mein thodi hasi or unn raaton ki yaad suhani thi!
Wo bichadne wali shyam mein abhi khoob gunjaish baki thi,
Mulakat mein asmaan se jo lafzon ki barish baki thi!-
माना तुम्हारा जाना वाज़िब था
फिर भी मिलने की ख्वाहिश तो रहती है
अधुरे रह जाते हैं किस्से अक्सर
फिर भी खुदा से पूरी करने की फरमाइश तो रहती है
ऐसे तो आता नहीं लोटकर कोई
फिर भी गुंजाइश तो रहती है||-
बंजारे हैं हम..
एक तेरे सिवा..
ना ही कोई ख्वाहिश है..
"और" ना ही किसी और से दिल लगाने की गुंजाइश..!!-
कोशिशें कितनी भी कर लो,
गुंजाइश तो रहती है।
मंजिल फिर से पाने की,
एक ख्वाहिश तो रहती है।
खुशियाँ दर पर लाने की,
एक फरमाईश तो रहती है।-
गुंजाइश तो रहती है ठोकर खाने की,
इस डर से कदम बढ़ाना छोड़ दें क्या?
दुख के मौसम आयेंगे जीवन में हरदम,
इस डर से हम मुस्कुराना छोड़ दें क्या?-