Ñìkhìl Raj  
3.4k Followers · 583 Following

read more
Joined 7 November 2019


read more
Joined 7 November 2019
20 MAR AT 23:32

है मालूम मुझे होगा मलाल अपने गुरूर को छोड़ तेरे सामने झुक जाने का
पर वो इश्क़ ही क्या जो तुमसे तुम्हारा वजूद ही न छीन ले
बात बस इतनी सी है कि तुझे चाहे बिना दिल अब भी मान नहीं रहा ये जानते हुए भी की तू न आएगा कभी
मालूम है इसे ये सच जो है कड़वा बहोत ये मन उसे जानकर भी अनजान कर रहा
मेरे शब्द खत्म होते जा रहे हैं तूझे ये बताने में कि तेरे लिए जो इश्क़ है मेरा
वो बस कुछ पल का फसाना नहीं शायद उम्र भर का अफसाना बन जाएगा
अगर मैंने कभी बताया नहीं तो अब ये जान ले कि ये जो सीने में जलन है मेरी वो तेरे मेरे सीने में लिपटने के बाद ही खत्म होती थी
पर ये जलन‌ जो अब एक रोग बनती जा रही है
इसका मरहम बनकर अगर तू आ सके तो आजा
आजा और लिपट जा इस सीने से
ताकि ये ज़माना भी बोल पड़े
के इस कमबख्त को मोहब्बत नसीब नहीं हुई तो क्या इसके महबूब ने इसे सीने से लगाए तो रखा. . .

-


8 MAR AT 23:30

हाँ ठीक है, मैं ठीक नहीं
तू ठीक है! ये ठीक है।
हाँ मैने जो किया वो ठीक नहीं
पर शुरू जो तूने किया क्या वो ठीक है?
जब मैंने कहा ये ठीक नहीं तो तूने मुझे कहा ये ठीक नहीं
क्या ठीक है क्या ठीक नहीं ये तूने चूना ये ठीक है?
है मालूम तुझे है जो ठीक नहीं वो कर सकता हूँ मैं ठीक अभी
पर तेरे लिए तो ठीक यही है कि न हो यहाँ कुछ ठीक कभी।
मेरी जां तेरे मेरे बीच का ठीक न होना है ठीक नहीं मेरे लिए
पर मेरा न होना गर ठीक है तेरे लिए, तो ठीक है ये भी।।

-


26 DEC 2024 AT 23:44

ये जो उसुलों-सिद्धांतों की चादर ओढ़े छल प्रपंच के खंजर चलाते हो
क्या तुम्हें अपने परमेस्वर का‌‌ भय नहीं जो ये कर पाते हो
कहते हो नियमों पर चलकर बिता है जिवन तुम्हारा
तो फिर इन नियमों को अपनी सहुलियत से बदल कैसे जाते हो
ये जो तुम दुसरो के कामों में बाधा लाते हो, कहते हो भला है
मगर लोग हैं वाकिफ़ ये के तुम इंसानियत की आड़ में अपनी ईर्ष्या छुपाते हो
है खोखला तुमहारा दिल, तुम्हारी बातें, तुम्हारा वजूद
दिखाते तो हो खुद को नायक मगर नमूने बन‌ कर रह जाते हो
कहते हैं है स्वर्ग नर्क का भेद यहीं,इस धरती पर ही है भरके जाना
हर क्षण सताया है तुमने कितनों को, अब खुद सताये जाते हो
धर्म के नाम का झोला लेकर, तुमने धर्म को है निलाम किया
मांगता तो भिख है फकीर भी, पर तुम धर्म की दलाली खाते हो
चूना था रावण ने सर्वनाश अपना, हो तुम भी इसी राह पर
होगा तलब गौर के तुम सिसक सिसक के मरते हो,या मर मर के जी जाते हो।।

-


22 DEC 2024 AT 0:49

कि ये कैसा मेरा इश्क़ है, बेचैन मुझे करता है
चाहता है बस , तुझे पाने से डरता है
कि तेरे पास भी रहना नहीं चाहता
और तेरे पास किसी के होने से बेचैन भी रहता है
इस दिल को ये डर है के तेरे दिल को ये कहीं जख्म न दे
कमबख्त खुदको जख्मीं कर तेरे भरने की कोशिश‌ में रहता है
माना के ये मिलना मिलाना खुदा की नेमत है
पर ये न जाने क्यों तुझे बिना पाए तेरा होना चाहता है
ख्वाहिशें तो लाख दफ़न हुई होंगी मेरी मगर
तेरी ख्वाहिश की राख को ये दिल ताउम्र संजोना चाहता है
मैं मेरी लकीरों का मारा था, हूँ और रहूंगा शायद
पर तुझे तेरी मर्जी का मिले ये दिल आज भी यही चाहता है।।

-


9 DEC 2024 AT 0:26

जो मैं कहता हूँ खुद से कि ये इश्क़ नहीं महज़ लगन है
तो फिर कम्बख्त सीने में कैसी ये जलन है।।

-


21 JUL 2024 AT 23:10

क्यों खत्म नही होती बेचैनी मेरी
क्यों ये उदासी कभी दूर जाती नहीं
सोचता तो बहोत हूँ मगर
क्यों कभी कुछ कहता नहीं
आंखें तो नम होती है हर गम पे मगर
क्यों मैं कभी रो सकता नहीं
याद रखने को कुछ है नहीं मेरे पास मगर
क्यों मैं वो बातें कभी भूल पाता नहीं
लोगों से कभी मेरी बनती नहीं मगर
क्यों मैं कभी अकेला रहना चाहता नहीं
है मालूम‌ करना होगा कलेजा पत्थर जीने के लिए
फिर क्यों मैं ऐसा होने देना चाहता नहीं||

-


22 MAY 2024 AT 18:23

जिसकी बाहों में अलविदा कहना चाहता था
उसे ही अलविदा कह कर आ रहा हूँ
था उसे डर कहीं बांध न लूं जंजीरों में
मैं अपने सारे प्यार के धागे समेट ला रहा हूँ
उसे फिकर थी कहीं उसे मेरी फिकर न होने लगे
मैं खुद को फकीर कर उसका फिकर मिटा रहा हूँ
जो उसके सारे गमों की वजह बनता जा रहा था मैं
उसकी खुशियों के लिए खुद गम अपना रहा हूँ
था अंदाजा‌ इस रिश्ते का कोई अंत नही
मैं इस दर्दनाक अंत की पहली कील ठोक के आ रहा हूँ||

-


13 APR 2024 AT 10:42

उसकी मेरी मोहब्बत में फर्क बस इतना है
उसे मैं पसंद होते हुए पसंद नहीं
क्योंकि मुझमें खामियां बहुत हैं
और मुझे वो‌ सारी खामियों के
बावजूद भी बहुत पसंद है।।

-


27 MAR 2024 AT 1:34

हमने जिस आखिरी शख़्स को चाहा
उसके मन में भी खुद के लिए नफ़रत भर गए
अब इसे अपना उम्दा हूनर समझे
या खुदा का तोहफा, कुछ कह‌ नहीं सकते।।

-


21 MAR 2024 AT 10:48

तुम्हे मुझसे जरा भी मोहब्बत नहीं
और मेरा प्यार बेतहाशा बढ़ता जा रहा है
दूर होने के लिए इतनी वजह काफी थी।।

-


Fetching Ñìkhìl Raj Quotes