तारे चांद के साथ, जलते है,,
इश्क़ में, जज़्बात जलते हैं!!
जब छूता हूं,उस चांद को मैं,,
मेरे ना पाक, हाथ जलते है!!
हटाओ दो तुम,रेशमी विस्तर,,
इन में मेरे, ख़्वाब जलते हैं!!
मेरे कुछ चिराग़ नहीं जलते,,
उसके सब, गुलाब चलते हैं!!
के दरिया में है,परछाई कोई,,
पानी में,आफताब जलते हैं!!
तहफे नहीं चाहिए,हमे तुमसे,,
निशानी के,निशान जलते है!!
इश्क़ में और कुछ नहीं दोस्त,,
तस्वीरों के, मक़ान जलते हैं!!
एक शख्स से ऐसी मोहब्बत,,
हमसे सारे, इंसान जलते हैं!!
ससे जलते हैं,वा वफ़ा राहुल,,
हमसे तो,दो ज़हान,जलते हैं!!
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