𝐀𝐌𝐀𝐍 𝐑𝐀𝐈   (अमन राय)
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Joined 18 March 2019


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30 JAN 2021 AT 17:47

एक रात तेरी सरगोशी में
मै छुप जाऊं मै खो जाऊं
एक रात तेरी मदहोशी में
मै रुक जाऊं मै सो जाऊं

एक रात नुमाइश हो ऐसी
हर बूंद से इश्क़ बरस जाए
हर कतरा-कतरा गल जाए
हर ज़र्रा-ज़र्रा ढल जाए

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16 DEC 2020 AT 16:02

ग़म की सियाही से खत लिख रहा हूं
यही फलसफा हर बकत लिख रहा हूं


वही जो मिला था उस गर्द ए सफ़र में
उसी के शहर की सिफत लिख रहा हूं


मोहब्बत की रातों से जो कुछ मिला था
मै उस रात की अज़ीयत लिख रहा हूं


वो मासूमियत में छिपा जो ज़हर था
मै उस बेवफ़ा की कुबत लिख रहा हूं

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9 DEC 2020 AT 21:26

ये सर्दियों की दिलकश शामें,
जाने क्या-क्या याद आ रहा है।
पैमाने वफा को थामे...
जाने क्या-क्या याद आ रहा है

वो गुमां जो बाकी है मुझमे निकला ही नहीं इस दिल से
कुछ अजब शहर से था वो कुछ ग़ज़ब सा साहिर था वो
चाहे लिख दूं या न भी लिखूं, वो चेहरा था या नूर
पर इतना जरूर लिखूंगा वो कर के गया मशहूर
बुनियाद सहर का पड़ते ही वो बस जाली सा लगता है
मै जब भी खुदको देखता हूं सबकुछ खाली सा लगता है

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12 SEP 2020 AT 20:23

यूं तो चर्चे हमारे उधर कम न थे
इश्क़ उनसे जो मैने इधर कर लिया

वैसे महफ़िल हमारी सजी कम न थी
उनसे नज़रें मिली तो सहर कर लिया

बात इक रात की हो बताऊ मगर
अब तो रातें हसीं उम्र भर कर लिया

चाँद भी छुप जाता है जाने किधर
उनके चेहरे को मैने जिधर कर लिया

दुश्मनों की शिकायत भी कम हो रही
दोस्तों से गिला मुख़्तसर कर लिया

उनकी चाहत का सब है असर देख लो
इस सफ़र का उन्हें हमसफ़र कर लिया

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18 AUG 2020 AT 7:57

एक नई जोश एक नई उमंग
एक नई ऊर्जा एक नई तरंग

एक नया सपना एक नया हुनर
एक नया मुसाफिर एक नया सफ़र

एक नया मिलन एक नई मिठास
एक नया रिश्ता एक नया एहसास

एक नई सोच एक नया विचार
एक नई दुनियां एक नया संसार

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16 AUG 2020 AT 13:57

एक अरसे से दिल धड़का था
पाने की ज़िद में तरसा था
तस्वीर तसव्वुर में बनती
और छूने को ये तड़पा था

इक रोज हक़ीक़त सच भी हुई
तेरे सपनों से फ़ुर्सत भी हुई
मेरे प्यासे नैनों से मुझको
तेरे नैनों से सोहबत भी हुई

तेरे बातों में मैं खो जाती
तेरी बातें सच्ची लगती थी
मुझे पता था इश्क़ ये कच्चा है
फ़िर भी क्यूं पक्की लगती थी

तू कहता था सबसे है अलग
तू कहता था सबसे है जुदा
मैं मंदिर, मस्ज़िद भूल चुकी
मुझे दिखता था तुझमें ही ख़ुदा

अफ़सोस, था जिस पर नाज़ मुझे
वो तो ऐसा आवारा था
जो रूह की बातें करता था
वो तो जिस्मों का मारा था

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15 AUG 2020 AT 14:28

सच बोल कि क्या आज़ाद है तू, सच बोल कि क्या आबाद है तू
सच बोल क्या लब आज़ाद यहाँ
सच बोल क्या ज़िंदाबाद है तू

सच बोल कि क्या तू सच्चा है, सच बोल कि क्या तू अच्छा है
सच बोल कि झूठा वादा था
सच बोल क्या नेक इरादा था

सच बोल सियासत झूठी है, सच बोल कि झूठे सपनें हैं
सच बोल कि सब सच झूठा है
सच बोल कि क्या सब अपने हैं

सच बोल कि झूठा धर्म तेरा, सच बोल कि झूठा मज़हब है
सच बोल क्या सच में सादा है
सच बोल क्या सच, सचमें जागा है

सच बोल क्या सचमें मौलवी है, सच बोल क्या सचमें पंडित है
सच बोल कि सब ये दिखावा है
सच बोल कि सब बहकावा है

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15 AUG 2020 AT 11:30

मेरे क़फ़न का रंग तिरंगा है
वर्दी का मुझपे पहरा है
मेरी रूह सदा तेरी खिदमत में
मेरा जिस्म ही तुझमें ठहरा है

है कैसा नशा इस मिट्टी का
हर वीर यही करना चाहे
हरबार यहां जीना चाहे
हरबार यहां मरना चाहे

ये धरती हिंदुस्तान की है
ये शरहद उसका सीना है
गर एक कदम तेरा बढ़ जाए
फ़िर मुश्किल तेरा जीना है

ए वतन तू मेरी हीर रहे,
ए वतन तू मेरी लैला है
तेरा इश्क़ भरा मेरे रग-रग में
है पाक.. नहीं ये मैला है

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12 AUG 2020 AT 16:36

बरबाद मुझे करने आया
वो आँख मेरी भरने आया
ज़ालिम हो तुझको देख लिया
चल जा झूठे मरने आया

ये इश्क़ की बातें फ़िर से मुझे
कभी और सुनाई ना देगी
तस्वीर तुम्हारी इस दिल में
क़भी और दिखाई ना देगी

तू झूठा था सब कहते थे
पर इश्क़ का ऐसा रोग लगा
कुछ तो किश्मत की मारी थी
जो प्रीत का ऐसा जोग जगा

दिल टूट के पत्थर बनता है
क्या पत्थर से लड़ने आया
जब सीसा था तो कदर नहीं
अब मोम से क्या भरने आया

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11 AUG 2020 AT 17:32

1. जीवन के मूल्यों का महत्व और उसे पाने का हुनर।
2. अधिकार मांगने से नहीं मिलता, उसे छीनना पड़ता है।
3. प्रेम का कोई रूप नहीं होता, वह अविकार होता है, जिसमे सारी सृष्टि समाहित होती है।
4. व्यक्ति की पहचान उसके भुजबल से नहीं बल्कि उसकी बुद्धि बल से होता है।
5. आपकी छमाशीलता और शान्तिरूप एक सीमा तक ही शोभा देती है।
6. आपको अपनी शक्ति का एहसास कराना पड़ता है, नहीं तो लोग आपका उपहास उड़ाते हैं।
7. आदर्शवादी और सत्यवादी होना अच्छी बात है, लेकिन हर
बार नहीं। आपको कूटनीति में भी पारंगत होना पड़ता है।
8. सभी अपने होते हैं, पर जब कोई शस्त्र उठा ले तो वह
मात्र एक शत्रु होता है और कुछ नहीं। वहां ऊंच-नीच,
अच्छा-बुरा,आदर-अनादर सब मिट जाता है।
9. सत्य वही है जो असत्य से परे है, अर्थात जिसमें कोई दोष
नहीं है।
10. आपको किसी की ज़रूरत नहीं होती, आपको अपने आप
की ज़रूरत होती है। आप स्वयं में ही संपूर्ण हो।

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