मैं शीतल प्रकाश,शालीन हूँ,
सात्विक समय का प्रतीक हूँ,
संस्कारों से मैं गंभीर हूँ,
ब्राह्मण हूँ मैं न अधीन हूँ!
तपोबल में मैं परशुराम हूँ,
ज्ञान में मैं तुलसीदास हूँ
क्रोध में मैं सबका विनाश हूँ
ब्राह्मण हूँ मैं सृष्टि का आगाज़ हूँ।
भक्ति में मीरा के मैं समान हूँ,
तेज़ में सूर्य का मैं प्रकाश हूँ,
अडिगता में मैं कैलाश हूँ,
ब्राह्मण हूँ मैं फर्ज़ में रघुनाथ हूँ।
प्रेम में राधिके के समान हूँ,
मार्ग प्रशस्ति का पालनहार हूँ,
सभी वर्गों का मैं प्रमाण हूँ,
ब्राह्मण हूँ,मैं शेर सा हुँकार हूँ।
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खो जायेंगे ये वतन एक दिन तुझ में,
जिस दिन वो वर्दी पहन कर आयेंगे,
रिश्ता कैसे टूटेगा मेरा हिंदुस्तान से,
हम तो मर कर भी अमर हो जायेंगे,
फक्र होगा हमें उस दिन पर,
ख़ुद पे....जिस दिन माँ की रक्षा में,
उसके चरणों अपने प्राण जायेंगे,
कितने क़िस्मत वाले हैं हम,
देखो ज़रा करोड़ो में चुने जायेंगे,
मोहब्बत मुझें उस तिरंगे से इतनी हुयी,
कि जुदा अब उससे क़भी हो नही पाएंगे,
ग़म नहीं हैं अब प्राण गर चले भी गए,
लिपट कर देखों उसी तिरंगे में आएंगे,
बहुत क़िस्मत वाले हैं हम यारों,
चुनें तो करोड़ों में जायेंगे,
औऱ माँ की शान बढ़ाएंगे!!😊-
जग जीतने की
बहुत अभिनंदन
बहुत बहुत बधाई भाई❤
आज भारत ही नही
संपूर्ण ब्रह्माण्ड को
आप पर गर्व है😍😎-
विश्व शांति के वाहक है हम
पर भगत सिंह आज़ाद भी हम
मानवता क्यों छलनी छलनी
समानता को क्यों दी अग्नि
मासूमों पर जो वार करे
जो सत्य जान भी अनभिज्ञ बने
हमें जरूरत आज भी कलाम भी
नहीं जरूरत इंदौरी जैसे लोगों के सलाम की
जिस थाली में खाए उसमें ही करे छेद
कुछ तो समझो राहत और कलाम में भेद
ऐसा नहीं कि लोग सब जानते नहीं
पर चुप रहते है क्युकी खुद को
राजनीति का हिस्सा मानते नहीं
पर जब तुम्हारी चुप्पी तुम्हारी
मां के सपूतों को बदनाम करने लगे
तो फिर हम भी जागे और कुछ काम करने लगे
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उसके पास हज़ारों विकल्प होते हैं किंतु सब
को दरकिनार कर के तुम्हारा चयन करती हैं।
कभी ऐसा भी होता होगा कि वो बता नहीं पाती होगी
कि इस संसार में वो तुमसे कितना प्रेम करती हैं।
प्यार तो तुमसे इतना करती हैं कि एक क्या हज़ार
बार तुम्हारे लिए ये सारा संसार छोड़ सकती हैं।
बस कभी कोई घबराहट, शर्म, हया और संवेदन
शीलता सामने आ जाती हैं और ये कहने से डरती है।
कभी तुम भी उसके बिन कहे ही समझ जाया करो
न कि वो मासूम तुमसे कितना प्यार करती हैं।
कभी इसे उसकी कमजोरी मत समझना ये उसकी
ताक़त हैं, उसकी खूबसूरती हैं कि वो लड़की हैं।-
देख तुझे आज मैं अपना गर्व भूल गया
दुनिया देखी बहुत पर आज मैं सब भूल गया
कभी लिखने की कला होया करे थी
पर मैं आज वो सब सर शायरी भूल गया।-
देखो वो "सच" है जो गर्व से अकेला है खड़ा
झूठ के हजार संगी साथी पर वो घायल है पड़ा-
मुझसे हारी है हार भी....
मैंने स्त्रीत्व के साथ
समावेश करा है पुरुषार्थ
का भी अपने आचरण मे ....
क्योंकि मेरी माँ ने कभी
सिखाया नहीं हार मानना|
टूटना, झुकना, हारना,
बिखरना जैसे शब्द मेरे
लिए नहीं है 😊
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