असर है उसकी नज़दीकी का
जेठ कभी इतना गर्म ना था।-
लग गई है लत..... तो सेहत संभालिये
कहते हैं लोग इश्क़ की तासीर गरम है.....।।
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सर्दी के मौसम में गर्म चाय के जैसा तेरा इश्क़ ,
जितना भी चाहूं मन भरता ही नहीं ।-
अपने परिवार में कभी इतना भार न उठाया,
जितना तुमने ससुराल में आके सीखा और सिखाया |
शादी करके आयी थी, कोमल से हाथों से
तुमने हमेशा घर में हाथ बटाया |
सास, चाची, ननद और लोगों के ताने ,
तुम्हे कुछ भी चुभने न पाया |
दिन रात मेहमानों की खातिरदारी में
कितना समय लगाया |
हर एक के हुक्म पर, उन्हें चाय बनाकर पिलाया |
दिन की कड़ी धूप में, है पापड़ तुमने सुखाया |
वहीं शाम की ठंडी छाँव में, पौधों को पानी पिलाया |
हर घंटे की मेहनत ने तुमको कभी ना पीछे हटाया |
दर्द महसूस करके भी तुमने, हमको कभी ना जताया |
सबकुछ अच्छा हो, तुमने शायद प्रण था ऐसा बनाया |
बच्चों की रक्षा के लिए, हर एक कदम उठाया |
रोज़ रात को गरम दूध देकर ही तुमने सुलाया |
नारी के रूप में भगवान ने, है तुमको बनाया |
तुमने अपने ममत्व से, पूरे आँगन को महकाया |
हे भगवन ! तुम्हे शत शत नमन जो ,
ऐसी माँ से हमने जन्म है पाया |
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"अगर घी सीधी उंगली से ना निकले तो...
घी को गरम कर ले।
हर बात में उंगली करना अच्छी बात नहीं..."
😂😂-
"तुम्हारा फ़ोन इतना गरम क्यों हो रहा है, किस हॉट लड़की ने डीपी बदली है?"
"कब छोडोगी तुम शक करना, आज सभी ने दीप जलाये हैं।"-
सूरज को आज हमने और भी क़रीब से देखा है,
चिलचिलाती धूप को उसकी अपने आँचल में समेटा है,
क्या हुआ जो आज उसका मिज़ाज ज़्यादा गरम हो गया;
ख़ुद जल कर सबको रौशनी देना, सूरज से ही तो सीखा है।-
चाहत हो तो चाय सी
जो सर्दी गर्मी दोनों में ही
एक समान होती
बदन को गर्माहट देती
सुकून देती
एक चुस्की चाय
या एक चुस्की चुम्बन
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मान अपमान की सूली पर
एक दूजे की बलि चढ़ाने को
तैयार खड़ी हैं भीड़ कहीं
मजहब की आग लगाने को...
भीड़ भला कुछ खोता है क्या
बेटा तो जाता माँ का...
पालने के रुनझुन के संग संग
सपने बुनती रहती माँ...
क्रोध की अग्नि भस्म करे सब
क्यों न समझे
आज के गरम खून तमाम ...-
कुछ लोग तो ऐसे गरम खुन की बात कर देते हैं,
जैसे बाकी सबके शरीर में तो कोलड्रिंक्स बह रहीं हैं 😂-