अंजाम रुखसती देती है
मुलाकात जरूरी है, करते रहिए
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किसी फूल की पंखुड़ी
को बिना तोड़े
यदि सलीके से
सहलाने का हुनर
तुम्हें आ गया है
तो समझो
प्रेम का सबक
तुमने सही मायनों में
समझ लिया है !
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जो प्रेम संबंध
व्यक्ति की
उद्दंडता को
भी अपने में
समाहित कर लेता है
वही मित्रता है ..
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कहते हैं चंद्रमा मन का कारक है... प्रभावित होता है मन, चंद्रमा के घटने या बढ़ने से
और मन है अथाह संभावनाओं का द्योतक...
परन्तु चंद्रमा का एक अंधेरे में रहने वाला भाग भी है जो कभी उजाले में आता ही नहीं...
उस भाग वाला मन भी जरूर होगा हमारे मन में
किसी कोने में उपेक्षित,
लोगों और अपनी ही नजर से दूर
कुछ विषाद और कुछ अवसाद लिए
और उस मन को संभालना, सहेजना बहुत जरूरी है
अन्यथा कोई चन्द्र ग्रहण या कोई अमावस्या हमारी छोटी मोटी पूर्णिमा भी ले डूबेगा...
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कभी कभी उठने, बैठने या चलने का मन नहीं करता,
बोलने या बात करने का भी नहीं
बस यूं हीं
लगता है पड़े रहें
ऐसे ही... बिस्तर पर
यकीन मानिए
दिमाग में कमर दर्द होना...
कमर में दर्द होने से ज्यादा
खराब है..
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शिकार के लिए
या बचाव के लिए
पर रेगिस्तान के गिरगिट
कब मुंह छिपा के रेत में घुस जाएं
पता नहीं।
कोई अचंभा नहीं
अगर उन्होंने ये तकनीक
आधुनिक होमोसेपियंस से सीखी हो।
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