पेड़ काट दिये और वहाँ घर बनाया
परिंदे बना दिये गए दीवारों पर-
त्रुटिपूर्ण इज हेअर :)
प्लीज करेक्ट मी
🙏
फेसबुक - Nilesh borban
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"तारे तोड़ कर लाना",
हम दोनो जानते है
कि यह एक बेतुकी सी बात है
पर वो बना देती है
टिमटिमाते हुए तारे
काग़ज़ पर एक ब्रश से
और मैं लिख देता हूँ
उसके तारे उतारने पर यह कविता
और अब मेरी कविता में
चाँद और तारे दोनो है।-
हम पर तो बस आँच हल्की आ रही है
जहाँ बस्ती जल रही है क्या हाल होगा-
सभी को लगता है
आकाश में बिखरे हुए तारे
है कोई सूरज की तरह
चमकते हुए पिण्ड
मुझको लगता है
ये है तुम्हारे छोड़े हुए
आकाशीय लालटेन
सभी तर्क वाली बातें करते है
और मैं प्रेम वाली ।
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कोई खुशबू जैसे ख़ार में निकल आई
तेरी तस्वीर टूटी दीवार में निकल आई
सूरत जिस्म आदतें और भी ढेरों कमी
क्या बातें तुझसे इज़हार में निकल आई
इतनी शिद्दत से मैंने तेरी ना में हाँ ढूंढा
रज़ामंदी तेरे इनकार में निकल आई
दिल को मेरे तीरगी भा गई कल रात
सुबह रोशनी तू बेकार में निकल आई
मोहब्बत नये दौर की बद्जात है बड़ी
बिकने के लिए बाज़ार में निकल आई
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