पूजा के अर्पित फूल हो, अर्धांगिनी का सुर्ख सिंदूर हो,
जीवन की सहचरी, वो जीवनपर्यन्त तुम गणगौर हो!
धरा पर चाँद का टुकड़ा हो, मेरे व्रत का तू आधार हो,
प्रेम अर्ध्य तुम तक पहुंचे वो अनुष्ठान तुम गणगौर हो!
दिये कि शांत लौ हो, रौशनी अपनत्व की चुँहु ओर हो,
दिए बाती का रिश्ता जैसा, वो पूरक तुम गणगौर हो!
रिमझिम से तर विहार हो, मन चितवन चितचोर हो,
आँचल बन जाये सर पर पल्लू, वो तुम गणगौर हो!
सावन की बहकती बयार हो, सौंधी खुशबू प्रेम की हो,
मेघ मल्हार सी सरगम जैसी, वो पायल तुम गणगौर हो!
बदली, मेघ की शहजादी हो, ओस सुबह की लगती हो,
कजरारी आंखों का काज़ल, वो दुल्हन तुम गणगौर हो!
चंदा की सोलह कला हो, सोलह श्रृंगार से परिपूर्ण हो,
सोलह सोमवार का पुण्य, वो सोलह आने तुम गणगौर हो
शिव प्रदत वरदान हो, गौरी का अटल आशीर्वाद हो,
गौर-ईसर सी जोड़ी "राज" वो चाहत तुम गणगौर हो! _राज सोनी-
गैरों की नजरों से खुद बचाती रही हिना लगे हाथों को,
पहले मुझे दिखाना चाही जो नाम लिखा था मेहंदी का!
हया से सुर्ख रुख़सार थे, जो हिना के से खुशरंग थे,
खोल हथेली जब मुझे दिखाया, रंग गाढ़ा मेहंदी का!
रंग फिज़ा का बदला बदला, सूरज क्यों छिपने लगा,
शाम का सूरज शर्माया जब हाथ देखा तेरी मेहदी का!
सुर्ख लब शोले बने जब शब-ए-वस्ल का तकाजा से,
लब लगे दहकने जब लबों पर हाथ था मेहंदी का!
चाल कुछ बदली बदली सी, कदम बहकते जाते क्यों,
पायल भी बहक गई जब साथ मिला उसे मेहंदी का!
कुछ ख़्वाहिश कुछ जज्बात कुछ अनकही कहानी है,
वफ़ा उसने यूँ जाहिर की हाथ रचा कर मेंहदी का!
एक निशानी का मुंतज़िर मैं, जिसका 'राज' हकदार है,
जब देगी कागज़ पे निशानी छाप हाथ का मेहंदी का!
_राज सोनी-
एक वो भी है परिवार , जहां माँ बाप, बच्चे भाई बहनोई और बहना है
होली गणगौर पूज लू, थोड़े दिन उस मायके
में भी रहना है-
गौर माता गोमती ईसर पुज पारवती,
रिकवेस्ट सुनज्यो करां थाकीं आरती।
म्हारी मां सा चावै म्हानै परणावणौ,
पण म्है चावां चौखी सी जोब लागणौ।
सुंदिया पैलीं उठा देवै बोल गणगौर पुजो,
फर्स्ट ओफ ऑल थे सिरधार फेर काम दुजो।
बो ही एक टाईम हौवे जद म्हानै घणी नींद आवै,
उठ भी जांवा फेर भी एक तो झपकी लाग ही जावै।
देखो थारै वास्ते उठ म्है ऐलखैल करां,
सारा म्हारा चोईस रा काम साईड मं धरां।
मां सा री ईच्छा थै जरूर पूरी करज्यो,
पण म्हारी अरजी माथै भी ध्यान धरज्यो।
सोनो दिज्यो चांदी दिज्यो अर घणो फूटडौ भरतार भी दीज्यो,
पण साथ ही अगल साल आईइस रै इंटरव्यू रौ तार भी दे दीज्यो।
घणो चोखो सासरो दिज्यो अर साथै ही सपोर्टिव सास दीज्यो,
नणद ना देवो तो ही चोखो अर दिरानी जिठाणी भी एक आद दीज्यो।
हूँ भोत लाडेसर म्हारै घर मं सब रां री
बठ भी म्हानै ईसा ही ठाठ बाठ दीज्यो।
खूब चोखो पहरूं अर खूब चोखो खाऊं सा,
थांकी किरपा सूं आपरी किस्मत पर इतराऊं सा।
लाल बिंदी, लाल चुड़लो अर लाल ही ओझरियो पैण इतराऊं सा,
पण अतरो ध्यान राखज्यो ओफिस मैं लाल बत्ती री ही गाडी में जाऊं सा।
हे म्हारी गौर माता महर राखज्यो कदै न मां सूं थे रूठो,
थांकी प्यारी टाबरी नैं सदा इंयां ही थे टूठो।
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घणां मीठा लागे गीत च्यार
अठे रा लोग लुगाई मनावे
लोक संस्कृति रा तिंवार-
दैखा दैख माँ न्हें ,
करै ळाडैसर हौड ,
दैखो
गणगौर माँ रमे
बाईसा रै जोड ॥-
आज कै दिण शिवजी भगवान-
पार्वती जी नै आशिर्वाद दियो हो-
पार्वती जी सगल़ी लुगायां नै दियो,
आज रै दिण माटी का ईसर-गणगौर-
बणाकै, उणकी पजा करी जावै है,
दीवाल पर काजल़, मेंहदी अरू रोल़ी-
स्युं 16-16-16 टीकी लगाकर माताजी
का गीत गाया जावैं है, भोग लगावां हां,
सांझ नै पाणा प्याण कै बाद गणगौर की-
विदाई करां हां गीत के साथ, गणगौर-
अरु ईसर जी नै पाणी मै पधरांवां हां-
आज स्युं त्योंहार बंद हो जावैं हैं,
कहावत बी है कि...तिंवारां नै बावड़ी-
ले डूबी, कारण कि चार महीना तक-
तिंवार बंद होवैं है. हे गणगौर माता-
अपणो सो सुहाग दीजो.. भाग मत दीजो,
हे गणगौर माता ई कोरोना राक्षस स्युं बी-
मुक्ति दीवावो जी -------
जै गणगौर माता की-💐💐🙏🏼🙏🏼-