बंधन हो तो ऐसा हो
जो गंगा और घाट के जैसा हो
जो मैं छू लूँ तुम्हें....तुमको पाऊँ
तुम जो छू लो मुझको...मैं तुझमें समाँ जाऊँ-
बनारस सी मैं तेरे इंतजार में गंगा घाट के तीर पर बैठी,
कि तू एक बार को ही सही गंगा सा मुझमें समाहित हो।-
बनारस और गंगा सा पावन इश्क़ हमारा ❣️
तुम इसके किनारों सा शांत
मैं इसकी लहरों सी चंचल
तुम बनारस के शांत घाटों का सुकून
मैं इसके मंदिरों की घंटियों का शोर
बनारस गंगा और घाटों के बिना अधूरा
और हम एक दूजे के बिन अधूरे❣️
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बिछोह हो तो ऐसा हो
नींद और रतजगों के जैसा हो
ख़्वाब में छू लूँ तुम्हें... बिछड़ न पाऊँ
रतजगों में तुम्हारी यादों की दस्तक हो...
और किवाड़ खोल दूँ मैं सभी-
मै तो समाहित हो जाऊ गंगा सी तुझमे
पर् तू शिव सा मुझे जटा में शामिल तो कर-
आज गंगा फिर मैली हो गयी
एक तुम्हारे गुमान से
क्या नहाया क्या धोया क्या पाया
एक तुम्हारे हर इन्सान ने-