ᵀʰᵒᵘᵍʰᵗˢ ᵒᶠ ᵐᵘᵏᵏᵘ   (Mukesh Kumar 'mkm')
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Joined 1 September 2017


Joined 1 September 2017

मैं शब्दों को छोड़ एहसासों पे मरता हूं,

जिस दिन एहसासों को छोड़
शब्दों पर जीने लगा खोजते रह जाओगे।

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एक बार तो देखे वो, उसे मैं आंखों में बसा लूंगा,
गम से भरे इस वक्त से भी मैं खुशियां चुरा लूंगा।

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जब उससे जुड़ा था,
तब ही सोच लिया था..!
उसका हमेशा साथ दूंगा,
इसलिए दोस्ती गहरी कर ली..!!
उसको हमेशा समझूंगा,
सपोर्ट करूंगा..
इसलिए यारी भी गहरी कर ली..!
और उसके हर अच्छे-बुरे वक्त और
गलतियों में भी उसका साथ दूंगा,
तो यार से प्यार भी गहरा कर लिया..!!
बस अब इंतज़ार हैं तो इस बात का..
कि उसे भी मेरी बातों पर भरोसा हो,
कि अगर 'मैं' साथ हूं, तो
उसे किसी और की ज़रूरत ही ना हो..!!

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किसी भी चीज़ का 'आरंभ' उसके अंत की शुरुआत हैं,
और किसी भी चीज़ का 'अंत' एक नए आरंभ की शुरुआत हैं।

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मैं परिंदा बन चलता भले जमीन पर हूं,
लेकिन मेरा घर भी आसमां हैं और सफ़र भी आसमां हैं।— % &

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हां! मैं डरता हूं..

क्यूंकि गुस्से में, मैं ऊंचा बोल लेता हूं,
लेकिन वो, चुप हो जाती हैं।

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बड़ी अज़ीब थी वो पहेली, मेरी वो सहेली
जो मुझे हँसाने को ख़ुद हंस पड़ती थी।

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सच्चा हैं फ़िर भी अधूरा हैं,

फ़िर तुम उसे प्रेम कहो,
प्यार कहो, मोहब्बत कहो,
या फ़िर इश्क़।

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ये यादों का सिलसिला तो कभी थमेगा नहीं
जो एक बार रुकेगा फ़िर वो चलेगा नहीं
राहों में गिर कर संभल जाते हैं लोग लेकिन
ज़िन्दगी में जो गिरेगा फ़िर वो उठेगा नहीं

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