प्रतिमा 🍁   (𝓟𝓻𝓪𝓽𝓲𝓶𝓪....)
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Joined 24 May 2019


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पायी हमने सफलता जीवन में जिनके सहयोग से सफ़ल आज हैं
वो शिक्षक प्रिय सभी और उनकी सिखायी याद हमें हर बात है

समय से स्कूल पहुँचना लंच में खाना खाकर खेलना रहा याद है
आतीं स्कूल की यादें बड़ी भुला न सके यह वो मीठी सी सौगात है

कभी मिली शबाशी हमें तो कभी होमवर्क न करने पर पढ़ी डांट है
क्लास की पहली बेंच पर बैठना हर विषय ध्यान से पढ़ना याद है

सबसे आगे बैठना तो कभी पीछे बैठने की जिद्द अब तक याद है
कभी की शैतानियाँ तो कभी छुट्टी होने पर भागे दोस्तों के साथ हैं

मग़र शिक्षक दिखाते सतमार्ग हमें, सही गलत का तब होता ज्ञात है
चलते रहें उनके बताये मार्ग पर यही जीवन का महत्वपूर्ण पाठ है

रहे महत्वता उनकी जीवन में, उनका आशीर्वाद रहे सदा साथ है
जीवन का अर्थ समझाते पूजनीय शिक्षक ईश्वर का रूप साक्षात् हैं।
~pratima..

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ये खूबसूरत वादियाँ देख साथ यही बस एहसास ए असर रह जाएगा
क्या ख़बर थीं के सफ़र वादियों का संग तुम्हारे इस क़दर हंसी हो जायेगा

छूकर गुज़रती ये हवाओं के झोंके मलंग से ये बादलों के गहरे से झुरमुट
इल्म न था के देख ये कुदरत का करिश्मा हर नज़ारा नज़र में ठहर जायेगा

ये ऊँचे दरख्त ये शाख़ पे लहराते पत्ते हर मोड़ पे ताकते हैं राह हमारी ऐसे
रहे इंतज़ार में हमारी हर घड़ी और हर मंज़र हंसी हसरत ए दिल छू जायेगा

भर लाये हैं कुछ ख़्वाब जो आँखों में क़ैद हैं तमन्नायें कुछ दिल के कोने में
रहा अंजान दिल के ख़िल उठेगी हर तमन्ना यहाँ हर ख़्वाब हकीक़त हो जायेगा

काश के साथ रहते हमेशा ये दिलकश नज़ारे, हंसी वादियाँ,ये ख़ुशरंग बहारें
रह जायेंगी मगर महक इन नज़ारों की और ये सफ़र हंसी यादों में रह जायेगा।
~pratima..

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मन की बातों को जो हम यूँ ही शब्दों के रूप में व्यक्त कर जाते हैं
शब्द ही हमारे मन के हर भाव, विचारों और संस्कारों को दर्शाते हैं

कभी ये कष्ट देते हैं तो कभी ये मुस्कराने की वजह भी बन जाते हैं
वही शब्द कभी विष तो कभी अमृत बन अपना असर कर जाते हैं

कटु शब्द क्यों किसी को कहना क्यों मधुर शब्द नहीं कह पाते हैं
जानकर भी कुछ लोग क्यों शब्दों के द्वारा किसी को कष्ट पहुँचाते हैं

हमारी भाषा और हमारे शब्द ही हमारी सोच का दायरा दिखलाते हैं
शब्द किसी को हृदय पर घात करें तो वहीं शब्द दवा भी बन जाते हैं

आसान होता है रिश्तों को सहेजना या किसी को यूँ ही ख़ुशी देना
जब विचार कर अपनी बातों को लिखना या कहना हम सीख जाते हैं
~pratima..

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सिमट आये जब ख़्यालों में तस्वीर कोई अश्क़ लिखें जैसे दास्ताँ
हर लफ्ज़ हों ग़म ए ज़मीँ जैसे, हर एहसास पे सिसकता आसमाँ

है तुमपर ही मेहरबाँ ये दिल करता तुम्हीं से मोहब्बत की इल्तिज़ा
ख़िल उठे कोई शाख़ ए गुल शायद, चहक उठे फ़िर ख़ामोश ये फ़ज़ा

जो दिल में हैं दबे जज़्बात कहीं, हो जायें आज वो लफ़्ज़ों में बयाँ
मिले हैं जो किस्मत से हमें फ़िर न होंगें ये आलम ये मौसम मेहरबाँ

सजा लेंगें हम हर ख़्वाहिश तुम्हारी, जो बन जायें तुम्हारी निगाहें ज़ुबाँ
एक तेरे इंतज़ार में बिखरे ख़्वाब मेरे,हैं उदास न जाने कितने अरमाँ

ले आया जो ख़्याल फ़िर महकती मोहब्बत का ख़ुशबूओं का सफ़र
खो गयीं खुशबूएँ मोहब्बत की जो कहीं ढूंढ लायें हम उन्हें हमनवाँ

हो गयी जो बंज़र सी हसरत ए ज़मीँ सीँचे उसे फ़िर एक और मर्तबा
महकेगीँ आरज़ूएँ फ़िर से हमारी, खिलेंगें फ़िर इश्क़ के फूल दर्मयाँ।
~pratima..




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रह जातीं हैं कुछ यादें ही ताउम्र रिश्तों में साथ मुस्कराने के बाद
सहेज लो पल सभी क्या रह जाएगा फ़िर दुनिया से जाने के बाद

हो कितनी भी ग़म ए ज़िन्दगी हो कितनी भी ख़ामोश अधेरी रात
आ ही जाती है फ़िर सुबह सुहानी, बीत जाती है हर ग़म की रात

हो न जायें कहीं अपने दूर, छूट न जाये कहीं फ़िर हाथों से हाथ
मिले अगर मौका तुम्हें तो फ़िर ग़म नहीं ख़ुशी बाँट लो सबके साथ

नफ़रतों से क्या पाया सबने, क्या मिला अपनों से रूठ जाने के बाद
फ़ासले हैं अगर मिटा लो सभी मिलते नहीं रिश्ते खो जाने के बाद

भुला दो तुम गिले शिकवे सभी न रखो दिल में लगा कर कोई बात
मिले कोई ग़मगीन तुम्हें, देकर ख़ुशी ज़िन्दगी उसकी बना दो साज़

बनो वजह मुस्कराने की, बिखेरो ख़ुशबूएँ तुम ख़ुशियों की आज
रह जायें महक अपनेपन की ताकि महकते रहो सदा बनके याद।
~pratima..

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श्री जी के चरणों में अर्पित रोम रोम रमा मेरा मन है
जो नाम जपूँ मैं तुम्हारा हो जाये उस क्षण कीर्तन है

दूजी नहीं सम्पति कोई राधा-कृष्ण मेरे सहज धन हैं
हुआ धन्य पाकर जीवन राधा नाम अनमोल रत्न है।

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न तुमसे कोई शिकवा रहा न रही कोई बाकी अब शिकायत है
जो हासिल हुआ हमें तुमसे ए ज़िन्दगी वही नूर ए इबादत है

क्या कहें के लेती रही इंतेहा कैसे कैसे हर मोड़ पर तू ज़िन्दगी
हारे न हालातों से जीत लिये दौर सभी ज़िन्दगी तेरी इनायत है

वक़्त की धार पर निखारा किरदार हमने रेज़ा रेज़ा हरदफ़ा
बेदाग रहा ज़िन्दगी तेरा दामन कुछ इस तरह की हिफाज़त है

कभी स्याह रातों में गुज़रे जो हज़ार ख़्वाब पलकों के साए से
के हुए वो मुक़्क़मल आज सभी हर ख़्वाब जैसे एक आयत है

मिले कई अपने तो कई पराये जिंदगी के मुश्किल ए सफ़र में
है मेहफ़ूज़ यादें वो बातें सभी जैसे एक अदद रूह ए अमानत है

काँटों से भरी रहगुज़र थी मिली किस तरह मंज़िल ए हयात है
नाज़ है तुम पर ए ज़िन्दगी हर दौर सफ़र निभाती रही साथ है।
~pratima..

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अगर ज़िक्र वहाँ तेरा हो तो यहाँ ख़्वाहिशें मेरी मचल जाती हैं
दूरियों में भी मोहब्बत देखो के किस क़दर सम्भल जाती है

खोया-खोया सा हर मंज़र के रहता ही नहीं दिल इख़्तियार में
जलवा तेरा यूँ के कोई करिश्मा निगाह ए यार वो कर जाती हैं

मोहब्बत की धूप छाँव में छुपी वो कशिश हमराज़ रहती है
संग हमसफ़र तेरे ज़िन्दगी जैसे नगमा ए साज़ बन जाती है

ख़िल उठती है ज़िन्दगी जैसे कोई सदा चुपके से कह जाती है
जो कभी देखूँ मुस्कान तेरी तो ख़ुशी मेरी बारहॉं बढ़ जाती है

लम्हा-लम्हा नफ़स-नफ़स महक उठती है जैसे खुशबूएँ तेरी
तेरी तमन्नाएँ मेरी तमन्नानाओं को जब छूकर गुज़र जाती हैं

तेरे ख़्यालों से रौशन रहने लगे हैं मेरे शामों सहर इस क़दर
करूं ख़्याल तेरा तो तेरे नाम की लबों पर दुआ बन आती है

बड़े हसीन होते हैं ये सिलसले मगर मोहब्बत में मेरे दिलबर
गुज़रे वक़्त के साथ दिलों में मोहब्बत और निखर जाती है।
~pratima..





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कर देती है राख़ ज़मीर झुलस जाती हस्ती फ़िर दिखती कहाँ है
उठे चिंगारी नियत में अगर लालच की आग फ़िर बुझती कहाँ है

रख ले जो मान हर किसी का सच्चाई मगर ऐसी मिलती कहाँ है
लोगों की आँखों में ईमान की चमक फिलहाल अब दिखती कहाँ है

बिक रहा किरदार चंद पैसों की ख़ातिर डगमगाया ईमान यहाँ है
पैसों का ही बोलबाला जहाँ मिलता कोई सच्चा इन्सान कहाँ है

लालच के मारे झूठे फ़रेबी लोग सच्चे इंसानों को धोखा देता रहा हैं
बदल लेते हैं अपना झूठा ईमान वहाँ रुख़ पैसों का होता जहाँ है

बच न सका कोई इससे जो लालच के जाल में एक बार फँसा है
मिट गया फ़िर घर बार वहाँ लालच की आग लगी जिधर जहाँ है।
~pratima..


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कहता है मन मेरा के लफ़्ज़ों में कर दूँ बयाँ के किस तरह
योर कोट नें कलम के हुनर को बखूबी मेरे आज निखारा है

बिखरे थे कभी जो अनकहे से ख़्याल उलझे मन में मेरे कहीं
के कैसे शब्दों में ढाल हर भाव मन का हमने यहाँ सँवारा है

मिली शब्दों को आज़ादी यहाँ मिली उड़ान ख़्यालों को मेरे
कर मंथन विचारों का पंक्ति-पंक्ति भावों को हमने उकेरा है

मिले यहाँ कई लेखक अनुभवी, रचनाकार प्रिय मित्र हमें
उनकी रचनाओं से हमने सीखा लफ़्ज़ों को कैसे सजाना है

योर कोट दीदी, योर कोट बाबा और कोरा कागज़ जैसे मंच
जिन्होंने लेखन के कई हुनर को सदा तहे दिल से नवाज़ा है

गलतियों को पकड़ यहाँ हमने लेखनी को अपनी सुधारा है
मन के हर भाव को यहाँ हमने लफ्ज़ लफ्ज़ फ़िर उतारा है

योर कोट लेखन के आसमाँ का एक चमकता हुआ सितारा है
हमें फ़कर है हम इनसे जुड़े, प्रिय मंच योर कोट हमारा है।
~pratima....

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