किसी की नींद में
खलल न डालो दोस्तों
शायद वो भी किसी की याद में
जागा हो सारी रात-
बच्चों की तरह बहला के रखा हैं ख़ुद को
गर कहीं 'ख़लल' पड़े तो यक़ीनन रोउंगा ॥-
या खुदाया मेरी यादाश्त चली जाए
उसकी यादों से मेरी इबादत में खलल पड़ता है-
✍️"अगल़ात "
अगल़ात अगर अब "अबस " नहीं,
तो खास खलल की खैर ही क्या!
चल वापिस मिल अब बैर भी क्या!
खुश कर दे ज़रा बन "गैर " ही या?-
कह दो कोई उस नींद से जरा आहिस्ता चलकर आए,
जरा सी भी आहट से उसके ख़यालों में खलल पडता है..
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रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है,
चाँद पागल है अन्धेरें में निकल पड़ता है,
उसकी याद आई है साँसों, जरा धीरे चलो,
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता है,,,,,-
आस्माँ को तकना है, पर किरनें कुछ खलल कर रही है।
यूँ तो नन्हीं चिडियाँ भी, क्षितिज को छूना चाहतीं है
पर हिम्मत जेसे सब दफन कर रही है
जरा सा होसला, जो मिल जाय,
बस बेसब्री से इंतजार कर रही है ।
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// खलल=बाधा //
जिंदगी में खलल मंजूर न था जिन्हें
मोहब्बत में दखल-अंदाजी कर गए-
रोशनी में तो सब साथ देते हैं
मैं अंधेरो में साथ देता हूँ
तारों को अक्सर तन्हा पाता हूँ
इसलिए उन्हें चाँदनी का साथ देता हूँ।-