Piyu Shunya   (P.Shunya)
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Joined 3 July 2020


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Joined 3 July 2020
9 JAN 2022 AT 19:29

अब लगता है ठीक कहा था गालिब ने
बढ़ते बढ़ते दर्द दवा बन जाता है...

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27 DEC 2021 AT 15:48

ख्वाहिशें ही कहां रही हैं अब वक्त के साथ
समझौतों में बदल रही है जिंदगी उम्र बड़ने के साथ।

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26 DEC 2021 AT 20:30

हम मिडिल क्लास फैमली के लोग हैं साहब
हमें अपने शौक और सपने खुदके दम पर पूरे करने होते हैं।

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22 DEC 2021 AT 18:56

एक सफर ही था जो मेरा अपना था
वरना अपनों ने मुसाफिर बनाने में कसर नहीं छोड़ी।

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24 NOV 2021 AT 21:05

जिंदगी बनाने में पूरी जिंदगी निकल गई
जब जिंदगी जीने का वक्त आया
तबतक जिंदगी जीने की आरजू मर गई...

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17 NOV 2021 AT 20:01

इन दिनों खुदसे ही खफा हूँ मैं
जो कभी न भुझे वो शमां हूँ मैं
बहुत सता रही हैं ये जिंदगी हर मोड़ पर
फिर भी जो टूटे से न टूटे वो तख्ता हूँ मैं।

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26 OCT 2021 AT 20:29

कहना बहुत कुछ है मगर सुनने वाला कोई नहीं
कर सकूं अपने दर्द को वयां ऐसे मेरे पास शब्द नहीं
जिंदा हूँ मैं लेकिन अब जिंदा नहीं
जो चाहा था वो कभी मिला नहीं...

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17 OCT 2021 AT 23:48

एक मिडिल क्लास व्यक्ति अक्सर जिंदगीभर समझौते करता है अपने सपनों से
वो भागता रहता है उम्रभर अपनी इच्छाओं का गला घोटकर
परिवार की जरूरतों को पूरा करने की खातिर
जिंदगी के एक अंतहीन सफर में ना जाने कितने अरमानों की बलि चड़ाकर
अपने अंतिम पलों में वो यूं ही रुखसत हो जाता है इस बेजार दुनिया से कुछ अधूरी ख्वाहिशों के साथ...

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23 SEP 2021 AT 19:46

जब खो देता है इंसान खुदमें ही खुदको
तब जन्म होता है एक नयी आत्मा का...
तब उसे भय नहीं रहता जीवन मरण का
और न ही हार जीत का
उसे विचलित नहीं कर पाते विपरीत से विपरीत हालात
वो रम जाता है परम ब्रह्म में,
और लीन हो जाता है शून्य में...
तब शुरू होती है उसके जीवन की असली यात्रा
समझ आती है जीवन की सच्चाई
हकीकत में कोई अपना नहीं और सब अपने हैं का भ्रम
तब निमित्त हो जाता है व्यक्ति ब्रह्म में
और पाता है वो जो असल में सबको चाहिए।

ओउम् शांति

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22 SEP 2021 AT 17:15

जब थक जाता है इंसान अपनी जिंदगी से
तो वो खामोशी अख्तियार करता है उम्र भर के लिए...

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