मेरे कमरे मे दिये हैं ना चाँद तारे हैं
एक तस्वीर तेरी लगा दु गर बुरा न लगे-
☀🎭 तु अपनी बातों को ज़रा हद ए ज़ुबां रख
📝शायद जो ... read more
फूल कहिये या कांटो का शजर कहिये
ऐसी दुनिया मे ठहर जाना भी हुनर कहिये-
इक दरिया इन आंखों में उमड़ता है
जब मरासिम के घाव कोई भरता है
उस हम नफ़स की देखो चारासाज़ी से
मेरा अंग अंग किस तरह सिहरता है
लग कर गले मुझ पे युं सेहर कर के
चाँद तारों की बातें हज़ार करता है
क्युं खिल रही है ज़ुल्फ़ मेरी अफ्सूर्दा
क्युं देख कर उसको बदन संवरता है
कुछ ख़ूबियां हीं होंगी उसकी बातों में
कुछ खामियों पे भी तो कोई मरता है-
मिलेगी रौशनी तुम अब्र का पीछा तो करो
कहीं तो रात ढली होगी दिन उगा होगा-
कितने उदास चहरों की तुम दवा थे" राहत "
अब तुम सा चारागर हम कहां से लाएंगे-
कस्बों और शहरों का कर्फू जुदा है
कहीं चूल्हा जला है तो कहीं चिता है-
जो कह गया वो मेरी ज़ुबां का सुकून था
जो रह गयी शायद वो मेरे दिल की बात थी
جو کہ گيا وہ ميری زبان کا سکون ثھا
جو رہ گئی شايد وہ مرے دل کی بات تھی-
छूने से जिस मुक़ाम से इक आस बने
इस बे सहारा बस्ती में इक चराग़ बने-
हमको दे तो मौला दे लोगों की क्या बिसात
उसकी आंखे इन्सां देंखे ना मज़हब ना जात-