Bhut din ho gye ,
kuch to suna do
jhutha hi shi,
mere liye ek,
geet gun-guna do
tarif jhuthi hi,
magar kar to shi
hakikat me na shi
ek dafa khaw me hi
nazre mila lo
teri kadwi baton me bhi,
kuch mithas sii lgti h,
thoda hi shi pyar jata lo
Logon ne bhut kha
chhodne ko tmhe
Acha hoga, ye bat
Tum bhi farma do
-
बहुत दिन हो गये
कुछ तो सुना दो
जूठा ही सही
मेरे लिए एक
गीत गुन -गुना दो
तारीफ़ झूठी ही
मगर कर तो सही
हकीकत में ना सही
एक दफ़ा ख्वाब में ही
नज़रे मिला लो
तेरी कड़वी बातों में भी
कुछ मिठास सी लगती है
थोड़ा ही सही प्यार जता लो
लोगों ने बहुत कहा
छोड़ने को तुम्हें
अच्छा होगा ,ये बात
तुम भी फ़रमा दो
-
किसी को हंसी
किसी को रोना रास आये।
कोई अपने मे मग्न है
किसी को खुली हवाएँ भाये ।
कोई आईने मे देख मुस्काये
किसी को लहरें लुभाये ।
मन, कभी शांत रहे
तो, कभी खुल के जिये जाये ।
ये मन है, मन का क्या
किसी मे भी उलझाये।
-
ख़ुद पर अख़्तियार रखते थे हम
तुमसे मिलके ख़ुद पर नजर भी नहीं जाती 🧡-
तुम चलो
मैं,चलू
हम संग चले दिन रात
तुम,मैं बने दिया बाती
और हो अंधेरी रात-
Meanwhile you are❤
○○○○○○○○○○
Not over confident but not dumb
Not pretty but not ugly
Have 2-3 nearest frnds
But can mix around
With anyone
Sure but
But something insecure
Stay at place type but
Also interested going
Outside to hanging..
Doing text very childish
But sometime sheepish idk
Need someone but
Wants to be alone 🧡🧡
#....
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Tum or hum milkar ek kahani likhte h
Kisi or se hme kya,
Bs apne pyar kii ravani likhte h.
Zinda me tum me ,or tum mujh me rho
Bs ek yhi aakhri kahani likhte h.
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तुम्हे सुबह लिखूं या शाम लिखूं
शब्दों मे केसे अहसास लिखूं ।।
तुम्हे दिन लिखूं या रात लिखूं
या,मेरे कल का आगाज़ लिखूं ।।
तुम्हे गीत लिखू या अल्फाज़ लिखूं
या,धड़कते दिल की आबज़ लिखूं ।।
तुम्हे चांद लिखूं या उजाला लिखूं
या,बिखरती जुल्फ का साया लिखूं ।।
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एक ख्वाहिश....
ख्वाहिश,को पूरा करना चाहती हूं।
मैं एक बार फिरसे...
अजनबी होना चाहती हूं।-
शाम
मिलतें हैं कुछ लोग शाम में,
खुश खामोश पास से गुज़र जातें है।
कुछ इतनें खुशमिज़ाज जो खयालों से जगाते है,
कुछ प्यारे इतनें, उनसे प्यार हो जाय ,
हर शाम मिलतें मिलतें इकरार हो जाय।
उनसे मिलनें की आदत सी हो जाती है,
हर शाम मिलतें ही,राहत सी मिल जाती हैं।
मिलतें मिलतें खाश बन जाते है,
यही तो शाम की बात है,
शाम मे भी राज़ बन जाते है ।-