Jaya Bharti   (Jaya)
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Joined 24 September 2020


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Joined 24 September 2020
4 JUN 2022 AT 11:03

Bhut din ho gye ,
kuch to suna do

jhutha hi shi,
mere liye ek,
geet gun-guna do

tarif jhuthi hi,
magar kar to shi

hakikat me na shi
ek dafa khaw me hi
nazre mila lo

teri kadwi baton me bhi,
kuch mithas sii lgti h,
thoda hi shi pyar jata lo

Logon ne bhut kha
chhodne ko tmhe
Acha hoga, ye bat
Tum bhi farma do

-


28 MAY 2022 AT 19:34

बहुत दिन हो गये
कुछ तो सुना दो
जूठा ही सही
मेरे लिए एक
गीत गुन -गुना दो
तारीफ़ झूठी ही
मगर कर तो सही
हकीकत में ना सही
एक दफ़ा ख्वाब में ही
नज़रे मिला लो
तेरी कड़वी बातों में भी
कुछ मिठास सी लगती है
थोड़ा ही सही प्यार जता लो
लोगों ने बहुत कहा
छोड़ने को तुम्हें
अच्छा होगा ,ये बात
तुम भी फ़रमा दो

-


25 APR 2022 AT 11:28

किसी को हंसी
किसी को रोना रास आये।

कोई अपने मे मग्न है
किसी को खुली हवाएँ भाये ।

कोई आईने मे देख मुस्काये
किसी को लहरें लुभाये ।

मन, कभी शांत रहे
तो, कभी खुल के जिये जाये ।

ये मन है, मन का क्या
किसी मे भी उलझाये।

-


25 JAN 2022 AT 20:32

ख़ुद पर अख़्तियार रखते थे हम
तुमसे मिलके ख़ुद पर नजर भी नहीं जाती 🧡

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31 DEC 2021 AT 20:24

तुम चलो
मैं,चलू
हम संग चले दिन रात
तुम,मैं बने दिया बाती
और हो अंधेरी रात

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28 SEP 2021 AT 20:47

Meanwhile you are❤
○○○○○○○○○○



Not over confident but not dumb
Not pretty but not ugly

Have 2-3 nearest frnds
But can mix around
With anyone

Sure but
But something insecure

Stay at place type but
Also interested going
Outside to hanging..

Doing text very childish
But sometime sheepish idk

Need someone but
Wants to be alone 🧡🧡
#....

-


16 AUG 2021 AT 22:22



Tum or hum milkar ek kahani likhte h
Kisi or se hme kya,
Bs apne pyar kii ravani likhte h.
Zinda me tum me ,or tum mujh me rho
Bs ek yhi aakhri kahani likhte h.

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21 JUN 2021 AT 21:37

तुम्हे सुबह लिखूं या शाम लिखूं
शब्दों मे केसे अहसास लिखूं ।।

तुम्हे दिन लिखूं या रात लिखूं
या,मेरे कल का आगाज़ लिखूं ।।

तुम्हे गीत लिखू या अल्फाज़ लिखूं
या,धड़कते दिल की आबज़ लिखूं ।।

तुम्हे चांद लिखूं या उजाला लिखूं
या,बिखरती जुल्फ का साया लिखूं ।।





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18 JUN 2021 AT 18:40

एक ख्वाहिश....
ख्वाहिश,को पूरा करना चाहती हूं।
मैं एक बार फिरसे...
अजनबी होना चाहती हूं।

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24 MAY 2021 AT 20:14

शाम

मिलतें हैं कुछ लोग शाम में,
खुश खामोश पास से गुज़र जातें है।
कुछ इतनें खुशमिज़ाज जो खयालों से जगाते है,
कुछ प्यारे इतनें, उनसे प्यार हो जाय ,
हर शाम मिलतें मिलतें इकरार हो जाय।
उनसे मिलनें की आदत सी हो जाती है,
हर शाम मिलतें ही,राहत सी मिल जाती हैं।
मिलतें मिलतें खाश बन जाते है,
यही तो शाम की बात है,
शाम मे भी राज़ बन जाते है ।

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